भिलाई। भिलाई की संस्था स्वयंसिद्धा ए मिशन विद ए विजन जो आज छत्तीसगढ़ की महिलाओं के लिए सशक्तिकरण का पर्याय है, इस संस्था ने अपने 15वें वर्ष में प्रवेश कर लिया है। अपने स्थापना दिवस के अवसर पर रविवार को कला मंदिर में सम्मान समारोह के साथ नाटक की प्रस्तुति दी गई। जिसे छत्तीसगढ़ की रजत जयंती वर्ष पर छत्तीसगढ़ के रीढ़ की हड्डी भिलाई व भिलाई स्टील प्लांट को समर्पित किया गया। यह कार्यक्रम ऑफिसर्स एसोसिएशन भिलाई इस्पात संयंत्र के संयुक्त तत्वाधान में संपन्न किया गया। कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण “भिलाई की बहू” नामक नाटक था जिसका लेखन व निर्देशन डॉ. सोनाली चक्रवर्ती द्वारा किया गया। नाटक में 51 महिलाओं ने अपने अभिनय से सबको मंत्र मुग्ध कर दिया और लोग पुरानी भिलाई के समय में पहुंच गए। भिलाई से प्यार करने वाले लोग अपने आंसू नहीं रोक पाए। तालियों की गड़गड़ाहट से हाल गूँजता रहा।

डॉ.सोनाली चक्रवर्ती ने बताया कि स्वयंसिद्धा महिलाओं की भावना को समझते हुए उनके व्यक्तित्व विकास के लिए कार्य करती है और आज का दिन हमारे लिए महत्वपूर्ण पड़ाव है। कार्यक्रम में कला के क्षेत्र से साधना ढांड, साहित्य से डॉ.जयभारती चंद्राकर, रायपुर, शिक्षा के क्षेत्र से डॉ. शिशिरकणा भट्टाचार्य दुर्ग, समाज सेवा के क्षेत्र से सुश्री राजकुमारी कांगे,मांझी सरकार बघमार एवं देश प्रेम में शहीद की धर्मपत्नी योगेश्वरी साहू को स्वयंसिद्धा सम्मान से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में डॉ. रजनी नेल्सन द्वारा लिखित पुस्तक निर्झरा का विमोचन किया गया जो स्वयंसिद्धा प्रमुख डॉ. सोनाली चक्रवर्ती के व्यक्तित्व व कृतित्व पर आधारित है। मुख्य अतिथि राज माता फुलवा देवी कांगे, अध्यक्ष आदिवासी सैनिक संस्थान दिल्ली ने अपने उद्बोधन में कहा -” महिलाएं जब अपने घर से निकल के समाज के लिए काम करने आती है तब समाज की प्रगति निश्चित है। स्वयंसिद्धा का आयोजन अपने आप में महत्वपूर्ण है ” रिकेश सेन विधायक वैशाली नगर ने अपने उद्बोधन में कहा -” स्वयंसिद्धा 15 वर्षों से अधिक से समाज सेवा व महिला शक्ति करण के कार्यों में निरंतर सक्रिय है।मैं शुरू से संस्था के हर कार्य को देखता रहा हूं। भविष्य में भी मैं सामाजिक कार्यों में संस्था का साथ देता रहूंगा “
कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ.परदेशी राम वर्मा ने स्वयंसिद्धा के कार्यों को अभिनव कहा एवं समाज के सभी वर्गों के लिए प्रेरणा बताया ” विशिष्ट अतिथि बीके गिरी ई डी माइंस भिलाई इस्पात संयंत्र ने शेरो शायरी व कविता के माध्यम से स्वयंसिद्धा के कार्यों को सराहा एवं ‘भिलाई की बहू’ नाटक की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा इसके कई दृश्य हमारे जीवन पर भी आधारित है।बिल्कुल ऐसी ही घटनाएं हम सभी के साथ हुई हैं। वर्तमान पीढ़ी को भिलाई की संस्कृति से परिचित कराने का यह बेहद शानदार प्रयास है ” ए.के. चक्रवर्ती ई डी, सामग्री प्रबंधन ने कहा कि भिलाई के इतिहास की कई बातें मुझे पता चली जिससे हम वाकिफ नहीं थे। यह नाटक भिलाई को आदरांजली देने का अनुपम प्रयास है।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि नरेंद्र बंछोड़,अध्यक्ष सेफी एवं अध्यक्ष ऑफिसर एसोसिएशन भिलाई स्टील प्लांट व परविंदर सिंह थे। सभी ने संस्था के कार्यों को सराहते हुए भिलाई की संस्कृति को अक्षुण रखने का संकल्प लिया। कार्यक्रम में शीलू लुनिया,नीलिमा शुक्ला, आरती तिवारी, डॉ पूर्णिमा लाल,कमलेश आर्य, रजनी रजक, वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप भट्टाचार्य, छत्तीसगढ़ आसपास की संपादक शेफाली भट्टाचार्य,टी आई मोनिका पांडे, डॉ, सुचित्रा शर्मा, संजना कुकरेजा, अशोक गुप्ता, डॉ. ख्याति साहू, रवि आर्य, सहित भारी संख्या में दर्शक उपस्थित थे।
कार्यक्रम में संदीप चक्रवर्ती, लव कुमार चौधरी, अरविंद वैष्णव, अमिताभ भट्टाचार्य, कुदसिया अली, योगेश कुमार, राजकुमारी कनोजे अनीता चक्रवर्ती शीला प्रकाश, रंजना सूरज, कमल चक्रवर्ती, स्मिता चौहान, वंदना आडंबर, बिंदु नायक सुदेशणा वर्धन, बनाी मैती, देबजानी मजूमदार, रीता वैष्णव, गीता चौधरी, राजश्री नायर, वैशाली संतोष, सीमा कनोजे आदि का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. कृतिका वैष्णव नायर एवं शिल्पा जैन ने किया।