छत्तीसगढ़ की पहली महिला पंथी कलाकार अमृता बारले के लिए वरिष्ठ महिला पत्रकार अनुभूति ने क्या लिखा, पढ़ने वाले हो गए भावुक

भिलाई। दुर्ग जिले की लोक कलाकार अमृता बारले अब इस दुनिया में नही रही। उन्होंने 65 साल की उम्र में गुरुवार को अंतिम सांसे ली। आपको बता दें, अमृता बारले मिनीमाता राज्य अलंकरण सम्मान से राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध भरथरी एवं पंथी कलाकार थी। अमृता बारले का जन्म सन् 2 मई 1958 में छत्तीसगढ़ के ग्राम- बठेना, वि.ख. पाटन, जिला दुर्ग में हुआ था। अमृता बारले के द्वारा छत्तीसगढ़ के ग्राम बठेना (दुर्ग) से 9 वर्ष की उम्र में सन् 1970 से 2023 तक कला यात्रा रही है।

छत्तीसगढ़ की पहली महिला पंथी कलाकार अमृता बारले के लिए वरिष्ठ महिला पत्रकार अनुभूति ने एक इमोशनल पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा- “शादीशुदा लड़कियों के लिए बरी आचार ,पापड़ याने सिर्फ उनका मायका, लेकिन मेरे लिए मायके का ये स्नेह बनती थी अमृता दीदी ,जो हर साल मेरे लिए रखिया बरी , बिजोरी और अलग-अलग प्रकार की बरी बना कर संभाल कर रखती और साल में एक मात्र फोन प्यारी सी अपनी छत्तीसगढ़ी शब्दो की मिठास लिए ये कहने लगाती कि बेटा तेरे लिए बरी बनाई हु टाइम निकाल कर घर आना, लगभग हर साल मैं उनके फोन के बावजूद पहुंच ही नही पाती, ऐसे में जब भी किसी भी कार्यक्रम के दौरान मिलती गले लगा कर माथा चूम बहुत सारे आशीर्वाद के साथ याद दिलाती कि बरी रखी है ले जाना।”

उन्होंने आगे लिखा कि, “छत्तीसगढ़ी भाषा को समझना और बोलने की मेरी कोशिश के पीछे भी अमृता दीदी ही मुख्य वजह रही, मेरा उनसे परिचय 18 साल पहले हुआ, खबर बनाते बनाते कब खूबसूरत रिश्ता बन गया पता ही नहीं चला, मेरी शादी तय होने की खबर भी सबसे पहले अमृता दीदी को ही दी थी, अमृता दीदी मेरे लिए किसी परिवार से कम नही थी, मुझे याद नहीं कभी उन्होंने मुझे अनुभूति कह कर बुलाया हो,उनके लिए मैं कोई रिपोर्टर नही बल्कि उनकी प्यारी “बेटू ” ही थी। इन 18 वर्षो में मैंने उन्हें कभी हिंदी बोलते सुना ही नहीं, सही कहूं तो उनसे बात करतें-करते ही थोड़ी बहुत छत्तीसगढ़ी मैने भी सीख ली, अभी कुछ देर पहले भाई यशवंत से अमृता दीदी के निधन का दुखद समाचार मिला। मन बहुत दुखी हुआ और आखें नम हो गई। अमृता दीदी का प्यार वो अपनापन वो माथा चूम कर ढेरो आशीर्वाद देना अब ये सिर्फ यादों में जिंदा रहेगा।”