CG में बेजुबान श्वानों के प्रति बढ़ती क्रूरता और शासन और पुलिस प्रशासन की उदासीनता को लेकर जैन मुनि से गुहार: रायपुर की कस्तूरी बलाल ने देश के सर्वोच्च जैन मुनि आचार्य श्री महाश्रमण को लिखा मार्मिक पत्र… श्वानों की रक्षा और आम जनता में जागरूकता लाने हस्तक्षेप का आग्रह

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य में खास कर राजधानी रायपुर और पड़ोसी जिले दुर्ग, में स्वानों (स्ट्रे डॉग्स) के प्रति बढ़ते क्रूरता की मामले से आहत और छत्तीसगढ़ शासन के पुलिस विभाग के असंवैदनशील रवैये से छुब्ध होकर रायपुर निवासी कस्तूरी बलाल ने देश के सर्वोच्च जैन मुनि आचार्य श्री महाश्रमण जी से गुहार लगाई है। गौरतलब है कि, वाटिका एनिमल सैंक्चुअरी रायपुर में कस्तूरी बलाल रायपुर और पास के जिले से आये संकटगृष्ट और घायल श्वानों (डॉग्स) का उपचार और पालन पोषण करती है। कस्तूरी बलाल ने अपने मार्मिक संदेश के ज़रिये परम श्रद्धेय आचार्य श्री आचार्यश्री महाश्रमण जी से स्वानों की रक्षा एवं आम जनता और समाज के लोगों में इन निरीह प्राणियों के प्रति जागरूकता एवं मर्मता लाने हेतु उनके सर्वव्यापी हस्तक्षेप के लिये लिखित प्रार्थना दिया है। यह बताना आवश्यक है की अहिंसा यात्रा के प्रणेता तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी हैं। वे विश्व विख्यात जैन मुनि है जिन्होंने पैदल यात्रा को ही अपना धर्म समझते हुए 50 हजार किमी. पैदल यात्रा कर एक नया इतिहास का सृजन किया है। संतों लेकर राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री ने उनको इस समाजोत्थान कार्यों को लेकर नमन किया।

कस्तूरी बलाल

देखिए जब भिलाई TiMES ने वाटिका एनिमल सैंक्चुअरी रायपुर मे गुजर था कुछ पल…

पढ़िए पात्र में क्या लिखा है?

यह पत्र हमारे देश में शहरी क्षेत्र में रहने वाले श्वानों जिन्हें हम स्ट्रे डॉग्स कहते हैं, के प्रति बढ़ती हुई हिंसा और अत्याचार की तरफ आप गुरुवर का ध्यान आकर्षित करने के लिए लिख रहे हैं। हमारी संस्था जानवरों, विशेष रूप से श्वानों के कल्याण और इलाज के लिए रायपुर छत्तीसगढ़ में कार्यरत है। हमारे द्वारा संचालित वाटिका एनिमल सेंचुरी में वर्तमान में लगभग 200 बीमार, घायल, लकवाग्रस्त कुत्ते हैं, वह अभी तक हम 9500 से भी अधिक श्वानों का रेस्क्यू और इलाज कर चुके हैं। विगत कुछ वर्षों में इन श्वानों के प्रति हमारे देश में नफरत पैदा हुई है। जिससे इन्हें जिंदा मार दिया जाता है, इन पर तेजाब फेंक दिया जाता है, अन्यथा पीटा जाता है इत्यादि। ऐसी कई घटनाएं प्रतिदिन हिंदुस्तान के प्रत्येक राज्य में हो रही हैं।

इसमें कोई दो मत नहीं है कि इनमें से कई श्वान आक्रामक हो जाते हैं जिसका मुख्य कारण शहरों में सफाई व्यवस्था चालू होने के बाद इनके लिए खाने की कमी होना है। जिन क्षेत्रों में कॉलोनी में कुछ दयालु और जीवों का महत्त्व समझने वाले लोग इन्हें खाना देते हैं वहां पर इनमें आक्रामकता कम पाई गई है। हमारे देश के पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 भी प्रावधानित करते हैं कि रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन या अपार्टमेंट ओनर एसोसिएशन या क्षेत्र के स्थानीय निकाय परिसर उस क्षेत्र में रहने वाले सामुदायिक पशुओं को खिलाने के लिए आवश्यक व्यवस्था करेंगे। श्वानों को स्थानीय निकायों को एंटी रेबीज वेक्सिन लगाना है और नसबंदी करना है। नसबंदी से भी आक्रमकता कम होती है। हिंसा की जगह नागरिकों को स्थानीय निकायों से सहयोग लेना चाहिए।

पढ़िए पूरा पत्र…

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