सड़क हादसे में युवक की मौत, पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल के कर्मचारी ने परिजनों से मांगे पैसे

खैरागढ़. सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खोल वाली घटना सामने आई है. सड़क हादसे में घायल युवक की मौत के बाद पोस्टमार्टम से पहले अस्पताल कर्मी ने परिजनों से रिश्वत मांगी, जिसका ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. आरोप है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अल्कोहल सेवन न लिखने के बदले मृतक के परिजनों से 10 हजार रुपए की मांग की गई. पूरा मामला खैरागढ़ के सिविल अस्पताल का है.

वायरल ऑडियो क्लिप में डॉक्टर के सहायक गोलू सिन्हा मृतक के परिजनों से बात कर रहा है. वह रिपोर्ट साफ-सुथरी रखने की बात कहते हुए 10 हजार रुपए की डिमांड कर रहा है. क्लिप में यह भी कहा जा रहा है कि अगर रिपोर्ट में अल्कोहल सेवन लिखा गया तो बीमा क्लेम नहीं मिलेगा. मामले के तूल पकड़ने के बाद जब गोलू सिन्हा से इस संबंध में बात की गई तो उसने बताया कि एक्सीडेंट का एक केस आया था, जिसमें घायल युवक की मौत ऑपरेशन थिएटर में हो गई थी. मृतक की बॉडी को उसने बीएमओ डॉ. विवेक बिसेन के निर्देश पर मर्चुरी में रखा था.

डॉक्टर के सहायक गोलू का कहना है कि बीएमओ ने ही उसे सुबह होने वाले पोस्टमार्टम के संबंध में मृतक के परिजनों से बात करने को कहा था. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उसने सिर्फ बीएमओ के कहने पर बातचीत की थी. उन्होंने किसी प्रकार की पैसे की मांग या लेन-देन से इनकार किया है.

इस मामले में बीएमओ डॉ. विवेक बिसेन ने कहा कि जैसे ही मामला संज्ञान में आया उन्होंने नोटिस जारी कर दिया है. हालांकि इसके आगे वे कुछ भी कहने से बचते नजर आए और यह कहते हुए बात टाल दी कि वे इस मामले पर अब कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. अब बड़ा सवाल यह है कि जब अस्पताल कर्मचारी गोलू सिन्हा ने बीएमओ के कहने पर ही परिजनों से बात की थी तो फिर नोटिस किसे जारी किया गया? और कार्यवाही किस पर होगी? क्या बीएमओ खुद को जिम्मेदार मान रहे हैं या पूरा दोष उस कर्मचारी पर मढ़ा जा रहा है, जिसने सिर्फ आदेश का पालन किया. इस प्रकरण ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि सरकारी अस्पतालों में जवाबदेही का संकट गहराता जा रहा है.

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