लोगों को फर्जीवाड़े से बचने की सलाह देने वाले बैंक अधिकारी ही ठगी के शिकार होने लगे हैं जिसमे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक ने ठग के झांसे में आकर लापरवाही की सीमा तोड़ दी और लाखों गवा बैठे पुलिस ने 4 लोगो को गिरफ्तार कर लिया है. उनसे पूछताछ की जा रही है.
पिछले महीने 24 जनवरी को दुर्ग के एसबीआई के एसएमई ब्रांच में अज्ञात कॉलर ने अपने आप को दुर्ग के कारोबारी कैलाश मध्यानी का पार्टनर बताया तो उसके झांसे में आकर बैंक मैनेजर ने 18 लाख रुपए दो अलग-अलग अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए. जब ठगी का अहसास हुआ तो बैंक मैनेजर ने मोहन नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद पुलिस ने पुलिस ने हरियाणा और दिल्ली से आरोपियों को गिरफ्तार किया. दरअसल गिरोह के मुख्य सरगना विनय हरियाणा के फरीदाबाद में रहता है जिसके पास से तीन खातों में धोखाधड़ी के करीबन 3500000 रुपए फ्रिज किए गए तो वहीं डेढ़ लाख रुपए नगद एवं अलग-अलग बैंकों के एटीएम कार्ड भी बरामद हुए. आरोपियों से संबंधित बैंक खातों को सील कर दिया गया है और उनसे पूछताछ की जा रहे हैं. आपको बता दें कि आरोपियों के खिलाफ यूपी के गाजियाबाद और मथुरा में भी फाइबर के केस दर्ज है पूरा मामला दुर्ग के मोहन नगर इलाके का है. एसबीआई बैंक कॉलोनी सेक्टर 9 के रहने वाले अनुरंजन कुमार प्रियदर्शी ठगी के शिकार हुए थे. अनुरंजन कुमार प्रियदर्शी अग्रसेन चौक स्टेशन रोड दुर्ग के भारतीय स्टेट बैंक में ब्रांच मैनेजर के पद पर पदस्थ है. 24 जनवरी को ब्रांच मैनेजर के मोबाइल पर फोंन आया और उसने स्वयं को कैलाश मध्यानी का पार्टनर वेंकटेश का मालिक बताते हुए बैंक शाखा में एफडी खोलने का झांसा दिया. इसके अलावा अज्ञात ने अर्जेंट पैसा ट्रांसफर करवाना के लिए कहा और बैंक के ईमेल आईडी में अपनी पूरी जानकारी भेजी जिसमें खाता नंबर में बैंक से पैसा भेजने को लिखा था. उसके बाद ब्रांच मैनेजर को मोबाइल पर लगातार जल्द आरटीजीएस करने को कहा गया और बैंक पहुंचकर चेक जमा करने का हवाला दिया गया. मैनेजर ने अज्ञात ने जो नाम खाता नंबर बताया उसे मिलान करने पर कैलाश मोबाइल एवं खाता चेक नंबर सही पाए जाने पर तत्काल आरटीजीएस के माध्यम से खाता नंबर कुल रकम उक्त दोनों खातों में ट्रांसफर किया. कैलाश मध्यानी शाखा के ग्राहक हैं. ब्रांच मैनेजर ने पुलिस को बताया कि ईमेल पर दी गई चेक नंबर को सही और विश्वास हो जाने पर ग्राहक की परेशानी को देखते हुए उक्त रकम को बताए गए खातों में ट्रांसफर किया गया लेकिन दोबारा मोबाइल फोन पर उसी नंबर से फोन आया. उसने दो और आरटीजीएस करने को कहा जिस पर शंका होने की स्थिति में कैलाश मध्यानी को मैनेजर के सहकर्मी के मोबाइल नंबर से बैंक के रिकॉर्ड में कैलाश मध्यानी के फोन नंबर कॉल किया गया, तब उन्होंने किसी को भी बैंक में किसी प्रकार का पैसा का लेन देन के लिए नहीं कहने की बात बताई. बैंक मैनेजर ने बताया कि उसने दोनों बताएं खातों में लाखो रुपए ट्रांसफर कर दिए उसके थोड़ी देर बाद उसी कॉलर का फिर से फोन आया उसने दो और खातों में आरटीजीएस करने कहा. इस पर बैंक मैनेजर को शक हुआ तो उसने कैलाश मध्यानी को फोन किया, कैलाश मध्यानी ने ऐसे किसी भी लेनदेन से इनकार किया. तब जाकर बैंक मैनेजर को ठगे जाने का एहसास हुआ. उसके बाद उसने इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को दी जिसके बाद पुलिस के आला अधिकारियों ने दर्जनभर अधिकारियों की टीम बनाकर उन्हें सभी जगह भेजा और मामले की छानबीन की. आज सभी आरोपियों को पुलिस ने पूछताछ के बाद न्यायालय में पेश कर दिया है.