छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का BJP ने किया स्वागत… सांसद विजय बघेल ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस, कहा- कांग्रेस की दोहरी राजनीति का हुआ पर्दाफ़ाश

दुर्ग। छत्तीसगढ़ में 76% आरक्षण को लेकर विवाद जारी है। इसी बीच आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है। उच्चतम न्यायालय ने 58% आरक्षण को सही ठहराया है। इस मामले में लेकर दुर्ग जिला भाजपा कार्यालय में दुर्ग लोकसभा के सांसद विजय बघेल ने प्रेस वार्ता ली। प्रेस वार्ता में जिला भाजपा अध्यक्ष जितेन्द्र वर्मा, जिला महामंत्री ललित चंद्राकर, जिला मीडिया प्रभारी राजा महोबिया ,सह मीडिया प्रभारी राकेश दुग्गड, वरिष्ठ भाजपा नेता प्रीतपाल बेलचंदन उपस्थित रहे। प्रेस वार्ता के पश्चात राष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पत्रकारों का शॉल-श्रीफल देकर सम्मान किया गया।

प्रेस वार्ता में लोकसभा सांसद विजय बघेल ने कहा कि आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम अभिनंदन करते हैं। इस फ़ैसले से न केवल प्रदेश की तात्कालीन भाजपा सरकार का 58 प्रतिशत के आरक्षण का फैसला सही साबित हुआ है, बल्कि कांग्रेस जिस तरह इस मामले में भी दोहरी राजनीति करती रही है, उसका भी पर्दाफ़ाश हुआ है।

सांसद विजय बघेल ने आगे कहा कि भाजपा शासन काल में लागू आदिवासियों के 32 प्रतिशत आरक्षण पर कांग्रेसियों द्वारा लगवायी गई रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है। यह भाजपा की वैचारिक जीत है। अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी यह समझ लेना चाहिए कि वे संविधान से ऊपर नहीं हैं। सही नीयत से कानून बनाने पर क्या होता है, वह सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से ज़ाहिर हुआ है। भूपेश बघेल की नीति यदि सच मे सस्ती राजनीति की नहीं होकर वंचितों को न्याय दिलाने की होती, तो सारे संवैधानिक प्रावधानों पर विचार-विमर्श कर कानून बनाया जाता, जैसा भाजपा सरकार ने बनाया था। इसके उलट कांग्रेस के कृत्यों से यह देख सकते हैं कि केवल समाज में विभेद पैदा करने के लिए “बांटो और राज करो” की नीति के तहत समाज के बीच ज़हर फैला कर अपनी रोटी सेंकने का काम हो रहा है।

लोकसभा सांसद विजय बघेल ने आगे कहा कि जैसा कि हम सब जानते हैं कि कांग्रेस नेता पद्मा मनहर और के पी खांडे आदि ने कोर्ट जा कर आदिवासियों का आरक्षण रुकवाया था। इसी तरह पिछड़े वर्ग को दिए आरक्षण के विरुद्ध कांग्रेस सरकार में ही कुणाल शुक्ला अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ कोर्ट गए थे। कांग्रेस सरकार ने आरक्षण की मुख़ालफ़त करने का पुरस्कार जहां श्री खांडे को आयोग का अध्यक्ष बना कर दिया, वहीं कुणाल शुक्ला को कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय की शोध पीठ का अध्यक्ष बनाया। ऐसा दोहरा चेहरा केवल कांग्रेस का ही हो सकता है। आरक्षण के मामले में जब हाईकोर्ट में मामला था, तब भी कांग्रेस ने जानबूझ कर केस को कमजोर किया। कोर्ट में अपना पक्ष सही ढंग से नहीं रखा, जिस कारण वह हाईकोर्ट में मुकदमा हार गयी। इस तरह कांग्रेस ने लगातार वंचित वर्गों से छल किया है।

सांसद विजय बघेल ने कहा कि कांग्रेस हमेशा से न केवल आरक्षण के खिलाफ रही है, बल्कि वह इस पर केवल राजनीति करती रही है। केंद्र में गैर कांग्रेसी भाजपा समर्थित वीपी सिंह की सरकार ही पिछड़ों को नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान लेकर आयी थी। भाजपा के समर्थन से आयी संयुक्त मोर्चा की सरकार ने सबसे पहले शासकीय नौकरियों में पिछड़ों के आरक्षण का प्रावधान किया, उस समय कांग्रेस विपक्ष में थी। जाहिर है कांग्रेस तब भी आरक्षण को विरोधी ही थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मिले इस न्याय से स्पष्ट है कि हाईकोर्ट में शासन ने अपना पक्ष बेहतर नहीं रखा। कांग्रेस चाह रही थी कि सरकार किसी तरह हार जाए। इसीलिए उसने क्वांटिफायबल डेटा आयोग की रिपोर्ट को भी सार्वजनिक नहीं किया है। ऐसे तमाम कृत्यों के कारण कांग्रेस की नीयत पर हमेशा सवाल उठता ही रहेगा। भाजपा का यह स्पष्ट मानना है कि जानबूझ कर कांग्रेस सरकार आरक्षण का मुकदमा हारना चाहती थी ताकि एक भी नौकरी नहीं दे पाने की अपनी विफलता पर वह पर्दा डाल सके। इस फैसले से कांग्रेस का नकाब उतर गया है। उसका असली चेहरा एक बार और जनता के बीच आया है।

लोकसभा सांसद विजय बघेल ने आगे कहा कि करेला पर नीम चढ़ा यह कि आदिवासी दिवस पर शासन के एक मंत्री ने कहा कि आदिवासी युवा पंचर साटने जैसा काम करें, उसी में रोजगार पायें। तो सवाल यही है कि जब उन्हें पंचर ही साटना है तो आपके आरक्षण का क्या लाभ उन्हें? या पंचर साटने में ही उन्हें आरक्षण दे रहे? क्या उस काम के लिए भी आपका आदेश चाहिए ? भाजपा यह मांग करती है कि अब ऐसी सभी बहानेबाज़ी को छोड़ कर कांग्रेस सरकार जल्द से जल्द सभी खाली पदों पर पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ आरक्षण रोस्टर का पालन करते हुए भर्तियां शुरू करे। युवाओं के भविष्य से संबंधित ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर किसी भी तरह की हीलाहवाली अब भाजपा बर्दाश्त नहीं करेगी। प्रदेश के युवा भी इसे सहन नहीं करेंगे। प्रदेश के युवाओं ने सात माह 11 दिन तक छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के षड्यंत्र का दंश झेला। 19 सितंबर 2022 को हाईकोर्ट ने भाजपा सरकार द्वारा युवाओं के हित के लागू 58 प्रतिशत आरक्षण को कांग्रेस नेता कमला मनहर, के पी खांडे के आवेदन पर रोका था । 58 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगाने वाले खांडे को भूपेश सरकार ने पुरस्कृत कर मंत्री का दर्जा दिया है।

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