ARTO समेत 6 लोगों पर दुर्ग में FIR: गाड़ी फाइनेंस के नाम पर धोखाधड़ी…शोरूम, फाइनेंस कंपनी मैनेजर और सेल्समेन पर गिरी गाज, RTO के दो अफसरों पर भी हुई कायमी, क्या है मामला पढ़िए पूरी खबर

भिलाई। फर्जी तरीके से दूसरे के नाम पर वाहन बेचने के मामले में न्यायालय के आदेश के बाद पुलिस ने 6 लोगो के खिलाफ कार्रवाई किया है। पुलिस ने धारा 120,420,467,468,471 के तहत मेसर्स वंदना ऑटो मोबाइल, मैनेजर बजाज ऑटो फाइनेंस, सेल्समेन, अतिरिक्त परिवहन अशिकारी, अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी पर जुर्म दर्ज किया है।

सुपेला पुलिस ने बताया कि प्रगति नगर कृष्णा टाकिज रोड दुबे टेंट हाउस के पीछे रिसाली निवासी सेवानिवृत्त बीएसपी कर्मी अमर सिंह 77 वर्ष ने न्यायालय दुर्ग में परिवाद दायर किया था।

इनके खिलाफ मामला पंजीबद्ध
जिसमे न्यायायल आदेश के बाद विवेक अग्रवाल प्रोप्राईटर मेसर्स वंदना आटो मोबाईल्स, विवेकानंद आश्रम के पास रायपुर, अनिल शर्मा 58 वर्ष वंदना आटो मोबाईल्स रायपुर, जितेंद्र मालवीय 26 वर्ष मैनेजर बजाज ऑटो फाइनेंस लिमिटेड राजबंधा रायपुर, महेंद्र बिसेन सेल्समैन वंदना आटो मोबाइलस 52 वर्ष निवासी रिंग रोड नं 1 कुशालपुर चौक गणपति विहार के पास कलोनी चंगोराभाठा रायपुर, वेंकटेश उर्फ चिन्ना 50 वर्ष आरटीओ एजेंट निवासी सेक्टर 6 सड़क नंबर 12 क्वाटर नं 01/एन भिलाई नगर, ए0जी गनी खान अतिरिक्त परिवहन अधिकारी परिवहन कार्यालय दुर्ग,ललित पांडेय अधीक्षक अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय दुर्ग के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

पुलिस ने बताया कि पीड़ित 1998 में अपनी बेटी के लिए वंदना ऑटो से वाहन खरीदा था जिसका फाइनेंस बजाज ने किया था। लेकिन इस दौरान पीड़ित से कई कोरे दस्तावेजो पर हस्ताक्षर भी कराए गए।

पीड़ित ने सही समय पर फाइनेंस पूरा पटा भी दिया। इस बीच 30 अप्रैल 1998 को दस्तावेज का दुरुपयोग करते हुए उक्त आरोपियो ने मिलकर अन्य व्यक्ति को अमर सिंह के दस्तावेज से एक बजाज की बाइक फाइनेंस कर दी।

गड़बड़ी कैसे की…इसे जरा समझिए
मेसर्स ने ऑटोमोबाइल्स पर कार्यरत आरटीओ एजेंट आरोपी के साथ मिलकर वाहन का पंजीयन भी कराया। जिसका पंजीयन क्रमांक एम.पी 24 ई.सी 9959 था। जिसका छत्तीसगढ़ राज्य के बनने के बाद आरोपीगण संयोजित एवं सुनियोजित ढंग से मिलकर पीड़ित को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से बाइक का छत्तीसगढ़ में पंजीयन क्रमांक बदला गया। जिसका नम्बर अब सी.जी 07 जेड.एन 1983 है।

पीड़ित को इसकी जानकारी तब हुई जब 18 दिसम्बर 2012 को थाना परसवाड़ा जिला बालाघाट में वाहन दुर्घटना हो गया। तब से लेकर फर्जीवाड़े की शिकायत करने पीड़ित भटक रहा था। पुलिस ने किसी भी प्रकार की मदद नही किया। न्यायालय में परिवाद दायर करने के बाद सुपेला पुलिस ने कार्रवाई किया।

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