छत्तीसगढ़ में महापौर का जाति प्रमाण पत्र निरस्त, उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने लिया फैसला

कोरबा। नगर पालिक निगम कोरबा के महापौर राजकिशोर प्रसाद के जाति प्रमाण पत्र को उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने निरस्त कर दिया है। अनुविभागीय अधिकारी कोरबा ने 6 दिसंबर 2019 को राजकिशोर प्रसाद के पक्ष में ‘कोयरी’ या ‘कोइरी’ अन्य पिछड़ा वर्ग का स्थायी सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण पत्र जारी किया था। उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति के अनुसार इस प्रकरण में विजिलेंस सेल की रिपोर्ट, गवाहों के कथन व प्रस्तुत दस्तावेजों के परीक्षण और विस्तृत विवेचना से स्पष्ट है कि धारक अपनी सामाजिक प्रास्थिति को प्रमाणित करने में असफल रहे।

आदिमजाति विभाग के प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा की अध्यक्षता वाली छानबीन समिति ने धारक द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजी साक्ष्य, अभिलेखों के विश्लेषण करने के बाद सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति, अनपुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रासिथति के प्रमाणीकरण का विनियमन) अधिनियम 2013 के अधीन विनिर्मित नियम के प्रावधानों के अनुसार न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी कोरबा से राजकिशोर प्रसाद के पक्ष में जारी ‘कोयरी’ या ‘कोइरी’ अन्य पिछड़ा वर्ग का स्थायी सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण पत्र निरस्त किया जाता है। नियम 2013 और अन्य सुसंगत प्रावधान के अनुसार कार्यवाही किए जाने के लिए कलेक्टर कोरबा को प्राधिकृत किया गया है।

नगर पालिका निगम कोरबा में कुल 67 वार्ड हैं। इसमें वर्ष 2019 में हुए चुनाव में भाजपा के पार्षदों की संख्या अधिक रही। इसके बावजूद महापौर पद के लिए निर्वाचन के समय क्रास वोटिंग होने से कांग्रेस के राज किशोर प्रसाद महापौर निर्वाचित हो गए। भाजपा ने पार्षद रितु चौरसिया को महापौर का प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा था। भाजपा ने रितु चौरसिया को प्रार्थी बनाते हुए जिला न्यायाधीश के समक्ष याचिका दायर करते हुए महापौर राजकिशोर के जाति प्रमाण पत्र को चुनौती दी थी। प्रदेश में भाजपा की सरकार आने से पहले जिला एवं सत्र न्यायालय कोरबा में यह मामला खारिज हो चुका था।

उच्चस्तरीस छानबीन समिति ने लिया अंतिम फैसला

भाजपाइयों ने जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति से भी इसकी शिकायत की थी, जिसका आदेश 4 साल बाद आया था। इस मामले में एसडीएम कोर्ट से आदेश जारी किया गया, जिसमें महापौर राजकिशोर प्रसाद के जाति प्रमाण पत्र को निलंबित करते हुए इसे राज्य स्तर के उच्च स्तरीय छानबीन समिति को भेजा गया था। इसका फैसला अब आया है। समिति ने महापौर का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया है।

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