परसा कोल ब्लॉक पर छत्तीसगढ़ सरकार ने उठाया बड़ा कदम: वन विभाग ने केंद्र सरकार को लेटर लिखकर डायवर्शन की अनुमति को कैंसिल करने का किया आग्रह; पढ़िए पूरी खबर

रायपुर। छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य में वन भूमि को नष्ट कर कोल माइंस बनाने का विरोध पिछले वर्षों से लगातार हो रहा है। इसी मामले में अब छत्तीसगढ़ सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। परसा कोल ब्लॉक का विरोध को देखते हुए राज्य सरकार ने खदान के लिए दी गई वन स्वीकृति को कैंसिल कराने की प्रयास में लग गई है। छत्तीसगढ़ वन एवं जल वायु परिवर्तन विभाग ने केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को लेटर लिखकर खदान के लिए दी गई वन भूमि के डायवर्शन की अनुमति को कैंसिल करने का आग्रह किया है।

अपर सचिव राजपूत ने आज केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में वन महानिरीक्षक को एक लेटर लिखा। जिसमे कहा गया, हसदेव अरण्य कोल फील्ड में व्यापक जनविरोध के कारण कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित हो गई है। ऐसे में जनविरोध, कानून व्यवस्था और व्यापक लोकहित को ध्यान में रखते हुए 841 हेक्टेयर की परसा खुली खदान परियोजना के लिए जारी वन भूमि डायवर्शन स्वीकृति को निरस्त करने का कष्ट करें। इससे पहले सरकार ने विधानसभा में आये एक अशासकीय संकल्प का समर्थन किया था। इसमें केंद्र सरकार से हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खदान परियोजनाओं का आवंटन निरस्त करने की मांग की गई थी।

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला ने कहा, इसे संघर्ष की जीत की दिशा में इसे देखना चाहिए। लेकिन हसदेव को बचाने के लिए यह कम है। परसा कोल ब्लॉक की वन स्वीकृति ग्रामसभा के फर्जी प्रस्ताव के आधार पर हासिल की गई थी। राज्य सरकार ने वन संरक्षण नियम-1980 की धारा 2 के तहत वन स्वीकृति का अंतिम आदेश जारी किया था। इसे वापस लेना पूरी तरह से राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। यदि केंद्र सरकार कार्रवाई नहीं करती है तो राज्य सरकार तत्काल वन स्वीकृति को निरस्त करे। जब तक हसदेव की खनन परियोजनाएं रद्द नहीं होती आंदोलन जारी रहेगा और व्यापक होगा।

केंद्रीय पर्यावरणए वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जुलाई 2019 में ही परसा कोयला खदान को पर्यावरणीय मंजूरी दी थी। हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति सहित स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाया था, जिस प्रस्ताव के आधार पर यह स्वीकृति दी गई है वह ग्राम सभा फर्जी थी। उनकी ग्राम सभा में इस परियोजना का विरोध हुआ था। सरकार ने बात नहीं सुनी और फरवरी 2020 में केंद्रीय वन मंत्रालय ने परसा कोयला खदान के लिए स्टेज-1 वन मंजूरी जारी कर दी। अक्टूबर 2021 में इस परियोजना के लिए स्टेज- 2 वन मंजूरी जारी की गई थी। 6 अप्रैल 2022 को छत्तीसगढ़ सरकार ने भी वन भूमि देने की अंतिम मंजूरी जारी कर दी।

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