BSP के कर्मचारियों के ड्यूटी के समय में किया परिवर्तन, सड़क दुर्घटनाओं को रोकने लिया गया निर्णय… BWU ने कहा- प्रबंधन का तरीका तानाशाही

भिलाई। बीएसपी वर्कर्स यूनियन की बैठक रविवार को संपन्न हुई। यूनियन के पदाधिकारी ने इस बात पर कड़ा विरोध किया कि “भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन अचानक से कर्मियों के किसी मुद्दों पर भी निर्णय ले लेता है और इन निर्णय लेने के पूर्व ना ही यूनियन से बैठक करता है और ना ही इस संबंध में कोई जानकारी देता है जो की गलत परंपरा है। इस प्रकार की नीति किसी भी संस्था में स्वस्थ उद्योगिक संबंध स्थापित करने की दिशा में गलत कदम होगा।” ज्ञात हो कि संयंत्र प्रबंधन ने अचानक से नॉन वर्क एरिया में कार्य करने वाले कर्मी जो कि इस्पात भवन एवं बी टी आई में कार्यरत है उनके समय सीमा को 15 मिनट आगे कर दिया है। प्रबंधन ने यह कार्य गेट में भीड़ कम करने के लिए और सड़क दुर्घटना को रोकने के उद्देश्य किया है। जो भीड़ को देखते हुए आवश्यक था। परंतु यूनियन का कहना है कि इस कार्य को करने का जो तरीका प्रबंधन ने अपनाया है वह एक तानाशाही नीति है। जो कि कभी भी आई डी एक्ट और श्रम कानून में औद्योगिक शांति स्थापित करने की दिशा में किया गया उचित प्रयास नहीं होगा।

यूनियन ने कहा कि भारत देश में आज भी श्रम कानून पालन किया जाता है और कोई भी संस्था नियम कानून और सामंजस्य स्थापित करके ही औद्योगिक शांति लाती है। यहां तक की निजी कंपनियां भी अगर कोई फैसला श्रमिकों के संबंध में लेती है तो भी पहले यूनियन से श्रमिक प्रतिनिधियों से और कर्मचारियों से भी इस संबंध में चर्चा करती है जिससे कि उसमें और कोई सुधार या किसी प्रकार की असुविधा हो रही है तो उसे दूर किया जा सके। परंतु भिलाई इस्पात संयंत्र वर्तमान समय में किसी भी निर्णय को थोपने का प्रयास करता है जो कि गलत परंपरा है यूनियन इसको लेकर केंद्रीय श्रम मंत्री को केंद्रीय श्रम आयुक्त को पत्र लिखेगी और ऐसे तानाशाही नीति का विरोध करेगी इसके पूर्व भी जब संयंत्र में बायोमेट्रिक पद्धति लगाया गया तो यूनियन से किसी प्रकार की भी बात करना या उनको जानकारी देना भी प्रबंधन ने उचित नहीं समझा और इसमें होने वाले किसी भी परेशानी से कैसे निपटा जाए इस पर विचार विमर्श करना उचित नहीं समझा। जिसका परिणाम यह हुआ कि आज भी गेट की व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित नहीं हो पा रही है और लोगों को ड्यूटी टाइम में बाहर निकालने के लिए 15 मिनट से आधे घंटे का अतिरिक्त समय देना पड़ रहा है जो उचित नहीं है।

उन्होंने आगे बताया कि, जब कोई कर्मचारी बायोमेट्रिक में अपनी हाजरी लगता है तो उसे वह हाजिरी सिस्टम में एक दिन बाद दिखता है यह आज के आधुनिक व्यवस्था में हास्यप्रद है। जबकि हाजिरी लगाते साथ सिस्टम में अपडेट हो जाना चाहिए। बी एस पी वर्कर्स यूनियन प्रबन्धन से यह मांग रखती है कि प्रबंधन अपने कल के फैसले पर पुनर्विचार करे साथ ही ड्यूटी पहुंचने के समय में दी गई 12 दिन 15 मिनट देर तक की छूट की समय सीमा को बढ़ाकर काम से कम 15 दिन करे इसके साथ ही ड्यूटी से निकलने के समय पर भी कम से कम 10 दिन के लिए 15 मिनट पहले निकलने का सुविधा प्रदान करे साथ ही दिव्यांग कर्मचारी को अतिरिक्त 30 मिनट की रियायत आने और जाने के समय पर दिया जाए।

यूनियन ने मांग रखी कि, इसके साथ ही मेट्रो सिटी के तर्ज पर बी एस पी में भी फ्लेक्सी टाइमिंग लागू करे। यूनियन में प्रबंधन से यह भी अनुरोध किया की भविष्य में कोई भी फैसला जो कर्मचारी से जुड़ा हो लेने के पूर्व यूनियन से और कर्मचारियों से चर्चा कर एक सामंजस्य बनाने की दिशा में कार्य करें। ऐसी नीति अपनाने से कार्य सार्थक होगा प्रबंधन यूनियन या कर्मचारियों से चर्चा करने को अपने सम्मान में कमी ना समझे। बैठक में प्रमुख रूप से यूनियन के अध्यक्ष उज्ज्वल दत्ता , महासचिव खूबचंद वर्मा कार्यकारी महासचिव शिव बहादुर सिंह अतिरिक्त महासचिव दिलेश्वर राव, सुरेश सिंह, विमल कांत पाण्डेय ,मनोज डडसेना, सुभाष महाराणा ,लूमेश कुमार,अमित बर्मन, प्रदीप सिग, संदीप सिंह ,राजेश फिरंगी,रवि शंकर सिंह, मंगेश हरदास, डी पी सिंह,अभिषेक सिंह, नितिन कश्यप, राजकुमार सिंह, कृष्णमूर्ति, अजय तोमारिया, घनश्याम साहू,ईमान सिन्हा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

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