बिलासपुर, कवर्धा। 25 सितम्बर 2024 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया, न्यायालय ने याचिका क्रमांक 177/2024 और याचिका क्रमांक 966/2024 पर सुनवाई करते हुए बकेला ट्रस्ट द्वारा निर्माण किए जा रहे तीर्थ क्षेत्र की भूमि के संबंध में अहम फैसला दिया। न्यायालय ने यह माना कि यह भूमि स्व. गौतम चंद जैन द्वारा क्रय की गई थी, जो आचार्य मनोज्ञ सागर की प्रेरणा से थी। इस निर्णय के बाद, बकेला ट्रस्ट को आदेश दिया गया कि वे तीर्थ क्षेत्र के प्रमुख स्थान पर “स्व. श्री गौतम चंद जी जैन” परिवार का नाम सुंदर पत्थर पर अंकित करें। इस आदेश को बकेला ट्रस्ट के कार्यकारी अध्यक्ष सुधीर डाकलिया ने खुशी-खुशी स्वीकार किया। इसके साथ ही, स्व. गौतम चंद जैन के परिवार द्वारा 13 एकड़ 56 डिसमिल भूमि तीर्थ निर्माण हेतु सहर्ष प्रदान की गई है।

इतिहास और तीर्थ निर्माण की शुरुआत
सन् 1978 में बकेला गांव में स्थित 1250 साल पुरानी श्री पार्श्वनाथ भगवान की काले पत्थर से बनी 51 इंच ऊंची प्रतिमा की जानकारी जैन समाज को मिली थी। मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री विरेन्द्र कुमार सखलेचा और अन्य नेताओं के प्रयासों से इस प्रतिमा को पंडरिया में स्थापित किया गया था। गौतम चंद जैन ने आचार्य मनोज्ञ सागर की प्रेरणा से इस तीर्थ क्षेत्र का निर्माण शुरू किया। उन्होंने अपने परिवार की पुण्य स्मृति में 13 एकड़ भूमि खरीदी, जिससे इस स्थान पर भव्य तीर्थ स्थल विकसित हो सके।
समाज की विशेष प्रेरणा और मार्गदर्शन
इस तीर्थ निर्माण में समाज और प्रशासन का भी पूरा सहयोग मिला। यात्रियों के लिए भवन निर्माण ज्ञानचंद लूनिया परिवार द्वारा कराया गया, जबकि भोजन शाला का निर्माण अनुप चंद देवराज बैद परिवार ने किया। इस तीर्थ निर्माण के मार्ग में कई धार्मिक गुरु और समाज के वरिष्ठ सदस्य शामिल हुए, जिनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन से यह परियोजना संभव हो सकी। विशेष रूप से, खरतरगच्छाधिपति आचार्य जिन मणिप्रभ सूरिश्वर , गणाधीस पन्यास प्रवर विनय कुशल मुनि और तप चक्रवर्ती विराग मुनि जी की विशेष भूमिका रही। इस ऐतिहासिक निर्णय के बाद, सर्व जैन समाज ने खुशी जताई और स्व. गौतम चंद लोढ़ा परिवार की उदारता की सराहना की।
बकेला तीर्थ निर्माण में सक्रिय रूप से योगदान देने वालों में विजय कांकरिया, गौतम चंद लोढ़ा, नरेंद्र लोढ़ा, प्रकाश जी लोढ़ा और अन्य समाजिक कार्यकर्ताओं का विशेष योगदान रहा। इसके अलावा, वरिष्ठ अधिवक्ताओं आनंद शुक्ला जी, अमिताब मिश्रा और शरद मिश्रा का भी आभार व्यक्त किया गया। इस ऐतिहासिक निर्णय से जैन समाज में खुशी की लहर है और बकेला तीर्थ के भविष्य को लेकर सभी में उत्साह है।