Chhattisgarh : BMW कार से घूमता है ‘नौकर’, सरकारी नौकरी को बताया चिड़ियाघर, शिक्षा विभाग ने डीईओ को आदेश जारी कर शिक्षकों की मांगी जानकारी, जानिए पूरा मामला…

रायपुर. छत्तीसगढ़ में अजीबो गरीब मामला सामने आया है, जहां एक ‘नौकर’ बीएमडब्ल्यू कार से घूमता है. सरकारी नौकरी को चिड़ियाघर बताने वाले ज्ञानी सिंह ध्रुव का कहना है कि नौकर नहीं मालिक माइंडसेट में रहकर काम करना है. 2005 से 2024 यानी 20 वर्षों में प्रधानपाठक रहते मैंने जीवन स्तर नहीं बदल पाया. इस्तीफा देने के बाद चंद महीने में ही लाइफस्टाइल के साथ माइंडसेट बदल गया. बता दें कि ज्ञानी ध्रुन अब ऑनलाइन नेटवर्क मार्कटिंग का काम कर रहे। उन्होंने प्रधानपाठक रहते कई बार विदेश यात्रा भी की है. पूरा मामला मुंगेली जिले के लोरमी ब्लाॅक का है. इस मामले में अब शिक्षा विभाग ने संज्ञान लिया है।

ऐसे ही कई शिक्षक बच्चों को पढ़ाना छोड़कर ऑनलाइन नेटवर्क मॉर्केटिंग का काम कर रहे. बिलासपुर के संयुक्त संचालक ने संभाग के सभी डीईओ को आदेश जारी कर निजी कंपनी के प्रचार में लगे शिक्षकों की जानकारी मांगी है. जारी आदेश में कहा गया है कि देखने में आया है कि संभाग के कार्यरत कुछ शिक्षक बच्चों को पढ़ाना छोड़कर निजी कंपनी से जुड़कर उनके प्रसार-प्रचार में जुटे हैं. कुछ स्थानों पर शिक्षकों नेटवर्क मार्केटिंग के लिए शाला अवधि में ऑनलाइन ट्रेनिंग करते हैं. इसमें विद्यार्थियों की भी मदद ली जा रही है. ऐसे शिक्षकों की प्रमाण सहित जानकारी उपलब्ध कराई जाए.

ज्ञानी ध्रुव की पत्नी लोरमी स्कूल में हैं प्रधानपाठक

ज्ञानी ध्रुव ने प्रधानपाठक पद से इस्तीफा देते हुए बीईओ को सौंपे त्यागपत्र में लिखा है कि अब उन्हें नौकर नहीं मालिक माइंडसेट में रहकर काम करना है. अब वह चिड़ियाघर में रहकर अपना और अपने लोगों की जिंदगी नहीं बदल सकते. उन्होंने सोशल मीडिया में भी पोस्ट किया है. हालांकि यह जांच का विषय है कि जो काम 20 वर्षों में नहीं कर पाए वह इतने कम समय में कैसे कर दिखाया है. बता दें कि जिस प्रधानपाठक ने सरकारी नौकरी को चिड़ियाघर करार देते हुए खुद त्यागपत्र BEO को सौंपा है, उनकी पत्नी प्रभा ध्रुव अभी लोरमी के एक स्कूल में प्रधानपाठक के पद पर कार्यरत हैं.

पूर्व प्रधानपाठक ज्ञानी ध्रुव ने नौकरी से यह कहते हुए त्यागपत्र सौंपा है कि वह अब नौकर माइंडसेट से निकलना चाहते हैं. मगर इससे पहले वह BMW खरीद लिया है. उन्होंने अपने त्यागपत्र में लिखा है कि 2005 से शासकीय शिक्षक के रूप में अपने कर्तव्यों का पूरी ईमानदारी से निर्वहन किया हूं. 20 वर्ष की सेवा पूरा करने के बाद भी मेरे एवं मेरे परिवार की स्थिति में कुछ खास परिवर्तन नहीं आया है, क्योंकि शासकीय नौकरी का मतलब हमारा मालिक कोई और है. मैं आगे का जीवन नौकर माइंडसेट के साथ नहीं जी सकता हूं. इस कारण से पूरे होशो हवास में मालिक माइंडसेट से जीने के लिए अपनी सुरक्षा से त्यागपत्र दे रहा हूं, क्योंकि मैं चिड़ियाघर में रहकर अपना और अपने लोगों का जिंदगी नहीं बदल सकता. इसके साथ ही मेरा त्यागपत्र स्वीकृत करने की कृपा करें. उन्होंने बीते दिनों बीईओ को त्यागपत्र देते हुए फोटो खींच सोशल मीडिया में वायरल भी किया है.

जानिए कौंन हैं ज्ञानी सिंह ध्रुव के गुरु

बताया जा रहा है कि शशि कुमार बैरागी वैष्णव रायगढ़ में शिक्षक के पद पर पदस्थ थे. बैरागी ने शिक्षक पद से इस्तीफा देकर ऑनलाइन नेटवर्क मार्केटिंग का काम शुरू किया. उन्हें गुरु मानकर उनके ही नक्शे कदम पर अब ज्ञानी सिंह ध्रुव अपना और अपने लोगों का जीवन बदलने सरकारी नौकरी को चिड़ियाघर कहते हुए प्रधानपाठक पद से इस्तीफा दिया और ऑनलाइन नेटवर्क मार्केटिंग के काम में लगे हुए हैं.

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