रायपुर। राजधानी रायपुर में चायनीज मांझे की वजह से 7 साल के मासूम की मौत हो गई। मासूम पिता के साथ गार्डन घूमने जा रहा था। अचानक एक चाइनीज मांझा उड़कर आया और बच्चे के गले में फंस गए। थोड़ी ही देर में बच्चा लहूलुहान हो गया। बच्चे ने अंबेडकर अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। यह घटना पचपेड़ी नाका की है।
जानकारी के मुताबिक, पिरदा के रहने वाले धनेश साहू (35) गाड़ी मैकेनिक हैं। वे संतोषी नगर में किराए के मकान में रहते हैं। कार शो रूम में काम करते हैं। धनेश ने बेटे की मौत के लिए पुलिस-प्रशासन को जिम्मेदार माना, क्योंकि प्रतिबंध के बाद भी शहर में खुलेआम चायनीज मांझा बिक रहा है।

उन्होंने रोते हुए बताया कि उनके दो बेटे हैं। बड़ा बेटा फलेश साहू (12) और छोटा पुष्कर साहू (7) था। छोटा बेटा पुष्कर पहली कक्षा में पढ़ता था। उसने रविवार शाम गार्डन जाने की जिद की। तब मोपेड पर शाम को कटोरा तालाब गार्डन जाने के लिए निकले थे। साथ में पड़ोसी की बच्ची भी थी। संतोषीनगर ब्रिज के नीचे से पचपेड़ीनाका आ रहे थे। ब्रिज के पास एक मांझा उड़कर आया। पुष्कर मोपेड में आगे खड़ा हुआ था। मांझा सीधे उसके गले में फंस गया।
जैसे ही मोपेड आगे बढ़ी, मांझा गले में कस गया। पुष्कर जोर से चीखा, तब मैंने मोपेड रोकी। देखा तो उसके गले से खून बह रहा था। कपड़ा खून से रंग गया। मैंने हड़बड़ा कर मोपेड खड़ी की। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। आसपास वाले दौड़कर आए। पुष्कर को उठाकर ऑटो में बिठाया और नजदीक के अस्पताल ले गए। वहां इलाज करने से हाथ खड़ा कर दिए।
तब उसे बैरनबाजार के बच्चों के बड़े अस्पताल ले गए। वहां इलाज के लिए जरूरी संसाधन नहीं होने की बात कही गई। तब मैं पुष्कर को उठाकर अंबेडकर अस्पताल ले गया, जहां डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया, लेकिन कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई। उसका गला मांझे से बुरी तरह से कट गया था। मांझा ब्रिज के ऊपर से आया था। प्रशासन व पुलिस ने राजधानी में हुई 10 दिसंबर की घटना के बाद चाइनीज मांझे पर सख्त कार्रवाई का दावा किया था पर कार्रवाई तो दूर एक भी जगह छापेमारी नहीं की। किसी दुकान से मांझा जब्त नहीं किया है।