17 रुपए था मौत का टिकट: 150 के करीब पहुंची मोरबी पुल हादसे में मरनेवालों की संख्या… BJP सांसद के परिवार के 12 लोगों की भी हुई मौत

मल्टीमीडिया डेस्क। गुजरात के मोरबी में 140 साल पुराने केबल ब्रिज टूटने के बाद मरने वालों की लगातार बढ़ती जा रही है। बताया जा रहा है कि इस हादसे में अब तक मरनेवालों की संख्या 150 के करीब पहुंच गई है। इनके शव मोरबी के सिविल हॉस्पिटल में पहुंचा दिए गए हैं। मरने वालों में 50 से ज्यादा बच्चे और महिलाएं हैं। जिनमें राजकोट से भाजपा के सांसद मोहन कुंदरिया के परिवार के 12 लोग भी शामिल हैं। वहीं अब तक 170 लोगों को रेस्क्यू किया गया है। जिला प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर (02822243300) जारी किया है। इसके अलावा घायलों के इलाज के लिए मोरबी और राजकोट हॉस्पिटल में इमरजेंसी वार्ड बनाया गया है।

पीएम मोदी ने जताया दुख, जा सकते हैं मोरबी
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मोरबी जा सकते हैं। इस दौरान उनके घायलों और मृतकों के परिवार वालों से मिलने की संभावना जताई जा रही है। दरअसल, पीएम मोदी गुजरात और राजस्थान के तीन दिन के दौरे पर हैं। हादसे के चलते उनके कार्यक्रम में बदलाव किया गया है। सोमवार को अहमदाबाद में मोदी की ओर से होने वाला रोड शो रद्द कर दिया गया है।

क्षमता से अधिक लोग पहुंच गए पुल पर
सड़क एवं भवन विभाग मंत्री जगदीश पांचाल ने भास्कर से हुई बातचीत में कहा कि यह पुल नगर निगम के दायरे में आता है। निगम के अधिकारियों ने बताया कि ब्रिज की क्षमता 100 लोगों की है, लेकिन रविवार की छुट्टी होने के चलते हादसे के वक्त ब्रिज पर 400 से 500 लोग जमा थे। इसी के चलते ब्रिज बीच से टूट गया। मोरबी के भाजपा सांसद मोहन कुंडारिया ने बताया कि ब्रिज टूटने से जहां लोग गिरे, वहां 15 फीट तक पानी था। कुछ लोग तैरकर बाहर निकल आए, लेकिन कई लोग झूले पर अटके रहे।

मोरबी हादसे को लेकर रखरखाव करने वाली एजेंसी के खिलाफ 304, 308 और 114 के तहत क्रिमिनल केस दर्ज किया गया है, आज से ही जांच शुरू की गई है। बता दें कि ब्रिज के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप के पास है। इस ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037 यानी 15 साल के लिए मोरबी नगर पालिका के साथ एक समझौता किया है। ग्रुप के पास ब्रिज की सुरक्षा, सफाई, रखरखाव, टोल वसूलने, स्टाफ का प्रबंधन है।

143 साल पहले हुआ निर्माण
मोरबी का यह सस्पेंशन ब्रिज 143 साल पुराना है और इसकी लंबाई करीब 765 फीट है। यह सस्पेंशन ब्रिज गुजरात के मोरबी ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक धरोहर है। इस ब्रिज का उद्घाटन 20 फरवरी 1879 को मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था।राजा-महाराजाओं के समय का यह पुल ऋषिकेश के राम-झूला और लक्ष्मण झूला पुल कि तरह झूलता हुआ सा नजर आता था, इसलिए इसे झूलता पुल भी कहते थे.

मैंटनेंस के बाद 25 अक्टूबर को लोगों के लिए खोला गया
यह पुल पिछले 6 महीने से बंद था। हाल ही में करीब 2 करोड़ रुपए की लागत से इसके मरम्मत का काम पूरा किया गया था। दिवाली के एक दिन बाद यानी 25 अक्टूबर को गुजराती नववर्ष पर इसे आम लोगों के लिए खोला गया था। रिनोवेशन के बाद भी इतना बड़ा हादसा होने पर अब कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. बताया जा रहा है कि फिटनेस सर्टिफिकेट लिए बिना ही ब्रिज को शुरू कर दिया गया था. ब्रिज पर घूमने आए लोगों को 17 रुपए का टिकट खरीदना होता था। वहीं, बच्चों के लिए 12 रुपए का टिकट अनिवार्य था.

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