दुर्ग डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में नवजात बच्चों के अदला-बदली मामले में बड़ा अपडेट: जिला प्रशासन द्वारा गठित जांच समिति ने पेश की रिपोर्ट; अब होगा DNA टेस्ट

दुर्ग। जिला चिकित्सालय दुर्ग के मातृ-शिशु अस्पताल में नवजात शिशुओं के अदला-बदली के मामले में जिला प्रशासन ने एक जांच समिति का गठन किया था। समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट न्यायपीठ बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत की, जिसके बाद समिति ने शिशुओं के हित को ध्यान में रखते हुए डी.एन.ए टेस्ट (DNA Test) करवाने का आदेश पारित किया है। इस प्रक्रिया की कार्यवाही जारी है। सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक ने बताया कि इस मामले में दोनों नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य की जांच शिशु रोग विशेषज्ञ द्वारा की गई है, और दोनों शिशु पूरी तरह से स्वस्थ पाए गए हैं।

क्या होता है DNA टेस्ट?
डीएनए टेस्ट एक वैज्ञानिक परीक्षण है, जो किसी व्यक्ति के आनुवंशिक जानकारी को पहचानने के लिए किया जाता है। यह टेस्ट शरीर से रक्त, लार या अन्य ऊतक का नमूना लेकर किया जाता है। डीएनए टेस्ट का उपयोग पारिवारिक संबंधों की पुष्टि, अपराध स्थल पर साक्ष्य की पहचान, और स्वास्थ्य जांच में किया जाता है। यह परीक्षण विशेष रूप से तब उपयोगी होता है जब शारीरिक गुण, जन्म प्रमाणन, या रिश्तों को साबित करना हो। डीएनए टेस्ट विश्वसनीय और सटीक होता है, जो समाज में न्याय की प्रक्रिया को प्रभावी और मजबूत बनाता है।

एक परिवार ने की थी DNA टेस्ट की मांग; देखिये वीडियो

क्या है पूरा मामला देखिये संजय की रिपोर्ट

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