दुर्ग की हिषा बघेल बनी नेवी में ‘अग्निवीर’: नौसेना SSR की पहली महिला बैच में सिलेक्शन सुबह 4 बजे उठकर ट्रेनिंगपिता थे ऑटो चालक अभी कैंसर से है पीड़ित ये स्टोरी मोटीवेट करने वाली है पढाई में भी है अव्वल इंडियन

– घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के बावजूद हिषा ने नहीं मानी हार
– बेटी का जज्बा देख माता-पिता ने भी डिफेंस ज्वाइन करने के लिए किया मोटीवेट

दुर्ग। दुर्ग जिले के ग्राम बोरीगारका की बेटी हिषा बघेल का सिलेक्शन इंडियन नेवी एसएसआर की पहली महिला बैच में हुआ है। हिषा के पिता 12 सालों से कैंसर के बीमारी से पीड़ित है। घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नही होने के बावजूद भी हिषा ने हार नहीं मानी। नौसेना में भर्ती के लिए अल सुबह 4 बजे उठ कर दौड़ लगाती है। हिषा पढाई में भी अव्वल है। 12वीं बोर्ड की एग्जाम में हिषा ने 96 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। उनके मां बाप ने भी हिषा के देश प्रेम के जज्बे को देखते हुए डिफेंस में जाने की बात स्वीकार कर लिया है। जिसके बाद हिषा ने नौसेना में राज्य की पहली अग्निवीर बन कर अपनी प्रतिभा साबित कर दिखाई है।

पिता थे ऑटो चालक
हिषा का गांव बोरीगारका दुर्ग से करीब 16 किमी दूर है। हिषा के पिता संतोष बघेल ऑटो चालक थे मगर 12 साल पूर्व उन्हें कैंसर हो गया। उनके इलाज के लिए जमीन व गाड़ी बेचनी पड़ी थी। परिवार वालों की इच्छा हिषा को डॉक्टर बनाने की थी।

देश के टॉप 200 महिलाओं में हुई सेलेक्ट
भारतीय नौसेना में SSR (सीनियर सेकेण्डरी रिक्रूट) की पहली महिला बैच में दुर्ग जिले के ग्राम बोरीगारका की बेटी हिषा बघेल चुनी गई हैं। भारतीय नौसेना में अग्निवीर योजना के तहत 560 पदों पर महिलाओं की भर्ती होनी है। इसमें पहले चरण में देशभर से जिन दो सौ महिलाओं का चयन किया गया है उनमें हिषा बघेल शामिल है।

स्कूल में NCC कैडेट थी हिषा
हिषा ने मेरिट के आधार पर चयन के स्टेज वन को पास किया और उसके बाद विशाखापट्टनम में लिखित परीक्षा और फिजिकल टेस्ट में उसका प्रदर्शन अच्छा रहा। नतीजों के आधार पर हिषा को चुन लिया गया। फिलहाल उसकी ट्रेनिंग चल रही है, जिसका पहला चरण मार्च में खत्म होगा। हिषा स्कूल में एनसीसी में भी थी।

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