भिलाई नगर निगम की निविदाओं में अनुचित नियमों पर पूर्व पार्षद ने उठाए सवाल… नियम और शर्तों का उल्लंघन का लगाया आरोप, आयुक्त से की शिकायत

भिलाई। भिलाई नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग द्वारा 15वें वित्त आयोग के तहत विभिन्न सामग्रियों की खरीदी के लिए जेम के माध्यम से निविदा बुलाई गई है, लेकिन पूर्व पार्षद ललित मोहन ने इस प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि नगर निगम ने निविदाओं के लिए नियम एवं शर्तों में असंगतियां डाली हैं, जिससे भ्रष्टाचार और अनैतिक लाभ की संभावना पैदा हो गई है। उन्होंने इन नियमों को शासन के निर्धारित दिशा-निर्देशों और भंडार क्रय नियमों के खिलाफ करार दिया और इसकी शिकायत उन्होंने निगम कमिश्नर से करते हुए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।

नियम और शर्तों में असंगतियां!

पूर्व पार्षद ललित मोहन ने कहा कि भिलाई नगर निगम द्वारा बुलाई गई निविदाओं में 28 कंडिकाओं की एक जैसी नियम और शर्तें लागू की गई हैं, जो विभिन्न प्रकार की सामग्री की खरीदी के लिए अलग-अलग होनी चाहिए थीं। उदाहरण स्वरूप, डीजल से चलने वाली ट्रक, बैटरी से चलने वाली रिक्शा, पैडल से चलने वाली रिक्शा और हाथ से खींचने वाली कचरा गाड़ी के लिए एक समान नियम लागू करना, पूरी तरह से अनुचित और गलत है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन शर्तों को जानबूझकर इस तरह से तैयार किया गया है ताकि केवल कुछ विशेष कंपनियों को लाभ पहुंचे। उदाहरण के लिए, कंडिका क्रमांक 2 में यह शर्त डाली गई है कि निविदाकार के पास टोल फ्री नंबर होना चाहिए, अन्यथा निविदा में भाग नहीं लिया जा सकता। इससे केवल बड़ी कंपनियां जो टोल फ्री नंबर का उपयोग करती हैं, निविदा में भाग ले पाएंगी, जबकि छोटी और स्थानीय कंपनियां बाहर हो जाएंगी। इसी तरह, कंडिका क्रमांक 17 से 22 तक में ऐसी शर्तें लगाई गई हैं जो पूरी तरह से इस कार्य से संबंधित नहीं हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माताओं को नुकसान- पूर्व पार्षद

ललित मोहन ने इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया कि भिलाई नगर निगम ने छत्तीसगढ़ शासन के भंडार क्रय नियमों का उल्लंघन किया है। इस नियम का उद्देश्य राज्य के लघु और स्थानीय निर्माताओं को प्राथमिकता देना है, लेकिन निगम ने यह शर्तें लागू कर राज्य के छोटे उद्योगों को बाहर कर दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य में 15 से अधिक निर्माता पहले से उपलब्ध हैं, लेकिन भ्रष्टाचार के कारण निगम ने एकतरफा और अनावश्यक शर्तें लागू कीं ताकि केवल कुछ विशेष कंपनियों को फायदा हो सके।

कुम्हरी नगर पालिका का उदाहरण

ललित मोहन ने कुम्हरी नगर पालिका का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां निविदाओं के लिए केवल छह कंडिकाएं मांगी गई थीं, जिनमें जरूरी प्रमाण पत्र जैसे पैन कार्ड और GST सर्टिफिकेट शामिल थे, ताकि सही दर पर सामग्री खरीदी जा सके। जबकि भिलाई नगर निगम ने इतनी सारी अनावश्यक और जटिल शर्तें लागू की हैं, जो पूरी तरह से भ्रामक और अनुचित हैं।

निविदा की प्रक्रिया पर सवाल

पूर्व पार्षद ने यह भी कहा कि निविदा की प्रक्रिया में समय की सीमा केवल 20 दिन रखी गई है, जो पूरी तरह से अपर्याप्त है। उन्होंने आरोप लगाया कि निगम ने राज्य शासन से अनुमति लेने के बजाय अपने मन मुताबिक नियम और शर्तें तय कीं और अब भ्रष्टाचार की स्थितियां पैदा हो रही हैं। ललित मोहन ने अधिकारियों से निवेदन किया कि इस मामले की सूक्ष्म जाँच की जाए और जो अधिकारी दोषी पाए जाएं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि नियम और शर्तों का सरलीकरण किया जाना चाहिए ताकि निगम को उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री उचित दर पर मिल सके। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि भिलाई नगर निगम के पिछले कार्यों की भी जाँच होनी चाहिए, ताकि यह पता चल सके कि क्या ऐसी बेवजह की शर्तें लगाकर शासन को ठगा गया है।