दुर्ग में वाटर कंजर्वेशन पर बढ़िया काम: जल शक्ति अभियान के लिए दुर्ग पहुंचे ज्वाइंट सेक्रेटरी ने ली बैठक…नरवा जैसी योजनाओं से हुए काम की तारीफ की

भिलाई। जिले में वाटर कंजर्वेशन प्लान बने तथा रोडमैप के मुताबिक जल संरक्षण का कार्य हो सके। साथ ही पुरानी बिल्डिंग के वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम चेक करें, यदि जरूरी हो तो उनकी डिसेल्टिंग करें ताकि वाटर रिचार्ज पुख्ता हो सके। यह बात जल शक्ति अभियान के संबध में संयुक्त सचिव न्याय विभाग, विधि एवं न्याय मंत्रालय प्रवास प्रसून पांडेय ने अधिकारियों की ली बैठक में कही।

उन्होंने दुर्ग जिले में नरवा जैसी योजनाओं के माध्यम से हो रहे वाटर रिचार्जिंग के कार्य की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि दुर्ग जिले में शहरीकरण अधिक है। इससे स्वाभाविक रूप से बड़ी आबादी को देखते हुए भविष्य की जरूरतों के मुताबिक जल संरक्षण का एक प्लान तैयार कर लें। उन्होंने कहा कि इसके लिए वाटर हारवेस्टिंग को बढ़ावा देना जरूरी है। शहरों में इस बात की पुख्ता व्यवस्था हो कि वाटर हारवेस्टिंग हर घर में हो सके, ताकि तेजी से भूमिगत जल का संरक्षण हो सके। पांडेय ने जिन बिन्दुओं पर जोर दिया, उनमें वाटर हारवेस्टिंग प्रमुख थी।

उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में वाटर हारवेस्टिंग का कार्य प्रमुखता से हो। इसके साथ ही उन्होंने तालाबों और कुँओं के जीर्णोद्धार की बात भी कही। इसके साथ ही उन्होंने जियो टैगिंग की बात भी कही। जिला पंचायत सीईओ अश्विनी देवांगन ने बताया कि जियो टैगिंग की जा रही है। अभी अमृत सरोवर के लिए भी जियोटैगिंग की गई है। उन्होंने जिले में नरवा योजना की विशेष रूप से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नरवा योजनाओं के माध्यम से जलस्तर तेजी से बढ़ा है और 5000 से अधिक संरचनाएं अभी नरवा के दूसरे चरण में दुर्ग जिले में बनाई गई हैं।

सीईओ ने बताया कि इससे किसान दूसरी फसल भी लेने लगे हैं। जिन गांवों के किनारे नरवा स्ट्रक्चर के कार्य हुए हैं वहां तेजी से जलस्तर बढ़ा है। इसके साथ ही पुराने स्ट्रक्चर का जीर्णोद्धार भी हुआ है जिससे सिंचाई के क्षेत्र में पुख्ता कार्य जिले में हुआ है। जलसंसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता सुरेश पांडेय ने विस्तार से सिंचाई के क्षेत्र में किये गये कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि धमधा जैसे क्षेत्र जहां जलसंकट रहता था। वहां नरवा के कार्य एवं सिंचाई योजनाओं के माध्यम से सिंचाई के रकबे में प्रभावी वृद्धि की गई है।

पाटन क्षेत्र में लिफ्ट इरीगेशन योजनाओं के माध्यम से रकबे में वृद्धि की गई है। संयुक्त सचिव ने कहा कि जलसंरक्षण का कार्य सबसे अहम है। इसके लिए योजनाएं बनाने के साथ यह भी जरूरी है कि पानी का समुचित दोहन हो। शहरी क्षेत्र में सार्वजनिक रूप से जलापूर्ति होती है। इस पर नजर रखने की जरूरत है कि पानी यूं ही बर्बाद तो नहीं हो रहा। पानी को बचाने के माध्यम से भी बड़े पैमाने पर हम जलसंरक्षण कर सकते हैं।

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