बेमेतरा। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के मोहतरा (ख) गांव में एक परिवार की दिल दहलाने वाली कहानी सामने आई है। 14 साल से लगातार सामाजिक बहिष्कार, जातीय हिंसा और प्रशासनिक उपेक्षा के चलते श्यामदास सतनामी और उनके 16 परिजनों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर सामूहिक इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है।

परिवार का आरोप है कि 2009 में तत्कालीन सरपंच और उपसरपंच ने 50 हजार रुपये लेकर उन्हें शासकीय जमीन पर बसाया था। मेहनत से बनाए कच्चे मकान को 2011 में गांव के कुछ लोगों ने जातिगत द्वेष के चलते आग के हवाले कर दिया और सामान लूट लिया। 2019 में अमानवीयता की हद तब पार हुई, जब परिवार को अर्धनग्न अवस्था में गांव में घुमाकर पुलिस चौकी की मौजूदगी में जबरन माफी मांगने को मजबूर किया गया। बच्चों को सखी सेंटर में 15 दिन तक रखा गया।
2024 में एक बार फिर उनका मकान जेसीबी से ढहा दिया गया। बिजली काट दी गई। 18 जून 2025 को बरसात के बीच प्रशासन ने बिना नोटिस या वैकल्पिक व्यवस्था के उनकी झोपड़ी फिर तोड़ दी। अब यह परिवार खुले आसमान तले बिना छत, बिजली और पानी के जीने को मजबूर है।