रूंगटा इंजीनियरिंग कॉलेज में इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस डिबेट: IIT भिलाई के डायरेक्टर ने बताया चिकित्सा जगत का फ्यूचर… दो साल में डॉक्टर्स की जगह लेगा एआई… भिलाई सहित देशभर के अस्पतालों से मरीजों का डेटा मांग रहा गूगल

भिलाई। आज का समय पूरे तरीके से साइंस और टेक्नोलॉजी का है। टेक्नोलॉजी ने हर क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन लाया है। इसी प्रकार अगले दो साल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन लाएगा। गूगल एआई और मशीन लर्निंग का उपयोग कर ऐसी तकनीक पेश करने वाला है, जिससे कंप्यूटर डॉक्टर की तर्ज पर काम करेंगे। इसके लिए गूगल ने भिलाई सहित देशभर के अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों से मरीजों की बीमारियों का डाटा और डॉक्टरों द्वारा दिए गए प्रिस्क्रिप्शन एकत्रित करना शुरू कर दिया है। ये बातें आईआईटी भिलाई के डायरेक्टर डॉ. राजीव प्रकाश ने शुक्रवार को रूंगटा आर-1 इंजीनियरिंग कॉलेज में हुए इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस शास्त्रार्थ में बतौर मुख्य अतिथि बताईं। उन्होंने कहा कि इस तकनीक का सबसे अधिक फायदा रुरल क्षेत्रों में होगा, जहां डॉक्टर्स की बेहद कमी है। शास्त्रार्थ में शामिल होने के लिए अमरीका और सिंगापुर के प्रोफेसर भिलाई पहुंचे हैं, जो दो दिनों तक देशभर से आए 300 से अधिक शोधार्थियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में आए नए क्रांतिकारी बदलाव समझाएंगे।

आईआईटी डायरेक्टर डॉ. प्रकाश ने बताया कि गूगल डॉक्टरों से मिले डेटा को मशीन में फीड कर रहा है। इसकी मदद से वह दिन दूर नहीं है, जब एआई जटिल से जटिल एमआरआई टेस्ट को भी कुछ सेंकड में पढ़कर बीमारी का पता लगा लेगा। अब अस्पतालों में सामान्य लक्षण की बीमारी के लिए डॉक्टर मौजूद नहीं रहेंगे, बल्कि एआई इलाज करेगा। मरीज कंप्यूटर के सामने बैठेेगा। इसके बाद इमेज प्रोसेसिंग के जरिए एआई मरीज को स्कैन करेगा। इसके बाद एआई मरीज से कुछ सवाल पूछेगा, जिसका जवाब देने के बाद डेटा को प्रोसेस करके एआई उक्त बीमारी की दवाइयां प्रिस्क्राइब कर देगा।

आईआईटी डायरेक्टर ने बताया कि ट्रैफिक की समस्या को दूर करने के लिए एआई में ऐसी रिसर्च चल रही है, जिससे चौराहों पर टै्रफिक पुलिस की जरूरत नहीं होगी। एआई सिगनल ऑपरेट करने से लेकर इसका मैनेजमेंट भी करेगा। जाम की नौबत नहीं आएगी।
पुलिस सिर्फ कंट्रोल रूम में बैठकर पूरे शहर के ट्रैफिक को नियंत्रित कर सकेगी। उन्होंने आगे कहा कि हमें हमेशा यही लगता है कि सिर्फ कंप्यूटर साइंस में ही एआई का इस्तेमाल हो रहा है, जबकि बैंक से लेकर रेलवे और एग्रीकल्चर सभी जगह एआई का इस्तेमाल बढ़ा है। आने वाले कुछ वर्षांे में किसान भी हाईटेक हो चुके होंगे। फसल में लगी बीमारी का पता लगाने से लेकर उसका उपचार, नई फसल, बाजार सबकुछ एआई के जरिए बेहद आसान होगा।

आईआईटी डायरेक्टर ने शास्त्रार्थ में मौजूद सैकड़ों विद्यार्थियों से सीधा संवाद करते हुए कहा कि देश के युवाओं को एनईपी यानी न्यू एजुकेशन पॉलिसी के जरिए सबसे बड़ा तोहफा मिला है। एनईपी ही आपकी क्षमता का विकास करेगी। अब बीकॉम का विद्यार्थी भी कंप्यूटर साइंस पढऩे का हकदार बन गया है। वहीं सीएस का छात्र एग्रीकल्चर पढ़ सकता है। एनईपी जल्द से जल्द अपना लीजिए। वक्त की यही डिमांड है, यही आपको आगे बढ़ाएगी।

शास्त्रार्थ के पहले दिन सीजीकॉस्ट के डायरेक्टर जनरल डॉ. एसएस बजाज बतौर विशिष्ठ अतिथि शामिल हुए। इसी तरह वीएनआईटी सूरत के डायरेक्टर डॉ. अनुपम, भिलाई इंजीनियर्स इंस्टीट्यूट के चेयरमैन पीके तिवारी, फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी, यूएस के प्रोफेसर डॉ. अमिताभ मिश्रा, भारत सरकार के आईटी विभाग में एडवाइजर डॉ. बृजमोहन बवेजा, सिंगापुर यूनिवर्सिटी के प्रो.डॉ. बिमलेश बाधवा और आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. सुमंत्रा दत्ता रॉय बतौर की-नोट स्पीकर शास्त्रार्थ में शामिल हुए। रूंगटा ग्रुप के चेयरमैन संतोष रूंगटा, डायरेक्टर डॉ. सौरभ रूंगटा, सोनल रूंगटा, डॉ. एजाजुद्दीन, डॉ. मनोज वर्गीस, डॉ. एडविन एंथोनी, प्राचार्य डॉ. राकेश हिमते, डॉ. नीमा एस बालन और सीआरसी सेल इंचार्ज प्रो. रामकृष्ण राठौर मौजूद रहे।

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