मौसम अपडेट: दुर्ग सहित कई जिलों में आज भी होगी बारिश… मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट… अगले 48 घंटों के लिए जारी हुआ पूर्वानुमान, छत्तीसगढ़ में अब तक 193.0 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज

रायपुर। राज्य शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा बनाए गए राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष द्वारा संकलित जानकारी के मुताबिक एक जून 2022 से अब तक राज्य में 193.0 मिमी औसत वर्षा दर्ज की जा चुकी है। राज्य के विभिन्न जिलों में 01 जून से आज पांच जुलाई तक रिकार्ड की गई वर्षा के अनुसार जांजगीर चांपा जिले में सर्वाधिक 321.6 मिमी और बलरामपुर जिले में सबसे कम 107.5 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गयी है।

राज्य स्तरीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक जून से अब तक सरगुजा में 112.5 मिमी, सूरजपुर में 165.0 मिमी, जशपुर में 108.6 मिमी, कोरिया में 190.0 मिमी, रायपुर में 116.5 मिमी, बलौदाबाजार में 193.6 मिमी, गरियाबंद में 234.5 मिमी, महासमुंद में 194.0 मिमी, धमतरी में 176.8 मिमी, बिलासपुर में 205.9 मिमी, मुंगेली में 251.0 मिमी, रायगढ़ में 204.3 मिमी, कोरबा में 176.3 मिमी, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में 287.6 मिमी, दुर्ग में 166.5 मिमी, कबीरधाम में 187.0 मिमी, राजनांदगांव में 217.0 मिमी, बालोद में 256.5 मिमी, बेमेतरा में 155.9 मिमी, बस्तर में 204.8 मिमी, कोण्डागांव में 168.7 मिमी, कांकेर में 167.5 मिमी, नारायणपुर में 193.5 मिमी, दंतेवाड़ा में 175.7 मिमी, सुकमा में 161.4 मिमी और बीजापुर में 302.8 मिमी औसत वर्षा रिकार्ड की गई।

मौसम विज्ञान केन्द्र लालपुर रायपुर के मौसम वैज्ञनिक ने आगामी 48 घंटों के लिए प्रदेश के विभिन्न संभागों में वर्षा संबंधी चेतावनी जारी की है। प्रदेश के सरगुजा तथा बिलासपुर संभाग के एक दो स्थानों पर गरज-चमक के साथ भारी से अतिभारी वर्षा तथा वज्रपात होने की संभावना व्यक्त की है। इसी तरह से रायपुर और दुर्ग संभागों में एक दो स्थानों पर गरज-चमक के साथ भारी वर्षा एवं वज्रपात होने की संभावना व्यक्त की गई है।

मौसम विभाग के मुताबिक उत्तर उड़ीसा और उससे लगा हुआ दक्षिण झारखंड और पश्चिम बंगाल के क्षेत्र में सिस्टम बना हुआ है, जिसकी वजह से प्रदेश में मौसम में बदलाव हुआ है। चक्रवातीय हवाओं की वजह से छत्तीसगढ़ में निम्न दवाब का क्षेत्र बना हुआ है।

ये स्थिति अगले एक से दो दिनों तक बना रहेगा।मौसम विभाग की चेतावनी के मुताबिक रायपुर, गरियाबंद, महासमुंद, दुर्ग, बेमेतरा, कवर्धा, राजनांदगांव, बिलासपुर, कोटा, पेंड्रा, मरवाही. कोरबा, रायगढ़ सहित कई जिलों में बारिश होगी।

मौसम विभाग के मुताबिक ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती घेरा दक्षिण झारखंड और उसके आसपास 5.8 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। इसके प्रभाव से अगले 24 घंटे में एक निम्न दाब का क्षेत्र बनने की संभावना है।

मानसून द्रोणिका पूर्व की ओर उत्तर-पूर्व बंगाल की खाड़ी तक, 1.5 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। प्रदेश में 4 जुलाई को अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने अथवा गरज चमक के साथ छीटें पड़ने की संभावना है। प्रदेश में एक-दो स्थानों पर गरज चमक के साथ वज्रपात होने तथा भारी वर्षा होने की संभावना है।

भारी बारिश से बचना जरूरी है-
मानसून के दौरान भारी वर्षा और आसमानी बिजली की संभावना बनी रहती है। मौसम विज्ञान केन्द्र रायपुर और राज्य शासन के आपदा एवं प्रबंधन विभाग द्वारा भारी वर्षा एवं आसमानी बिजली (वज्रपात) के प्रभावों की जानकारी एवं इससे बचाव के उपाय जन सामान्य की जानकारी के लिए जारी किए गए हैं।

आकाशीय बिजली गिरने और अत्याधिक वर्षा के प्रभावों की जानकारी जनसामान्य को दी गई है कि घास-फूस की झोपड़ियों और एस्टेबटस की छत वाले घरों और कारों को नुकसान हो सकता है, छत के टॉप उड़ सकते है। अधूरे बंधे धातु की चादरें उड़ सकती है। पेड़ की शाखाओं के टूटने से बिजली और संचार लाइनों को नुकसान पहुंच सकता है तथा खड़ी फसलों को भी नुकसान होता है।

बिजली जमीन पर गिरती है। अत्याधिक गरज-चमक के बाद संबद्ध वर्षा के कारण नदी-नालों में अचानक बाढ़ आती है। मौसम वैज्ञनिकों ने आम-जनों को बिजली चमकने एवं बादलों की गर्जना के संबंध में सुझाव दिए है कि अलग-थलग पड़े पेड़ों के नीचे आश्रय न लें। तालाबों, झीलों और बाहरी पानी वाले क्षेत्र (जैसे धान की रोपाई) से तुरंत बाहर निकलें और दूर रहें।

गड़गड़ाहट सुनने के बाद घर के अंदर जाएं या सुरक्षित पक्के आश्रयों की तलाश करें। अंतिम गड़गड़ाहट की आवाज सुनने के बाद 30 मिनट तक घर के अंदर रहें। अगर कोई आश्रय उपलब्ध नहीं है, तो तुरंत उकडू बैठ जाएं। यात्रा के दौरान गरज हो रही हो तो कार या बस टेªन के अंदर ही रहें। बिजली/इलेक्ट्रानिक उपकरण का प्रयोग न करें तथा बिजली की लाइनों से दूर रहें।

सड़कें, स्थानीय बाढ़, निचले इलाकों में जल जमाव और मुख्य रूप से उपरोक्त क्षेत्र के शहरी क्षेत्रों के अंडरपासों बंद हो सकते है। भारी वर्षा के कारण दृश्यता में कभी-कभी कमी आ जाती है। सड़कों पर जलजमाव के कारण प्रमुख शहरों में यातायात बाधित होने से यात्रा का समय बढ़ सकता है। कच्ची सड़कों को मामूली क्षति हो सकती है।

कमजोर ढंाचे के क्षतिग्रस्त होने की संभावना रहती है। स्थानीय तौर पर भूस्खलन, मडस्लाइड हो सकता है। बाढ़ के कारण कुछ क्षेत्रों में बागवानी और खड़ी फसलों को नुकसान होता है। बाढ़ से नदी जल ग्रहण क्षेत्रों में बाढ़ आ सकती है।

अत्याधिक वर्षा के दौरान जन सामान्य को सलाह दी गई है कि अपने गंतव्य के लिए प्रस्थान करने से पहले अपने मार्ग पर यातायात की भीड़ की जांच करें। इस संबध्ंा में जारी किसी भी यातायात सलाह का पालन करें। उन क्षत्रों में जाने से बचें जो अक्सर जलजमाव की समस्या का सामना करते हैं। कमजोर ढांचें में रहने से बचें।

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