-यूडीएफकॉन 2025 के दौरान वरिष्ठ पत्रकार मुकेश एस. सिंह को डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम सेवा सम्मान से सम्मानित करते हुए डॉ. लक्ष्य मित्तल, डॉ. बी. श्रीनिवास, डॉ. नीमेश देसाई, डॉ. ओम प्रकाश और डॉ. सुनील खत्री।
- केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा- कोविड काल में डॉक्टरों ने प्रहरी की भूमिका निभाई, 2047 के विकसित भारत के लक्ष्य में उनकी भूमिका अनमोल
- पूरे भारत और छत्तीसगढ़ से एकमात्र पत्रकार के रूप में वरिष्ठ पत्रकार मुकेश एस. सिंह हुए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित
- रैगिंग, मानसिक स्वास्थ्य और कानूनी चुनौतियों पर देशभर के वक्ताओं ने जताई गहरी चिंता, मेडिकल शिक्षा में बदलाव की उठी मांग
नई दिल्ली, रायपुर। नैतिक पत्रकारिता और जनसेवा की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में, द हितवाद के रायपुर संस्करण के समाचार संपादक और वरिष्ठ खोजी पत्रकार मुकेश एस. सिंह को रविवार को नई दिल्ली के संविधान क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित यूडीएफकॉन 2025 में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम सेवा सम्मान से अलंकृत किया गया।
इस प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान की घोषणा कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री तथा युवा कार्य एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया द्वारा की गई, जिन्होंने सभी चयनित पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी। हालांकि, राष्ट्रीय स्तर की आकस्मिक व्यस्तताओं के चलते उन्हें कार्यक्रम से मध्य में ही रवाना होना पड़ा। इसके पश्चात यह सम्मान वरिष्ठ यूडीएफ पदाधिकारियों की उपस्थिति में विधिवत रूप से प्रदान किया गया।

कार्यक्रम के शुभारंभ में दीप प्रज्ज्वलन के बाद डॉ. मांडविया ने अपने उद्बोधन में कहा, “भारत के डॉक्टरों ने कोविड-19 महामारी के दौरान प्रहरी की भूमिका निभाई। उनकी सेवा भावना और प्रतिबद्धता ही भारत को 2047 तक एक स्वस्थ और विकसित राष्ट्र बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के विजन को साकार करेगी।”
प्रो. (डॉ.) बी. श्रीनिवास, उप महानिदेशक (मेडिकल एजुकेशन), डीजीएचएस एवं पूर्व सचिव, राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी), ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत सरकार जूनियर रेजिडेंट्स (JRs), सीनियर रेजिडेंट्स (SRs), स्नातकोत्तर (PG) और स्नातक (UG) मेडिकल छात्रों की वर्षों से लंबित समस्याओं को सुलझाने के लिए सॉफ्ट और हार्ड दृष्टिकोण से बहुस्तरीय समाधान प्रस्तुत कर रही है।
डॉ. अरविंद के. ड्रावे, वरिष्ठ सलाहकार, पीजीएमईबी, एनएमसी ने मेडिकल कॉलेजों में रैगिंग की घटनाओं और अकादमिक दबाव के चलते मेडिकल छात्रों में बढ़ती आत्महत्या प्रवृत्तियों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उनकी इस चिंता का समर्थन करते हुए प्रो. (डॉ.) ओम प्रकाश, उप चिकित्सा अधीक्षक, आईएचबीएएस ने संस्थागत मानसिक स्वास्थ्य नीति की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रो. (डॉ.) नीमेश जी. देसाई, पूर्व निदेशक, आईएचबीएएस ने मानसिक स्वास्थ्य की व्यापक समझ के साथ छात्रों के लिए पूर्वानुमानात्मक मानसिक सुरक्षा ढांचे की पैरवी की। डॉ. सुनील खत्री, सुप्रीम कोर्ट के मेडिकोलीगल विशेषज्ञ और डॉ. चारु माथुर, सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता ने चिकित्सकों और मेडिकल छात्रों द्वारा झेले जा रहे कानूनी मामलों में तेजी से हो रही वृद्धि पर चिंता जताई और कानूनी सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने की मांग की।
इस अवसर पर धन्यवाद ज्ञापन देते हुए डॉ. लक्ष्य मित्तल, राष्ट्रीय अध्यक्ष, यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट (यूडीएफ) एवं आयोजन अध्यक्ष ने कहा, “मुकेश एस. सिंह की पत्रकारिता हमेशा सत्ता को सच और साहस के साथ कटघरे में लाने का कार्य करती रही है। यह पुरस्कार जनहित में प्रतिबद्ध पत्रकारिता के सम्मान का प्रतीक है जो लोकतांत्रिक विमर्श को मजबूती देता है।”
यूडीएफकॉन 2025 का यह राष्ट्रीय सम्मेलन न केवल स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की आवाज़ को सशक्त मंच देने वाला आयोजन बना, बल्कि इसमें “तंबाकू मुक्त भारत”, मेडिकोलीगल जागरूकता, तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था में ढांचागत सुधार जैसे अभियानों को भी बल मिला।
इस अवसर पर यूडीएफ की राष्ट्रीय कोर टीम के प्रमुख सदस्य—डॉ. अरुण कुमार, डॉ. यगिका पारीक, डॉ. भानु कुमार, डॉ. राकेश बेनीवाल, डॉ. अमित व्यास, डॉ. भारत पारीक, डॉ. हृतिक भारद्वाज, डॉ. रिदम, डॉ. शुभ प्रताप सोलंकी, डॉ. मोहम्मद अकील, डॉ. गौरव राज, डॉ. योगेन्द्र पाल यादव, डॉ. हनुमान बिश्नोई, डॉ. हेमेन्द्र शेखावत, डॉ. प्रशांत शर्मा, डॉ. मनीष झा, और डॉ. हर्षित नरानिवाल उपस्थित रहे।