कल से रायपुर में राष्ट्रीय जनजातीय कला और साहित्य समारोह: CM भूपेश करेंगे उद्घाटन…देशभर के कलाकार करेंगे शिरकत, पुस्तकों का लगा है स्टॉल

रायपुर। राजधानी रायपुर में अगले सप्ताह जनजातीय कला और साहित्य का राष्ट्रीय समारोह होने जा रहा है। 19 अप्रैल को दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव का उद्घाटन करने वाले हैं।

महोत्सव का समापन 21 अप्रैल को होगा। इसमें राज्यपाल अनुसूईया उइके मुख्य अतिथि होंगी। इस समारोह में भिलाई के सरस्वती बुक्स का भी स्टॉल लगा है। जहां आपको आपकी मनपसंद किताबें मिल सकेंगी। वहीं जनजातीय आधारित किताबों का भंडार यहां देखने को मिलेगा।
अनुसूचित जाति एवं जनजाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने बुधवार को विभागीय अधिकारियों की बैठक लेकर तैयारियों की समीक्षा की। अधिकारियों ने बताया, महोत्सव के सांस्कृतिक कार्यक्रम में बस्तर बैंड का प्रदर्शन, बाल कलाकार सहदेव नेताम और जनजातीय नृत्य मुख्य आकर्षक होंगे।

साहित्य सम्मेलन को प्रख्यात साहित्यकार हलधर नाग भी सम्बोधित करेंगे। आदिवासी विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि समारोह का मुख्य उद्देश्य देशभर में पारम्परिक एवं समकालीन साहित्य से परिचय तथा आधुनिक संदर्भ में उनके विकास की स्थिति ज्ञात करना है।

साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य में जनजातीय साहित्य के क्षेत्र में कार्य कर रहे शोधार्थियों, साहित्यकारों, रचनाकारों को मंच प्रदान कर जनजातीय साहित्य के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करना है। यह आयोजन पहले 11 से 13 अप्रैल तक होना था। बाद में इसकी तारीख बदलकर 19 से 21 अप्रैल कर दिया गया।

जनजातीय विषयों के लेखक और शोधार्थियों का संगम
साहित्य महोत्सव में देश के विभिन्न राज्यों से जनजातीय विषयों पर लिखने वाले जनजातीय एवं गैरजनजातीय स्थापित एवं विख्यात साहित्यकारों, रचनाकारों, विश्वविद्यालयों के अध्येताओं, शोधार्थियों, विषय विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है। अब तक 80 शोधपत्र प्राप्त हो चुके हैं। शोध पत्रों के सारांश को पुस्तक आकार देने प्रकाशन की तैयारी चल रही है।

शोधार्थियों को कार्यक्रम में शोध पढ़ने के लिए आमंत्रण भेजा जा चुका है। वरिष्ठ साहित्यकारों और विद्वानों के साथ परिचर्चा के लिए देश के विभिन्न जनजातीय राज्यों एवं विश्वविद्यालयों से लगभग 28 प्रोफेसरों एवं साहित्यकारों की सहमति प्राप्त हो चुकी है। छत्तीसगढ़ राज्य के भी विद्वान जो महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों एवं जनजातीय क्षेत्रों में है, उनकों भी आमंत्रित किया गया है।

महोत्सव में कला की प्रतियोगिता भी होगी
साहित्य महोत्सव के अंतर्गत कला एवं चित्रकला प्रतियोगिता तीन आयु वर्गांे में चित्रकला प्रतियोगिता के लिए राज्यभर के प्रविष्टियां आमंत्रित हो गई हैं। अब तक तीनों आयु वर्गो में 100 प्रविष्टियां प्राप्त हो गई हैं।

इसके अतिरिक्त हस्तकला के अंतर्गत माटी, बांस, बेलमेटल, लकड़ी की कलाकृतियों का प्रदर्शन भी होना है। अच्छा प्रदर्शन करने वाले कलाकारों को पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र भी प्रदान किए जाएंगे।

नृत्य प्रस्तुतियों से मोहक होगी शाम
महोत्सव में छत्तीसगढ़ के विभिन्न नृत्य विधाओं का प्रदर्शन किया जाएगा,्। जिसमें विभिन्न जनजातीय क्षेत्रों में किए जाने वाले जनजातीय नृत्य शैला, सरहुल, करमा, सोन्दो, कुडुक, डुंडा, दशहरा करमा, विवाह नृत्य, मड़ई नृत्य, गवरसिंह, गेड़ी, करसाड़, मांदरी, डण्डार आदि नृत्यों का प्रदर्शन शमिल है। यह प्रदर्शन तीनों दिन शाम को किया जाना है।

जनजातीय विषयों पर पुस्तकों का खजाना मिलेगा
अधिकारियों ने बताया, महोत्सव में पुस्तक मेले भी होना है। इसमें देश के 10 प्रतिष्ठित प्रकाशकों को आमंत्रित किया गया है। छत्तीसगढ़ के दो प्रकाशक, भोपाल से वन्या प्रकाशन की प्रदर्शनी की भी सहमति मिल गई है। पुस्तक स्टालों के लिए ऑडिटोरियम की आंतरिक परिसर की गैलरी में व्यवस्था की गई है।

हस्तकलाओं के भी स्टाल
यहां प्रदर्शन सह विक्रय के 30 स्टॉल लगाए जा रहे हैं। उनमें हस्तकलाओं से संबंधित स्टॉल के लिए हस्तकला बोर्ड एवं माटी कला बोर्ड से स्टॉल लगाए जाएंगे। वन विभाग का संजीवनी, वनोपज एवं वन औषधि, जनजातीय चित्रकला की प्रदर्शनी, गढ़कलेवा, बस्तरिहा व्यंजन, आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान की प्रदर्शनी, अंत्यावसायी निगम की विभागीय योजनाओं की प्रदर्शनी, ट्राईफेड आदि के स्टॉल लगाए जाएंगे।

Exit mobile version