सिस्टम की लापरवाही से अंतिम संस्कार में देरी: रिसाली मुक्तिधाम में चिता के लिए नहीं है लकड़ी, परिजनों को करनी पड़ गई व्यवस्था

नगर निगम रिसाली में प्रशासन की लापरवाही

शव जलाने के लिए मुक्तिधाम में लकड़ी नहीं

परिजनों को करना पड़ा इंतजाम

रिसाली निगम ने टेंडर में की है देरी

जलाऊ लकड़ी खरीदने में देरी से परिजनों की बढ़ गई मुसीबत

रिसाली निगम के भाजपा पार्षद धर्मेंद्र भगत ने खोल दी सिस्टम की पोल

धर्मेंद्र भगत ने शिकायत कर आयुक्त को बताई पूरी बात

भिलाई। नगर निगम रिसाली की लापरवाही से एक बार फिर लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा है। रिसाली निगम के मुक्तिधाम में जलाऊ लकड़ी नहीं होने की वजह से मृतक के परिजनों को भटकना पड़ा। शव अंतिम के लिए मुक्तिधाम में रखे रहे। अधिक देर होने पर परिजनों ने खुद 1 हजार रुपए क्विंटल में लकड़ी खरीदी उसके बाद अंतिम संस्कार की रश्म पूरी की गई।
रिसाली निगम अंतर्गत प्रगति नगर वार्ड के भाजपा पार्षद धर्मेंद्र भगत ने कहा कि नगम सरकर पूरी तरह फेल है। शहर में सफाई व्यवस्था तो दूर वह इस दुनिया से जा चुके लोगों के लिए अंतिम संस्कार तक की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है। निगम की अनदेखी के चलते रिसाली मुक्तिधाम मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। यहां की निगम सरकार और उनके एमआईसी सदस्य सिर्फ अपनी जेब भरने का काम कर रहे हैं। मुक्तिधाम में परिवारजन इस दुनिया से जा चुके अपनों का अंतिम तक नहीं कर पा रहे हैं। उनके लिए वहां लकड़ियों तक की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। निगम ने इस व्यवस्था के लिए जिसे टेंडर दिया है वह सही से कार्य नहीं कर रहा है। इसके बाद निगम के जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदकर बैठे हैं।

1000 रुपए क्विंटल में लकड़ी खरीदकर किया अंतिम संस्कार

अंतिम संस्कार के लिए रिसाली मुक्तधाम पहुंचे एक परिजन ने बताया कि लकड़ी नहीं होने से अंतिम संस्कार में देरी हुई। वह 1 हजार रुपए क्विंटल में लकड़ी खरीद कर लाए तब अंतिम संस्कार की क्रिया पूरी हुई। एक घंटे तक शव बिना अंतिम संस्कार के रखा रहा। इसे लेकर परिजनों में भी रोष है।

दो घंटे से शव को मुक्तिधाम में रखकर बैठे हैं। यहां लकड़ी न होने की बात कही गई। विरोध करने र निगम ने व्यवस्था की तो गीली लकड़ी लाकर डाल दी गई। उससे आग भी नहीं जल रही थी। सुबह 11 बजे आए और अंतिम संस्कार दोपहर 1 बजे किया गया। हालत यह है कि विरोध करने के बाद भी निगम का कोई जिम्मेदार अधिकारी झांकने तक नहीं पहुंचा। निगम प्रशासन व्यवस्था करने में पूरी तरह से फेल है।

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