‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ कार्यशाला का आयोजन: डॉ खूबचंद बघेल शासकीय महाविद्यालय में हुआ प्रोग्राम… भाजपा के भिलाई जिला अध्यक्ष सहित कई पदाधिकारी हुए शामिल

भिलाई। डॉ खूबचंद बघेल शासकीय महाविद्यालय भिलाई -3 में एक राष्ट्र एक चुनाव विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया इस मौके पर मुख्य वक्ता के रूप में शताब्दी पांडे (पूर्व सदस्य राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग) तथा अध्यक्षता पुरुषोत्तम देवांगन (अध्यक्ष– भाजपा जिला भिलाई), ब्रजेश बिचपुरिया(संयोजक एवं प्रदेश कार्यसमिति सदस्य), शिरीष अग्रवाल(भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य) शशिकांत बघेल (अध्यक्ष – जनभागीदारी एवं प्रबंधन समिति, डॉ खूबचंद बघेल शासकीय महाविद्यालय ) एवं अन्य गणमान्यो ने शिरकत की।

इस कार्यशाला का शुभारंभ मां सरस्वती के प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलित करते हुए किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अश्विनी महाजन ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि युवा वर्ग को राष्ट्रीय स्तर पर समय समय पर चल रहे समसामयिक मुद्दों की जानकारी होनी आवश्यक है एक राष्ट्र एक चुनाव आम आदमी एवं राष्ट्र के लिए सहायक सिद्ध होगा। बार-बार चुनाव करने से देश का काफी पैसा एवं समय बर्बाद होता है। इसी प्रकार आदर्श आचार संहिता बार-बार लागू होने से विकास कार्यों की निरन्तरता में बाधा आती है। एक साथ चुनाव कराने से यह बाधा रूक जायेगी। एक राज्य एक चुनाव राजनीतिक अस्थिरता को कम करने में सहायक होगा जिसका दीर्घकालीन सुखद परिणाम निकलेगा

इस कार्यशाला में उपस्थित शिरीष अग्रवाल ने एक राष्ट्र एक चुनाव की प्रस्तावना दी एवं जानकारी प्रदान की हमारे देश का 1/3 समय चुनावी प्रकिया में निकल जाती है अतः हमें सुधार कार्य पर ध्यान देना चाहिएI इस कार्यशाला में उपस्थित ब्रजेश बिचपुरिया ने एक राष्ट्र एक चुनाव क्यो जरूरी है इस विषय पर जानकारी देते हुए कहा कि सरकार ने भारत में एक राष्ट्र एक चुनाव का प्रस्ताव रखा और एक राष्ट्र एक चुनाव की अवधारणा की संभावना का पता लगाने के लिए भारत के पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया।

इस कार्यशाला का अध्यक्ष पुरुषोत्तम देवांगन ने एक राष्ट्र एक चुनाव हमारे देश के लिए बहुत विचारणीय विषय है यह विचार पहली बार आजादी के बाद के शुरुआती वर्षों में लागू था, जब 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए थे। लेकिन बाद में राज्यों के पुनर्गठन और विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने के कारण यह व्यवस्था टूट गई।

इस कार्यशाला की मुख्य वक्ता शताब्दी पांडे ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव का मतलब है देश में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच है कि पक्ष, विपक्ष व समाज के हर वर्ग के सुझाव को ध्यान में रखकर एक राष्ट्र एक चुनाव पर मंथन किया जाए।एक राष्ट्र, एक चुनाव’ से सरकारी संसाधनों की बर्बादी रुकेगी, सुरक्षा बलों पर दबाव कम होगा और नागरिक एक साथ मतदान कर पाएंगे जिससे भागीदारी बढेगी और लोकतंत्र और सशक्त्त बनेगा। यह भारत जैसे विशाल लोकतंत्र के लिए दीर्घकालिक समाधान हो सकता है। भारत में हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव होते हैं। इससे न केवल सरकारी खर्च बढ़ता है, बल्कि सुरक्षा, प्रशासन और संसाधनों पर भी बोझ पड़ता है। एक साथ चुनाव कराने से चुनावी खर्च में भारी कटौती की जा सकती है और इन संसाधनों को देश के विकास में लगाया जा सकता है। एक राष्ट्र एक चुनाव का निर्णय व्यक्तिगत हितों से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में एक परिवर्तनकारी कदम सिद्ध होगा। इससे होने वाली आर्थिक बचत आने वाली पीढ़ियों के लिए नए अवसरों के द्वार खोलेगी। एक राष्ट्र एक चुनाव सिर्फ चुनावी मैनेजमेंट से आगे बढ़कर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को तेज़ गति देने का सशक्त माध्यम भी बनेगा।

इस कार्यशाला में मंच का संचालन महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ शीला विजय द्वारा किया गया यह कार्यशाला महाविद्यालय के समस्त स्टाफ एवं छात्र छात्राओ के विशेष सहयोग से सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।