दुर्ग। कुछ दिन पहले दुर्ग कलेक्टर IAS ऋचा प्रकाश चौधरी और पुलिस कप्तान IPS जितेंद्र शुक्ला ने अपनी टीम के साथ दुर्ग सेंट्रल जेल में छापा मारा था। अंदर का मंजर देख सब हैरान हो गए थे। क्योकि अंदर कई अपराधियों को VIP ट्रीटमेंट दिया जा रहा था। आपको बता दें कि, शुक्रवार को राउंड अप ऑफिसर अशोक साव को हटा दिया गया है। वहीं कुख्यात अपराधी उपेंद्र सिंह उर्फ कबरा समेत दो का जेल भी ट्रांसफर कर दिया गया है।

जेल में छापे के दौरान पुलिस ने मोबाइल फोन और तंबाकू, गांजा समेत आपत्तिजनक वस्तुएं जब्त की थी। जेल अधीक्षक मनीष सांभरकर ने बताया कि राउंड अप ऑफिसर अशोक साव को राउंड अप से हटाकर जेजे शाखा में शिफ्ट किया गया है। कुख्यात उपेंद्र सिंह और चक्कर इंचार्ज कैदी रिंकू पांडे के जेल ट्रांसफर को उन्होंने रूटीन प्रोसीजर बताया है। आपको बता दें कि, बुधवार को तड़के 4.45 बजे दुर्ग जिला कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी, पुलिस अधीक्षक जितेंद्र शुक्ला समेत सौ से अधिक पुलिस कर्मियों की टीम ने जेल में रेड मारी थी।

इस दौरान टीम को पूरे जेल की तलाशी के बाद कुछ मात्रा में तंबाकू, गांजा, बीड़ी और चिलम मिला था। पुलिस ने इसका जब्ती पंचनामा भी पदमनाभपुर में करवाया था। दुर्ग जेल में बंद कुख्यात अपराधी उपेंद्र सिंह उर्फ कबरा को बिलासपुर और जेल का चक्कर इंचार्ज कैदी रिंकू पांडे को अंबिकापुर जेल ट्रासंफर कर दिया गया है। दोनों कैदियों के जेल तबादले के लिए मुख्यालय से आदेश आया था। वहीं जानकारी मिली है कि, तपन सरकार के जेल ट्रांसफर के लिए भी कोर्ट में आवेदन लगाया गया है।
बदमाशों ने पूरी ट्रैन कर ली थी हाईजैक
ये साल 2013 के फरवरी महीने के 6 तारीख की बात है, जब पहली बार छत्तीसगढ़ के दुर्ग में ट्रेन हाइजैक करने की घटना घटी थ। इस घटना ने पूरे देश में सुर्खियां बटोरी थी। बदमाशों ने करीब डेढ़ किलोमीटर तक पूरी जनशताब्दी ट्रेन के ड्राइवर और ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों को बंधक बना लिया था। ड्राइवर और अन्य स्टॉफ को तो गिरोह ने बंदूक की नोक पर बंधक बनाया था। बदमाश ड्राइवर पर ट्रेन को दूसरे स्टेशन पर ले जाने का दबाव बना रहे थे। अपहरण के एक चर्चित मामले के मुख्य आरोपी गैंगस्टर उपेंद्र उर्फ कबरा को भगाने के लिए उसके बेटे प्रीतम सिंह उर्फ राजेश ने गैंग के अन्य बदमाशों के साथ मिलकर पूरी ट्रेन ही हाईजैक कर ली थी। 6 फरवरी 2013 को एक आपराधिक प्रकरण की सुनवाई को लेकर बिलासपुर सेंट्रल जेल में बंद उपेंद्र को पेशी के लिए दुर्ग न्यायालय लाया गया था। उपेंद्र सिंह इस दौरान पुलिस की अभिरक्षा में थ।

बताया जाता है कि, अदालत में पेशी ख़त्म होने के बाद पुलिस उपेंद्र को इसी ट्रेन से वापस बिलासपुर लौट रही थी। उपेंद्र को छुड़ाने के लिए उसके बेटे प्रीतम सिंह ने साजिश रची और दुर्ग से रायगढ़ के बीच चलने वाली जनशताब्दी एक्सप्रेस को दर्जन भर बदमाशों के साथ मिलकर हाईजैक कर लिया। ट्रेन हाईजैक करने के बाद बदमाश रायपुर से सटे कुम्हारी रेलवे स्टेशन के निकट से उपेंद्र सिंह को पुलिस अभिरक्षा से छुड़ाकर अपने साथ भगा ले गए। इस दौरान आरोपियों ने लाल रंग की एक कार भी लूटी थी। इसी कार में सभी आरोपी भाग निकले। हालांकि कुछ माह बाद ही उपेंद्र और उसके बेटे प्रीतम सिंह सहित ज्यादातर आरोपी पकडे गए।

आजतक की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस गिरोह पर भिलाई, दुर्ग और रायपुर में अपहरण और बैंक में डकैती जैसे कई गंभीर अपराधों में संलिप्तता का भी आरोप है। ट्रेन हाईजैक के दौरान लोको पायलट को कट्टा दिखाकर धमकाने के लिए मुख्य आरोपी उपेंद्र के बेटे प्रीतम सिंह और पिंकू उर्फ़ वरुण सिंह को 10-10 साल की सजा सुनाई गई है। जनशताब्दी एक्सप्रेस को हाईजैक करने वाले गिरोह के सरगना उप्रेंद्र समेत उसके आठ साथियों को छत्तीसगढ़ की एक निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. गैंगस्टर उपेंद्र समेत आठ बदमाशों को विशेष अदालत ने रेलवे एक्ट के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा 5 अलग-अलग धाराओं में सभी को सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही, प्रत्येक दोषी को 9500 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। इस मामले में पुलिस ने 11 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की थी। ट्रेन हाईजैक करने और रेलकर्मियों के अपहरण की साजिश रचने के जुर्म में उपेंद्र सिंह उर्फ़ कबरा, प्रीतम सिंह उर्फ़ राजेश, शंकर साव, अनिल सिंह, राजकुमार कश्यप, पिंकू उर्फ़ वरुण, सुरेश उर्फ़ पप्पू, उपेंद्र उर्फ़ छोटू को सजा सुनाई है।


