छत्तीसगढ़ में बारिश का अलर्ट: प्रदेश में बदला मौसम का मिजाज… कहीं लू तो कहीं हुई बारिश… मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट, दुर्ग समेत कुछ जिलों में हो सकती है बरसात

दुर्ग। छत्तीसगढ़ में एक बार फिर मौसम बदला है। बंगाल की खाड़ी में बने चक्रवात का असर और उत्तर पूर्वी-दक्षिण में दक्षिणी हवा का संगम बनने से छत्तीसगढ़ के कुछ जगहों पर तेज हवा चलने के साथ जमकर बारिश हुई है। बीते 2 दिनों से शाम होते ही मौसम का मिजाज बदल रहा है और खासकर छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में तेज हवा के साथ बारिश हो रही है। छत्तीसगढ़ के उत्तर और पश्चिम क्षेत्रों में भी गरज के साथ हल्की बारिश हो रही है। वहीं एक तरफ जहां दक्षिण छत्तीसगढ़ में मौसम में आए बदलाव की वजह से तेज धूप और गर्मी से थोड़ी राहत मिली है, तो दूसरी तरफ उत्तरी और पश्चिम क्षेत्र में अधिकतम के साथ-साथ न्यूनतम तापमान में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है।

इस बार दक्षिण से आ रही ठंडी हवाओं ने यह बदलाव किया है। इसकी वजह से बस्तर, दुर्ग और रायपुर संभाग के कुछ जिलों में बरसात भी हुई है। मौसम विज्ञानियों का कहना है, शनिवार-रविवार को राजधानी रायपुर और आसपास के इलाकों में भी बरसात की संभावना बन रही है।

शुक्रवार की शाम रायपुर और आसपास के जिलों में तेज ठंडी हवा का अंधड़ उठा। रात भर ठंडी हवा जारी रही। आसमान में घने बादल भी छा गए। इस बीच बस्तर के कुछ स्थानों पर मध्यम से हल्के स्तर की बरसात भी हुई। दुर्ग और रायपुर संभाग के कुछ जिलों में भी हल्की बरसात हुई है। रायपुर में शनिवार दोपहर को भी 9.3 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली पछुआ हवा चली है। इसमें 38% नमी है।

रायपुर मौसम विज्ञान केंद्र के विज्ञानी एच.पी. चंद्रा ने बताया, गर्मी के दिनों में एक सामान्य स्थिति बनती है कि समुद्र तल पर उच्च दाब का क्षेत्र बनता है और मैदानी इलाकों में निम्न दाब का। हवा का स्वभाव है कि वह उच्च दाब से निम्न दाब की ओर बहती है। इसकी वजह से छत्तीसगढ़ में बंगाल की खाड़ी से दक्षिणी हवा तेजी से आ रही है। यह हवा ठंडी है और इसमें नमी की मात्रा भी है। दूसरी ओर उत्तर की ओर से सूखी और गर्म हवाओं का आना जारी है। मध्य छत्तीसगढ़ में ये हवाएं टकरा रही हैं। ऐसे में अनियमित अंधड़ जैसी स्थिति बन रही है।

सोमवार के बाद बढ़ेगी गर्मी
मौसम विज्ञानियों का अनुमान है कि मौसम में दक्षिणी हवाओं का असर अगले दो दिनों तक रहेगा। यानी 11 अप्रैल से मौसम एक बार फिर करवट बदलेगा। इसके बदलने से अधिकतम तापमान में वृद्धि होगी। दिन और रात के तापमान का अंतर घटेगा। इसकी वजह से लू जैसी स्थिति बनेगी। लू लगने की आशंका बढ़ जाएगी। पिछले 10 सालों में तीन बार अप्रैल महीने में यहां का अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक हो चुका है।

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