मैथिली भाषा में लिखे भारत के संविधान पुस्तक का विमोचन, 8 करोड़ मिथिलावासियों के लिए गर्व का दिन: केके झा

भिलाई नगर। संविधान निर्माण के 75 वर्ष पूरे होने पर ‘भारत के संविधान’ को मैथिली भाषा में लिखे जाने और इस पुस्तक का राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री द्वारा विमोचन किए जाने पर मैथिली समाज के संरक्षक एवं उद्योगपति केके झा ने हर्ष व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि मिथिलांचल, बिहार के 8 करोड़ मिथिलावासी आज हर्षित और गौरान्वित है।

झा ने बताया कि भारत के संविधान को मैथिली भाषा में लिखे जाने की मांग लंबे समय से की जा रही थी। मिथिला राज्य संघर्ष समिति द्वारा मिथिला राज्य के साथ इसकी मांग भी लगातार की जा रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले कुछ वर्षों से इतिहास को अन्य भाषाओं में भी अनुवाद कराया जा रहा था, ऐसे में मिथिलावासियों का भी प्रयास था कि भारत का संविधान मैथिली भाषा में हो। इस प्रयास को सफलता मिली।

झा ने कहा, पूरे भारत और विश्व में फैले मिथिलांचल, बिहार के 8 करोड़ मिथिलावासी आज गौरवान्वित हो उठे, जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों मिथिला भाषा में लिखे भारत के संविधान पुस्तक का विमोचन हुआ। मिथिला वासियों के लिए यह एक बड़ी जीत है।

झा ने बताया कि मिथिला समाज में ऐसे प्रकांड विद्वानों की कमी नहीं रही जिन्होंने कानून की पढ़ाई की और बड़े ओहदों पर काम किया। इनमें चीफ जस्टिस हाईकोर्ट संदीप चंद झा, इंदौर के लोकायुक्त सुनील दत्त झा, बीएचयू के वाइस चांसलर गंगानाथ झा आदि प्रमुख नाम हैं। इन्होंने समाज को गौरवान्वित किया। झा ने भारत के संविधान को मैथिल भाषा में लिखे जाने एवं पुस्तक का विमोचन किए जाने पर राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री का पूरे मिथिलांचल की ओर से आभार व्यक्त किया है।

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