बिलासपुर। फर्जीवाड़ा मामले में पटवारी को सस्पेंड कर दिया गया है। आरोप है कि पटवारी ने अतिरिक्त तहसीलदार का फर्जी हस्ताक्षर से बिना सील के गलत तरीके से नामांतरण कर दिया था। इसकी शिकायत पर जांच करायी गयी, जिसमें ये मामला सही पाया गया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए एसडीएम ने पटवारी को सस्पेंड करने का आदिश दिया। पटवारी पर निलंबन की कार्रवाई के बाद माना जा रहा है कि जांच के बाद तत्कालीन राजस्व निरीक्षक (RI) सहित अन्य दोषियों पर भी कार्रवाई हो सकती है।
सरकंडा क्षेत्र के बिजौर में पदस्थ पटवारी कौशल यादव पर मोपका में पोस्टिंग के दौरान फर्जी तरीके से नामांतरण करने का आरोप लगाते हुए शिकायत की गई थी। पटवारी हल्का नंबर 29 के खसरा नंबर 992/9 में चार एकड़ जमीन की रजिस्ट्री के बाद नामांतरण कराया गया। इस दौरान तहसीलदार नारायण गबेल थे और पटवारी कौशल यादव था। तत्कालीन तहसीलदार गबेल ने नामांतरण के इस आवेदन को खारिज कर दिया था।
नामांतरण के आवेदन को तहसीलदार की ओर से खारिज करने के बाद पटवारी व डायवर्सन प्रभारी ने बगैर सील के अज्ञात व्यक्ति से हस्ताक्षर कराकर नामांतरण कर दिया था। बाद में पता चला कि अतिरिक्त तहसीलदार का फर्जी हस्ताक्षर किया गया है, जिसमें सील भी नहीं लगा है। इस मामले की शिकायत अधिवक्ता प्रकाश सिंह ने कलेक्टर से की थी।
करीब दो माह पहले तत्कालीन कलेक्टर सारांश मित्तर ने भू-अभिलेख अधीक्षक को जिला कार्यालय से हटाकर बेलगहना में पदस्थ कर दिया था। साथ ही SDM को जांच के आदेश दिए थे। इधर, SDM टीआर भारद्वाज ने पटवारी कौशल यादव को निलंबित कर दिया है। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय RI कार्यालय बेलतरा रहेगा। इस मामले में अन्य अधिकारी-कर्मचारियों पर भी गाज गिर सकती है।
वहीं मोपका जमीन घोटाले को लेकर शहर विधायक शैलेष पाण्डेय ने विधानसभा में सवाल पूछा है। विधानसभा सत्र के दौरान राजस्व मंत्री को जवाब देना है। नवपदस्थ कलेक्टर सौरभ कुमार जमीन पर अवैध कब्जा करने के पुराने मामलों की फाइलें खुलवा रहे हैं।
पटवारी के खिलाफ महिला ने थाने में की है शिकायत
मंगला क्षेत्र के पटवारी कार्यालय में 55 वर्षीय प्रमिला मानिकपुरी कोटवारीन का काम करती है। प्रमिला ने बताया कि वह पढ़ी-लिखी नहीं है। वह अपने काम के सिलसिले में मंगला पटवारी कार्यालय में आना-जाना करती थी। उस समय मंगला में कौशल यादव ही पटवारी था। पटवारी कौशल यादव का साला राहुल यादव भी काम करता था।
महिला ने बताया कि पटवारी हल्का नंबर 35 में खसरा नंबर 658, 1061, 1074, 1103/1, 1176, 1194 में कुल 0.860 हेक्टेयर जमीन हैं खसरा पांचसाला में दर्ज है। पटवारी और उसके साले ने महिला के अनपढ़ होने का फायदा उठाते हुए कूटरचना कर जमीन का फर्जी इकरारनामा बना दिया। महिला ने सिविल लाइन थाने में शिकायत करते हुए पटवारी और उसके साले के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की है।
कई अफसरों पर भी हो सकती है कार्रवाई
बताया जा रहा है कि जमीन संबंधी गड़बड़ी में सिर्फ पटवारी कौशल यादव ही दोषी नहीं है। बल्कि और भी कई अफसरों की मिलीभगत है। नवपदस्थ कलेक्टर सौरभ कुमार जांच के बाद जल्द ही जमीन हेराफेरी करने के इस केस में शामिल अफसरों पर भी कार्रवाई कर सकते हैं। इसी तरह भोंदूदास प्रकरण में रसूखदारों पर जांच-कार्रवाई की आंच भी आ सकती है।
एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) के नियमों के हिसाब से उन कर्मचारियों की नियुक्ति उस जिले में नहीं हो सकती, जहां उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। लेकिन नियम कानून को ताक पर रखकर अधिकारी उन्हें बिलासपुर में नियुक्ति देते रहे।
पटवारी कौशल यादव के खिलाफ 13 दिसंबर 2011 को मुंगेली थाने में पद का दुरुपयोग करने के मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) के तहत अपराध दर्ज हुआ है। अगस्त 2013 में उनके खिलाफ धारा 420,472, 120 बी के तहत केस दर्ज किया गया है।