ढाबा-होटल में सेक्स रैकेट का भंडाफोड़: प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए बिहार, छत्तीसगढ़ की लड़कियों को लाया जाता था दिल्ली… पहले बनाते हैं मेड, फिर धकेल देते हैं देह व्यापार के धंधे में… एक दिन में 14-14 लोगों के सामने परोसा जाता था लड़कियों को

ढाबा-होटल में सेक्स रैकेट का भंडाफोड़

क्राइम डेस्क। उत्तर प्रदेश की मथुरा पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है. पुलिस ने लड़कियों को बंधक बनाने, उनके साथ दुष्कर्म करने और उन्हें वेश्यावृत्ति कराने वाले गिरोह के 4 सदस्यों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने उनके चंगुल से तीन लड़कियों को भी मुक्त कराया है. आरोपी कोसीकला थाना इलाके में आने वाले दिल्ली-आगर नेशनल हाईवे स्थित एक ढाबे पर देह व्यापार कराते थे. पुलिस को ढाबे से बड़ी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री और शराब की बोतलें मिली हैं. इस देह व्यापार का खुलासा उस वक्त हुआ जब पुलिस ने झारखंड की रहने वाली एक नाबालिग लड़की की तलाश में होटलों और ढाबों पर दबिश देना शुरू की. पुलिस की इस खोज में मुक्ति फाउंडेशन ने भी मदद की. सामने आया कि दिल्ली की प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड की लड़कियों को जॉब के नाम पर दिल्ली लाते हैं, फिर उन्हें सेक्स रैकेट में ढकेल दिया जाता है.

गौरतलब है कि, दिल्ली-आगरा नेशनल हाईवे पर स्थित कुछ होटलों-ढाबाों पर देह व्यापार का धंधा बेखौफ चल रहा है. यहां देश के अलग-अलग राज्यों से मानव तस्करी कर लड़कियां लाई जाती हैं. उन्हें बंधक बनाकर वेश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है. दिल्ली की संस्था मुक्ति फाउंडेशन ने पुलिस की मदद से होटलों-ढाबों से 5 लड़कियों का रेस्क्यू किया. पुलिस ने यहां से वैश्यावृत्ति करा रहे 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया. दरअसल, झारखंड की लड़की एक हफ्ते पहले दिल्ली में बाल कल्याण समिति के पास पहुंची. उसने समिति के सदस्यों को बताया कि उसकी नाबालिग बहन को कहीं बंधक बनाकर रखा हुआ है. कुछ लोग उससे गलत काम करवा रहे हैं. उसने समिति को बताया कि उसकी बहन को दिल्ली के आनंद विहार में कही रखा हुआ है. युवती की आपबीती सुनने के बाद समिति ने मिशन मुक्ति नाम की संस्था को इस मामले की पड़ताल करने का आदेश दिया.

एसएसपी शैलेश पांडेय ने बताया कि इसके बाद संस्था ने ऑपरेशन रेस्क्यू शुरू किया. पीड़िता की बहन ने संस्था की टीम को बताया कि उसके पास अलग-अलग नंबरों से फोन आते हैं. संस्था ने उससे ये नंबर ले लिए. उसके बाद टीम ने नंबर का पता किया तो उसकी लोकेशन मथुरा के कोसी क्षेत्र में नेशनल हाईवे की मिली. इस दौरान पीड़िता ने एक बार फिर बहन से वीडियो कॉल पर बात की. इस दौरान युवती की जगह नजर आई. उसके कमरे की खिड़की से भगवान कृष्ण के रथ जैसा बना कुछ दिखाई दिया. ये जानकारी मिलने के बाद मिशन फाउंडेशन के वीरेंद्र के नेतृत्व में 3 सदस्यीय टीम मथुरा पहुंच गई. यहां टीम के सदस्यों ने पीड़िता की तलाश शुरू कर दी. टीम के सदस्य कोसी क्षेत्र में नेशनल हाईवे पर बने होटलों-ढाबों की रैकी करने लगे. वह उस लैंडमार्क को तलाशने लगे जो फोन पर दिखाई दिया था.

लैंडमार्क मिलने पर टीम उसके पास बने पहले एक होटल में पहुंची. टीम ने वहां खाना खाया और रैकी की. टीम के सदस्यों ने ग्राहक बनकर लड़की की डिमांड की. यहां होटल वाले ने इस काम के लिए मना कर दिया. उसके बाद सदस्य चौधरी ढाबे पर पहुंचे. यहां उन्होंने चाय ऑर्डर की. इसके बाद उन्होंने वेटर से लड़की की डिमांड की. इस बीच, कमल नाम के व्यक्ति ने उन्हें 6 हजार रुपये में लड़की उपलब्ध कराने की बात कही. उसने संस्था के सदस्यों को वहां 3 लड़कियां दिखाईं. लेकिन, उनमें वो लड़की नहीं थी, जिसकी संस्था तलाश कर रही था. हालांकि, इस दौरान टीम को यह पता चल गया कि यहां देह व्यापार हो रहा है. उनकी निशानदेही पर पुलिस ने यहां दबिश दी और लड़कियों को मुक्त कराया.

पुलिस की गिरफ्त में आए मधुबनी बिहार के रहने वाले दुर्गा बाबू ने बताया कि मानव तस्करी को अंजाम 3 स्टेप में दिया जाता है. पहले चरण में बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ में पिछड़े हुए इलाके की लड़कियों को चिह्नित किया जाता है. उनको पैसा कमाने का लालच देकर दिल्ली प्लेसमैंट एजेंसी के जरिए भेजते हैं.

दूसरा चरण होता है ट्रांजिट यानि इनको ट्रेन, हवाई जहाज के जरिए दिल्ली या किसी बड़े शहर भेज दिया जाता है. तीसरा चरण होता है डेस्टिनेशन यानि लड़कियों को वहां पहुंचा दिया जाता है जहां चलता है देह व्यापार का धंधा। गरीब इलाकों से आने वाली लड़कियों को घरों में काम करने के बहाने लाया जाता है इसके बदले लाने वाले एजेंट को 25 हजार रूपए मिलते हैं. फिर उनसे कराई जाती है वैश्यावृति। तस्करी कर लाई गई लड़कियां अगर बात नहीं मानती तो उनके साथ मारपीट भी की जाती है.

मिशन मुक्ति फाउंडेशन के डायरेक्टर वीरेंद्र ने बताया कि इस पूरे ऑपरेशन को अमित कुमार और मिशन रेस्क्यू के अक्षय पांडे के साथ मिलकर 5 दिनों में अंजाम दिया गया. वीरेंद्र कुमार ने बताया कि यह उनके 15 साल के करियर में पहला मामला है जिसमें प्लेसमैंट एजेंसी के जरिए मानव तस्करी और देह व्यापार कराया जा रहा हो.

वीरेंद्र ने बताया कि उनको पीड़िता ने बताया कि इन लड़कियों को दिन में 14-14 आदमियों के सामने भेजा गया. दलाल प्रति व्यक्ति 1000 रुपए लेता है. वीरेंद्र ने बताया कि हाई वे पर इस तरह के काम को बड़े पैमाने पर अंजाम दिया जा रहा है.

पुलिस ने देह व्यापार करने वाले सतवीर, कमल, दुर्गा बाबू, धर्मेंद्र को कोसी थाना क्षेत्र के चौधरी ढाबा से गिरफ्तार किया. इनके पास से 2 मोबाइल, 14 हजार रूपए आपत्तिजनक सामान के अलावा शराब, बियर की बोतल मिली. पुलिस ने थाना छाता क्षेत्र में कार्यवाही करते हुए विजय को गिरफ्तार किया .

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