दुर्ग। नगर निगम द्वारा 20 जुलाई को 2 सूत्रीय एजेंडों को लेकर खालसा पब्लिक स्कूल में आहूत किए गए निगम की विशेष सम्मिलन की बैठक में पार्षदो के प्रश्नकाल व लोकमहत्व के विषयों को विलोपित किए जाने पर इसे निगम अधिनयम के विपरीत बताते हुए पूर्व सभापति दिनेश देवांगन ने सवाल खड़ा कर निगम की महापौर धीरज बाकलीवाल व उनके सत्तासीन कांग्रेसी परिषद को जनसमस्याओं व जनहित के मामलों पर जवाब देने से बचने शार्ट कट रास्ता अपनाने का आरोप लगया है.
तथा इस बैठक को नियम अधिनियम के जानकारी बगैर अपनी मर्जी से एजेंडा व कार्यसूची बनाने की बात कहते हुए साधारण सभा में रखने योग्य विषय को विशेष सम्मिलन का नाम दे दिया गया है इसके लिए वर्तमान सभापति राजेश यादव की भूमिका भी संदिग्ध है.
क्योंकि नियम कानून के तहत बैठक आयोजित करना उनकी जिम्मेदारी है लेकिन संवैधानिक दायित्व के विपरीत दलीय भावना से सदन में विपक्षी पार्षदो द्वारा लगाए जाने वाले प्रश्नकाल व जनता की मुद्दों को लेकर सवाल ना पुछा जा सके और ज्वलंत समस्याओं को लेकर घिरने से बचने केवल 2एजेंडों को लेकर विशेष सम्मेलन आधे दिन दोपहर 3बजे से बैठक आहूत किया जाना केवल खानापूर्ति है।
निगम मे इस प्रकार पार्षदो की आवाज दबाने बुलाई गई बैठक को लेकर भाजपा आक्रमक हो गई है और इस मुद्दे पर नगर निगम में पांच साल तक सभापति पूर्व सभापति दिनेश देवांगन ने वर्तमान कांग्रेसी परिषद पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि निगम में 20 साल तक विपक्ष में रहने के दौरान दो माह में सामान्य सभा की बैठक आयोजित करने हुल्लड़ मचाने वाले कांग्रेसी पार्षद अब सत्ता मे आने के बाद ढाई साल से भी अधिक कार्यकाल बीतने के बाद भी निगम ईतिहास अब तक इस परिषद में केवल 3 बैठक हो पाई है.
उसमें भी 2 बजट बैठक है इसके अलावा अन्य कोई साधारण बैठक कराने का साहस नहीं किया जाना कांग्रेसी परिषद की दुर्बलता को प्रदर्शित करता है. उन्होंने कहा कि 20 जुलाई को आहूत विशेष बैठक पूरी तरह नियम के तहत है नही है बल्कि इसे तोड़ मरोड़ कर पार्षदो के तीखे सवालों व जनसमस्यायो से सामना करने से बचने का तरीका है उक्त तिथि को आहूत बैठक में जातिगत आर्थिक जनगणना की क्वालिफायड डाटा का अनुमोदन व राज्य शासन द्वारा जाति प्रमाण पत्र जारी करने संबंधी निगम को दिए गए अधिकार के तहत सामान्य सभा में स्वीकृति प्रदान किया जाना है.
इसके लिए निगम की प्रक्रिया पुरी होने के बाद महापौर परिषद की एमआईसी ने 16 जून को उन दोनों एजेंडे को एमआईसी में स्वीकृत प्रदान किया था जिसे विशेष सम्मिलन के तहत 3दिन की शासकीय कार्य दिवस के बाद पारित करा लेना था लेकिन एक माह से अधिक समय बीतने के बाद 20 जुलाई को अचानक इन्हीं 2 विषयो के लेकर विशेष सम्मिलन बुलाना और नियमानुसार बैठक में होने वाले अन्य कामकाज जिसमे पार्षदो के प्रश्नोत्तर,लोकमहत्व के पत्रव्यवहार की जानकारी निरंक रखना सत्तासीन लोगों की नीयत को दर्शाता है, की किस प्रकार भाजपा व अन्य विपक्षी पार्षदो को जनहित कर मुद्दे उठाने से रोकने पाए गोलमोल रास्ता अपनाया है.
धारा 30 के तहत विशेष सम्मेलन आहूत कर इन एजेंटों को लाया गया है जिसमें प्रश्नकाल सहित अन्य विषय को निरंक कर दिया गया है ।इस प्रकार कांग्रेसी विधायक अरुण वोरा के रिमोट से चलने वाले महापौर धीरज बाकलीवाल की कांग्रेसी परिषद सभी मोर्चों में फेल होने व सदन मे जनता की समस्याओं का सामना करने में घबराने के कारण निगम की आधे अधूरे बैठक बुलाकर ना केवल जनता की जनादेश का अपमान किया है बल्कि अपने कमजोरी को प्रदर्शित किया है लेकिन भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे पर चुप नहीं बल्कि बल्कि सदन में भाजपा के पार्षदगण मुखर होकर जनहित की सभी समस्याओं को मजबूती से उठाएंगे ।