भिलाई के हाईटेक हॉस्पिटल में एंडोस्कोपिक एडेनॉयड की सक्सेसफुल सर्जरी… बच्ची को सांस लेने में हो रही थी दिक्कत, फंसा हुआ रबर का टुकड़ा भी निकला

भिलाई। भिलाई के हाईटेक हॉस्पिटल में एडेनॉयड (Adenoid) की एन्डोस्कोपिक की सर्जरी सफलतापूर्वक की गई. डॉक्टर ने बताया कि, एडेनॉयड नाक के ठीक पीछे स्थित होते जो टॉन्सिल की तरह शरीर की रक्षा करते हैं. वे हानिकारक बैक्टीरिया और वायरसों को सांस के साथ भीतर जाने से रोकते हैं. खास बात यह कि नाक के पीछे के ऊतकों में रबर का टुकड़ा भी फंसा हुआ मिला जिसे बच्चे ने खुद ही नाक में सरका लिया था. ईएनटी सर्जन डॉ अपूर्व वर्मा ने बताया कि एडेनॉयड में सूजन आने पर सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. 14 साल की यह बच्ची काफी समय से मुंह से ही सांस ले रही थी. सोने पर उसकी नाक से अजीब से आवाजें आती थीं. तब कहीं जाकर उसके माता पिता उसे हाइटेक लेकर आए. जांच में पाया गया कि उसके एडेनॉयड में सूजन है जिसके कारण सांस का रास्ता बंद हो गया है.

डॉ वर्मा ने बताया कि अब तक एडेनॉयड की सर्जरी तालू के पीछे से अंदाजे में की जाती थी जिसमें चूकों की संभावना होता थी. एंडोस्कोप से नाक के भीतर से ही सायनस एरिया में पहुंचा जा सकता है. भली भांति निरीक्षण किया जा सकता है और पूरी सफाई के साथ सर्जरी की जा सकती है. एडेनॉयड के बढ़ने से बच्ची की नाक लगभग 90 प्रतिशत तक बंद हो चुकी थी. डीब्राइडर (Debrider) से उन उतकों को पूरी सफाई से हटा दिया गया. इससे सांस लेने का रास्ता पूरी तरह खुल गया.

पर इसके बाद उनके चौंकने की बारी थी. बच्ची की नाक के पीछे के ऊतकों में कोई सफेद से चीज फंसी हुई थी. यह रबर का एक टुकड़ा था जिसका इस्तेमाल कागज पर लिखा मिटाने के लिए किया जाता है. बच्ची ने बताया कि एक बार उसने अपना रबर नाक में डाल लिया था और फिर पेंसिल से उसे धकेलकर अंदर कर दिया था. हालांकि कितने समय पहले उसने ऐसा किया था अब उसे याद नहीं है. रबर के टुकड़े को भी निकाल लिया गया. यदि पुरानी पद्धति से इलाज किया जाता तो रबर के बारे में शायद कुछ पता ही नहीं चलता क्योंकि एक्सरे में रबर दिखाई नहीं देता. पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद बच्ची को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है.

Exit mobile version