एडिशनल एसपी ने मांगी 2 करोड़ की रिश्वत

जयपुर। एसीबी (ACB) ने सोमवार को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए अजमेर एसओजी की एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल को गिरफ्तार (Divya Mittal Arrested) कर लिया है. आरोप है कि एनडीपीएस के एक मुकदमे में गिरफ्तारी नहीं करने की एवज में हरिद्वार के एक दवा कारोबारी से 2 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी गई थी. एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल ने आरोपी कारोबारी से रिश्वत की यह रकम उदयपुर पुलिस के एक बर्खास्त पुलिस कांस्टेबल सुमित कुमार के माध्यम से मांगी थी. इसमें 50 लाख रुपए खुद एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल ने एसीबी सत्यापन के दौरान अपने ऑफिस में मांगे.

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने इसके बाद मुकदमा दर्ज कर एएसपी दिव्या मित्तल के जयपुर, उदयपुर, अजमेर और झुंझुनूं में पांच ठिकानों पर सर्च कार्रवाई की. यह कार्रवाई एडिशनल एसपी बजरंग सिंह शेखावत के नेतृत्व में गठित टीम ने की. केस की जांच डीएसपी मांगीलाल को सौंपी गई है. इस पूरे मामले का खुलासा होने के बाद पुलिस महकमे के अधिकारियों में हड़कंप मच गया.

एसीबी के एडीजी दिनेश एमएन के मुताबिक अजमेर के रामगंज थाने में वर्ष 2021 में एनडीपीएस एक्ट में दो मुकदमे दर्ज हुए थे. नशीली दवाओं की तस्करी के इस प्रकरण में हरिद्वार के दवा कारोबारी को आरोपी बनाया गया था. ये दोनों मुकदमे जांच के लिए एसओजी को ट्रांसफर कर दिए गए थे. इनकी तफ्तीश एसओजी अजमेर की प्रभारी एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल को सौंपी गई थी. इसी केस में एक नोटिस देकर 3 जनवरी को कारोबारी को पूछताछ के लिए एसओजी कार्यालय अजमेर में बुलाया गया.

आरोप है कि वहां एएसपी दिव्या मित्तल ने कारोबारी को राहत देने की बात कहते हुए इशारों इशारों में उसे उदयपुर की तरफ जाने के लिए कहा. परिवादी कारोबारी ने बताया कि दिव्या मित्तल ने यह भी कहा कि आपको एक फोन आ जाएगा. दिव्या मित्तल से बातचीत के बाद कारोबारी उदयपुर के लिए रवाना हुआ. तभी रास्ते में उसके पास एक फोन आया. फोन करने वाले आरोपी ने कारोबारी को नाथद्वारा बुलाया. कारोबारी परिवादी जब नाथद्वारा पहुंचा तो उसे उदयपुर आने के लिए कहा गया.

घूसखोरी के खेल में शामिल आरोपी इतने शातिर थे कि उन्होंने कारोबारी की कार के आगे और पीछे अपनी दो गाड़ी लगाई. वे उसे 3 जनवरी को एस्कॉर्ट करते हुए उदयपुर के एक रिसोर्ट में ले गए. वह रिसोर्ट दिव्या मित्तल का होना बताया जा रहा है. आरोपियों ने कारोबारी के कपड़े उतारे. उसकी तलाशी ली. उसका मोबाइल फोन रखवा लिया. उसके बाद उसे इस केस में गिरफ्तारी से बचाने के लिए डराते धमकाते हुए 2 करोड़ रुपये की रिश्वत की रकम मांगी गई. कारोबारी ने 2 करोड़ रुपये देने से इंकार कर दिया. तब बर्खास्त कांस्टेबल सुमित कुमार ने 1 करोड़ रुपए देने की बात कही.

इसके साथ ही उसने कारोबारी की दिव्या मित्तल से भी बातचीत करवाई. परिवादी कारोबारी उदयपुर से कुछ दिन सोच विचार करने की बात कहकर आ गया. 4 जनवरी को कारोबारी ने एसीबी मुख्यालय पहुंचकर एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल और बर्खास्त कांस्टेबल सुमित कुमार के खिलाफ एक शिकायत दर्ज करवाई. एसीबी ने 8 जनवरी को शिकायत का सत्यापन किया. फोन पर पीड़ित कारोबारी की बात एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल से करवाई. इसके बाद कारोबारी अजमेर में एएसपी दिव्या मित्तल से मिलने पहुंचा. वहां दिव्या मित्तल ने कारोबारी से बातचीत कर 50 लाख रुपये रिश्वत की डिमांड की.

यह रकम 25-25 लाख रुपये के दो हिस्सों में देने को कहा. 12 जनवरी को एसीबी अजमेर रोड पहुंची. वहां 50 लाख रुपये में से पहली किश्त के रूप में 25 लाख रुपए देने की बात तय हुई. एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल ने परिवादी से कहा कि उन्हें एक फोन आ जाएगा. उसके बाद बर्खास्त कांस्टेबल सुमित कुमार ने कारोबारी को फोन किया. उसने कारोबारी को अजमेर रोड बुलाया. एसीबी ने ट्रेप जाल बिछाया. लेकिन रिश्वत लेने आया बर्खास्त सिपाही सुमित कुमार लगातार जगह बदलकर कारोबारी को बुलाता रहा. लेकिन वह नहीं आया. ऐसे में एसीबी ट्रेप कार्रवाई नहीं कर सकी.

इस पर एसीबी ने पर्याप्त सबूतों के आधार पर एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल और बर्खास्त कांस्टेबल सुमित कुमार के खिलाफ केस दर्ज कर लिया. 15 जनवरी को एसीबी ने वारंट लिया. एसीबी ने 16 जनवरी को अलसुबह एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल के जयपुर, उदयपुर, झुंझुनूं और अजमेर में 5 ठिकानों पर छापे मारे. सोमवार दोपहर को एएसपी दिव्या मित्तल को अजमेर से हिरासत में लेकर एसीबी की टीम जयपुर मुख्यालय पहुंची. यहां पूछताछ के बाद एएसपी दिव्या मित्तल को एसीबी ने गिरफ्तार कर लिया. दलाली कर रहा बर्खास्त सिपाही सुमित फरार चल रहा है.

