4 साल पहले उद्योगों को बिजली बिल में छूट देकर हुआ बड़ा गेम: 68% छूट देकर किसका हुआ फायदा ? अरबों रुपयों का गोलमाल आया सामने, अभी भी उद्योगों को मिल रही अन्य उपभोक्ताओं से सस्ती बिजली

रायपुर: छत्तीसगढ़ में बिजली दरों में वृद्धि के विरोध में व्यापारियों ने बड़े स्तर पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने घोषणा की है कि करीब 150 से 200 स्टील और स्पंज के उद्योगों को बंद कर दिया जाएगा। फैक्ट्री संचालकों ने कहा है कि अगर बिजली बिल में छूट नहीं मिली, तो वो उद्योगों को बंद करने को मजबूर होंगे। हालांकि हकीकत में ऐसी बात नहीं है। छत्तीसगढ़ के उच्चदाब स्टील उद्योगों को 4 वर्ष पहले दी जाने वाली छूट को 8 प्रतिशत से बढाकर अचानक से 25 प्रतिशत कर दिया गया था। जिससे इन उद्योगों को 68 प्रतिशत का लाभ मिलने लगा था। मौजूदा वक्त में जो बिल में बढोत्तरी की बात की जा रही है, वो बढोत्तरी नहीं, बल्कि छत्तीसगढ राज्य विद्युत नियामक आयोग ने अज्ञात कारणों से आश्चर्यजनक रूप से अचानक बढ़ाई गई छूट को ही न्यायोचित रूप से कम किया है।

इस निर्णय से उच्चदाब स्टील उद्योगों को मिलने वाला अतिरिक्त फायदा कम हो गया है, जिसको लेकर उद्योगपति वे गैर-वाजिब दबाव बना रहे है। पूर्व में वर्ष 2021-22 में टैरिफ आदेश जारी करते समय लोड फैक्टर छूट, अधिकतम 8 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया था, जबकि पॉवर कंपनी द्वारा इस प्रकार का कोई भी प्रस्ताव नियामक आयोग को नहीं भेजा गया था। इस तरह विगत माह छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा की गई तार्किक कार्यवाही के बावजूद लोड फैक्टर पर मिलने वाली अधिकत्तम छूट (पॉवर फैक्टर इन्सेन्टिव) को 25 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत किया गया है।

वर्ष 2021-22 में जो अधिकतम छूट 4 प्रतिशत मिल रही थी, उसकी तुलना में भी 2 प्रतिशत अधिक छूट इन उद्योगों को अभी मिल रही है, जिससे किसी भी तरह से अनुचित नहीं कहा जा सकता। 4 वर्ष पूर्व छूट की दर 8 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने के कारण इन उद्योगों को मिलने वाली औसतन वार्षिक छूट लगभग 300 करोड रूपये से बढ़कर लगभग 1100 करोड़ रूपये हो गई थी। इस तरह, इन उद्योगों को लगभग 750 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष का अतिरिक्त लाभ दिया गया था।

इस राशि की बंदरबाट में किसको क्या लाभ हुआ होगा इस विषय में संबंधित क्षेत्रों में तरह-तरह की चर्चा चल रहीं है। उच्चदाब स्टील उद्योगों की न्यायोचित भलाई का ध्यान वर्तमान समय में हुए पुनरीक्षण में नियामक आयोग द्वारा रखे जाने का उदाहरण भी सामने है। उल्लेखनीय है कि नियामक आयोग द्वारा पुनरीक्षित विद्युत दरों में व्यवसायिक उपभोग हेतु उपभोक्ताओं को प्रदाय की जाने वाली बिजली की दर 5.40 प्रतिशत बढ़ी है, जबकि उच्चदाब स्टील उद्योगों को प्रदाय की जाने वाली बिजली की दर मात्र 4.10 प्रतिशत ही बढ़ी है।

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