जुनवानी में भागवत कथा का आयोजन: वामन अवतार, राम और कृष्ण जन्म की कथा का किया गया वर्णन…गोपालशरण देवाचार्य ने कहा- चुनौतियों का सामना कर ही राजकुमार राम मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान बने; पढ़िए

भिलाई। जुनवानी भिलाई के खम्हरिया रोड स्थित शीतला माता तालाब के पास भागवत कथा का आयोजन किया जा रह है। बुधवार को कथा व्यास गोपालशरण देवाचार्य ने बताया कि भागवत शब्द चार अक्षरों से मिलकर बना है। इसमें भ का अर्थ है भक्ति, ग का अर्थ है ज्ञान, व का अर्थ है वैराग्य और त का अर्थ परम तत्व की प्राप्ति है। मतलब जो भक्ति, ज्ञान, वैराग्य को बढ़ाकर परमतत्व की प्राप्ति कराए वही भागवत है।

इसके बाद कथा में राम अवतार की कथा के बारे में बताया गया। कथा व्यास ने बताया कि त्रेतायुग में भगवान धरती पर श्रीराम के रूप में अवतरित हुए और संसार को रावण के त्रास में मुक्त किया। गोपालशरण ने बताया कि मनुष्य को चाहिए कि वे भगवान राम के जीवन से आदर्शों की सीख लें और उनका अनुसरण करें।

भगवान चाहते तो संकल्प मात्र से अपनी बाधाएं दूर कर सकते थे लेकिन अवतार लेकर मनुष्यों को भगवान ने ये दिखाया कि कैसे जीवन की कठिनाइयों से घबराना नहीं चाहिए। उनका सामना करना चाहिए। जीवन की चुनौतियों का सामना कर ही राजकुमार राम मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान बने, इसलिए हमें भी चुनौतियों में मनोबल को कमजोर नहीं होने देना चाहिए। 

कृष्ण जन्मोत्सव प्रसंग पर झूम उठे श्रोता
बुधवार को कथा में भगवान कृष्ण के स्वंय धरती पर अवतरित होने की कथा का वर्णन किया गया। गोपालशरण ने भागवत कथा में महाराज ययाति चंद्रवंशी वंश के बारे में बताया कि ययाति के बड़े पुत्र यदु हुए। उन्हीं के वंश में भगवान श्रीकृष्ण प्रगट हुए। कथा व्यास ने बताया कि सामान्य बालक को जन्म देने के लिए वासना चाहिए पर परमात्मा को जन्म देने के लिए उपासना चाहिए। इसलिए जिन भक्तों को भगवान अपने घर में चाहिए उन्हें हमेशा भगवान की उपासना में रहना होगा।

गोपालशरण देवाचार्य ने आगे बताया कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण भाद्रपद कृष्णपक्ष अष्टमी को रात्रि 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में प्रगट हुए। कंस के बचाने के लिए जब वसुदेव कृष्ण को नंदबाबा के घर ले जा रहे थे तब यमुना की बाढ़ में शेषनाग ने उन्हें छाया दी और यमुना ने उनके पांव स्पर्श किए। कृष्ण को नंदबाबा के घर छोड़कर यशोदा मैया की कन्या को लेकर वसुदेव वापस कंस के कारागृह में आ गए।

इसके बाद कथा में जैसे ही नंदबाबा के यहां भगवान के प्रगट होने का प्रसंग आया, पूरा आयोजन स्थल ‘नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की…’ से गूंज उठा। कथा में इसके बाद आज होने वाली कथा के बारे में जानकारी देते हुए पं. श्याम शरणदेव ने बताया कि गुरुवार को कथा में श्रीकृष्ण लीला, ब्रम्हा मोह, गिरिराज धरण प्रसंग के बाद भगवान को 56 भोग लगाया जाएगा।

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