भिलाई। कल राज्यसभा की खाली सीटों पर चुनाव के लिए शेड्यूल आते ही सियासी घमासान छत्तीसगढ़ में मच गया है। सियासत खाली होने वाली दो सीटों के लिए हो रही है। जिसके लिए कौन उपर्युक्त होंगे, इस पर मंथन और जोर आजमाइश जारी है। दो सीटों के लिए कांग्रेस में दो दर्जन से ज्यादा दावेदार उभरकर सामने आ गए हैं।
यह कांग्रेस के लिए जातिगत समीकरण को साधना बेहद चुनौतीभरा भी माना जा रहा है। अब तक राज्यसभा के लिए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास ने खुलकर इच्छा जताई है। वैसे कहा जा रहा है कि नाम फाइनल करने का काम कांग्रेस आलाकमान का है। माना जा रहा ह कि निगम-मंडल या आयोग में पद पा चुके लोगों का नंबर शायद नहीं लगेगा।
आपको बता दें कि, छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम और छाया वर्मा का कार्यकाल अगले महीने 29 जून को खत्म हो रहा है। राज्यसभा की यह दोनों सीटें कांग्रेस की झोली में जाना तय है। इन दो सीटों के लिए कांग्रेस में दो दर्जन से ज्यादा दावेदार हैं।
खास बात यह है कि राज्यसभा में जाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत खुलकर अपनी इच्छा जता चुके हैं, जबकि अन्य दावेदार लगातार अपनी लॉबिंग कर रहे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्पष्ट कह चुके हैं कि राज्यसभा उम्मीदवार का अंतिम फैसला राष्ट्रीय नेतृत्व (आलाकमान) ही करेगा।
राजनीतिक चर्चाओं में सबसे पावरफुल नाम प्रियंका गांधी (वाडा) का है। कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुद उन्हें छत्तीसगढ़ से राज्यसभा जाने का आग्रह दिया है। अब तक उनका जवाब नहीं आया है। इसी तरह प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया भी छत्तीसगढ़ से राज्यसभा जाने के इच्छुक बताए जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के वकील विवेक तन्खा को भी छत्तीसगढ़ से राज्यसभा भेजे जाने के लिए मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ प्रयासरत हैं। कांग्रेस के अंदरखाने में जो चर्चाएं हैं, उसके हिसाब से प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया अपनी पत्नी शकुन डहरिया को राज्यसभा भेजना चाहते हैं।
इन प्रमुख नामों के अलावा राज्यसभा पद के दावेदारों में कांग्रेस में लंबी फेहरिस्त है। इनमें गिरीश देवांगन, विनोद वर्मा, छाया वर्मा, प्रेमचंद जायसी, लेखराम साहू, एके खांडे, राजेन्द्र तिवारी जैसे दर्जनों नाम हैं। मगर प्रदेश कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि जो वर्तमान में निगम-मंडल या आयोग में हैं, उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा जाएगा।
राज्यसभा उम्मीदवारों की तमाम राजनीतिक चर्चाओं के बीच प्रदेश कांग्रेस का कोई भी नेता पूरी तरह आश्वस्त नहीं है, आखिर में सभी नेता आलाकमान द्वारा फैसले लिए जाने की बात कहकर इस चर्चा से पल्ला झाड़ रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस पर राज्यसभा की दो सीटों के लिए सबसे ज्यादा साहू और सतनामी समाज का दबाव है। कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि राज्यसभा में दोनों समाज के लोगों को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए, क्योंकि इसके पहले भी आदिवासी समाज से फूलोदेवी नेताम राज्यसभा भेजी जा चुकी हैं। एक फॉर्मूला गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को लेकर भी बनते दिख रहा है। उन्हें राज्यसभा भेजने को लेकर चर्चा है।
वहीं पूर्व विधायक लेखराम साहू भी इस लिस्ट में है। पिछले बार सरोज पांडेय से राज्यसभा का चुनाव हार गए थे। वे लगातार कानूनी लड़ाई भी लड़ रहे हैं। इसके अलावा मंडल के सदस्य व प्रवक्ता अजय साहू के नाम की चर्चा भी हो रही है। सतनामी समाज से भी कई नाम है, जिनकी चर्चा हो रही है। वहीं आलाकमान ने सामान्य वर्ग से केटी तुलसी को राज्यसभा भेजा है। कांग्रेस के लिए जातिगत समीकरण साधना बेहद चुनौतीभरा है। यही वजह है कि राज्यसभा उम्मीदवार का फैसला प्रदेश कांग्रेस या मुख्यमंत्री बघेल खुद नहीं करने के मूड में दिखाई दे रहे हैं।
कांग्रेस से राज्यसभा सांसद छाया वर्मा के रिपीट होने की संभावना नहीं के बराबर है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि छाया वर्मा को राज्यसभा कार्यकाल खत्म होते ही किसी निगम-मंडल की जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी। उनके स्थान पर किसी नए चेहरे को भेजा जाएगा। बावजूद इसके छत्तीसगढ़ में स्थानीय और बाहरी के साथ-साथ जातिगत समीकरण के मुताबिक राजनीतिक उठापटक मची हुई है। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आएगी, प्रदेश कांग्रेस में रायपुर से लेकर दिल्ली तक हलचल बढ़ने की संभावना है।
राज्यसभा की सीट बाहरी को न मिले : केदार
भाजपा प्रवक्ता व पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने राज्यसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही छत्तीसगढ़ की दो सीटों को लेकर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की दोनों सीटें कांग्रेस को मिलना तय है, मगर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चिंतन शिविर में यह चिंता जरूर करें कि सांसदों की दो सीट राज्य से बाहर न चली जाए।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेता उदयपुर कांग्रेस के चिंतन शिविर में शामिल होने गए हैं। इसलिए सवाल उठ रहा है कि राज्यसभा सीटों के लिए छत्तीसगढ़ियों का ध्यान जरूर रखें।