रायपुर। नान घोटाले में IAS अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला पर रमन सिंह के आरोपों के जवाब में IAS अनिल टुटेजा ने पत्र लिखकर रमन सिंह को जवाब दिया है। नान घोटाला का खुद पर लगे आरोपों को निराधार बताते हुए टुटेजा ने कहा है कि रायपुर स्पेशल कोर्ट में साल 2015 में एसीबी ने जो चालान पेश किया था। उसमें उन पर तीन आरोप उन पर लगाए थे। पहला आरोप ये था कि 8 जून 2014 से फरवरी 2015 के बीच भ्रष्टाचार के नए तंत्र उजागर हुए थे।

राज्य में लाखों क्विंटल अमानत चावल का संग्रह और वितरण किया गया था। दूसरा, चावल व नमक के नाम पर अनावश्यक अंतर जिला परिवहन के नाम पर 5.18 करोड़ की क्षति हुई। और तीसरा, लाखों क्विंटल अमानक चावल के बदले राइस मिलरों से एकत्र राशि में मुझे भी हिस्सा मिलता था।

अनिल टुटेजा ने आगे लिखा है कि एसीबी द्वारा बड़ी संख्या में चावल के संग्रहण और नान को 5 करोड़ की क्षति के संबंध में प्रबंधन और शासन के खाद्य विभाग से पूछने की आवश्यकता नहीं समझी और चावल के मापदंडों की कोई जानकारी ना होने के बावजूद अमानक चावल के संग्रहण के काल्पनिक आरोप लगाए।

पत्र में आगे लिखा है कि अमानक संग्रहण एवं 5 करोड़ की क्षति के बारे में हाईकोर्ट और विधानसभा में जो जानकारी दी गयी, उसके मुताबिक विधानसभा के दिसंबर 2015 के शीतकालीन सत्र में शासन ने बताया कि कैलेंडर वर्ष 2014 अक्टूबर तक राज्य में कहीं भी अमानक चावल का संग्रहण नहीं किया गया।

वहीं 2016 में विधानसभा के सवाल के जवाब में ये बताया कि नमन के अनावश्यक परिवहन से कोई क्षति नहीं हुई। 2016 में भी एक सवाल के जवाब में विधानसभा में बताया गया कि 2014-15 में कहीं भी अमानक चावल संग्रहण व वितरण की कोई शिकायत नहीं मिली।

2016 में सूचना के अधिकार के तहत दी गयी जानकारी में भी खाद्यान्न के संग्रहण, परिवहन व वितरण में गड़बड़ी नहीं होने की बात कही गयी थी। पत्र में उन्होंने अपना दर्द भी बयां किया है। टूटेजा ने लिखा है कि 2015 में संयुक्त सचिव जीएडी पर पोस्टिंग हुई थी। अभी भी संयुक्त सचिव पर ही कार्यरत हूं। मेरे से 4 साल जूनियर सचिव बन गये। रमन सिंह ने पत्र के जरिये अनिल टुटेजा ने आग्रह किया है कि निराधार आरोप लगाना बंद करें। पहले से ही वो अत्यधिक प्रताड़ना व अन्याय का शिकार हो चुके हैं।


