अब BJP में जिलाध्यक्षों की बारी: भिलाई समेत 15 जिलाध्यक्षों की नई सूची कभी भी…किसी संघीय की तलाश शुरू

भिलाई। परिवर्तन…इन दिनों भाजपा में यही चल रहा है। पहले संगठन में फिर नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष बदला गया। कल रात में ही प्रदेश पदाधिकारियों की सूची जारी हुई। अब जिलाध्यक्ष बदलने की बारी है छत्तीसगढ़ भाजपा में। बताया जा रहा है कि अब कभी भी सूची जारी हो सकती है। 15 से 17 जिलाध्यक्षों की छुट्‌टी हो सकती है। जिलाध्यक्ष बदलने वालों की सूची में भिलाई जिलाध्यक्ष वीरेंद्र साहू का भी नाम है। अब वीरेंद्र साहू समेत बाकी जिलाध्यक्ष इसलिए हटाया जा सकता है क्योंकि इनका परफॉर्मेंस पुअर है या ये किसी गुट-नेता से ताल्लुक रखते हैं। जिसकी वजह से संगठन का ढांचा कमजोर हो गया है। अब इसे मजबूत बनाने की दृष्टिकोण से जिलाध्यक्ष बदलकर पार्टी निर्गुट नेता वाला संदेश देना चाहती है।

जिस तरह दुर्ग में संघीय जितेंद्र वर्मा को जिलाध्यक्ष बनाया गया। ठीक उसी तरह भिलाई में संघ से जुड़े किसी दिग्गज नेता को जिलाध्यक्ष की कुर्सी सौंपी जा सकती है। अब इसके लिए सर्च ऑपरेशन हो गया है। बताया जा रहा है कि संगठन के पास जिलाध्यक्ष के लिए नाम पहुंच गए हैं। कहा जा रहा है कि वैशालीनगर विधानसभा को मजबूत रखने की दृष्टि से जिलाध्यक्ष भी उसी विधानसभा से हो सकता है। एक सीनियर पार्षद से लेकर कई मंडल अध्यक्ष जिलाध्यक्ष की दौड़ में है।

इसलिए बदले जाएंगे भाजपा जिलाध्यक्ष

  • पार्टी में पुअर परफॉर्मेंस: जिन जिलाध्यक्षों को हटाया जा रहा है, उनकी रिपोर्ट पुअर है। यानि कि उन्होंने संगठन में अपनी तरफ से कुछ खास नहीं कर सके। यहां तक जो संगठन से शेड्यूल आया उसे तक नहीं किया। यहां तक कि सरकार के विरोध में खुद से प्रेस रिलीज तक जारी नहीं करते।
  • बाकी गुट से समन्वय नहीं: जिन जिलाध्यक्षों की सूची बनी है, उनके साथ सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि वे गुटीय नेताओं के साथ समन्वय नहीं बना पा रहे हैं। पूरे संगठन में अपने करीबी नेताओं को शामिल कर लिए हैं। नाराज बैठे गुट को और ज्यादा नाराज कर दिए। ऐसे में संगठन तितर-बितर हो गया है।
  • दमदार चेहरा नहीं: यह भी देखा जा रहा है कि 2023 के मुकाबले में जिलाध्यक्षों का चेहरा कैसा है? दमदार है कि नहीं? विरोधियों से मैदान में लड़ने में कितने सक्षम होंगे? सामाजिक, आर्थिक के साथ-साथ वक्ता भी देखा जा रहा है। भिलाई जिलाध्यक्ष समेत जिनकी सूची बनी है, उनमें सबसे बड़ी प्रॉब्लम यही नजर आ रही है।
  • इतिहास का ज्ञान: जिलाध्यक्षों के साथ एक और सबसे बड़ी प्रॉब्लम है कि उन्हें फैक्ट्स-फाइंडिंग का ज्ञान जीरो है। बीते दिनों जिलाध्यक्षों को क्लास लेकर यह कहा गया था कि इतिहास को दुरूस्त करें। लेकिन अधिकांश ने सुधार नहीं किया। अब उनकी छुट्‌टी होने वाली है।

ऐसे में कौन होंगे जिलाध्यक्ष…?
दुर्ग जिले में भाजपा नेताओं में जबरदस्त गुटबाजी है। ऐसे में निर्गुट रहने वाले संघीय नेता की तलाश चल रही है। क्योंकि नेता प्रतिपक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष संघ से आते हैं। उनके साथ गुटबाजी वाला इश्यू नहीं है। इसीलिए जिलाध्यक्षों की तलाश जारी है।

यह तय हो गया है कि भिलाई जिलाध्यक्ष वीरेंद्र साहू समेत अन्य को कभी भी नवरात्रि में हटाया जा सकता है। उनके स्थान पर वैशालीनगर विधानसभा से किसी एक को जिलाध्यक्ष की ताजपोशी की जा सकती है। एक युवा सीनियर पार्षद, एक सीटिंग मंडल अध्यक्ष व एक पूर्व पार्षद, एक चिकित्सक से लेकर संघीय नेताओं का मौका मिलना तय माना जा रहा है।

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