INS विक्रांत में हमारे “भिलाई स्टील प्लांट” का लोहा: PM मोदी ने INS विक्रांत देश को सौंपा… ये समंदर पर तैरता शहर

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत नेवी को सौंपा
  • इस तकनीकी उपलब्धि में भी भिलाई स्टील प्लांट का बहुत बड़ा हाथ है
  • भारत के समुद्री इतिहास में अब तक के सबसे बड़े जहाज के निर्माण में BSP से निर्मित डीएमआर ग्रेड का स्पेशल लोहा लगा है
  • सेल की बीएसपी सहित बोकारो और राउरकेला की इकाई ने मिलकर आईएनएस विक्रांत के निर्माण के लिए 30 हजार टन डीएमआर ग्रेड का विशेष लोहा सप्लाई किया है
  • 31 जनवरी 1997 को नेवी से INS विक्रांत को रिटायर कर दिया गया था
  • अब तकरीबन 25 साल बाद एक बार फिर से INS विक्रांत का पुनर्जन्म हुआ
  • 1971 की जंग में INS विक्रांत ने अपने सीहॉक लड़ाकू विमानों से बांग्लादेश के चिटगांव, कॉक्स बाजार और खुलना में दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर दिया था
  • बीएसपी की स्पेशल स्टील से बना है आईएनएस विक्रांत
  • कंपनी ने की 30000 टन डीएमआर प्लेट की आपूर्ति
  • बोकारो और राउरकेला का भी योगदान

भिलाई। देश की सार्वजनिक क्षेत्र की महारत्न स्टील उत्पादक कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने देश के पहले स्वदेशी रूप से निर्मित एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत के लिए सारी डीएमआर ग्रेड स्पेशियलिटी स्टील की आपूर्ति की है। कंपनी ने इस बड़ी उपलब्धि को हासिल करने के साथ आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में भागीदारी निभाते हुए, भारतीय नौसेना के इस पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर के निर्माण के लिए करीब 30000 टन द्वारा आपूर्ति किए गए स्टील में विशेष डीएमआर ग्रेड प्लेट्स शामिल हैं।

इन डीएमआर ग्रेड प्लेट्स को सेल ने भारतीय नौसेना और डीएमआरएल के सहयोग से विकसित किया है। इस युद्धपोत के पतवार और पोत के अंदरूनी हिस्सों के लिए ग्रेड 249 ए और उड़ान डेक के लिए ग्रेड 249 वी की डीएमआर प्लेटों का उपयोग किया गया। इस युद्धपोत के लिए बल्ब बार को छोड़कर, स्पेशियलिटी स्टील की पूरी आपूर्ति कंपनी के एकीकृत इस्पात संयंत्रों भिलाई, बोकारो और राउरकेला द्वारा की गई है।

युद्धपोत के पतवार और पोत के अंदरूनी हिस्सों के लिए ग्रेड 249 ए और उड़ान डेक के लिए ग्रेड 249 बी की डीएमआर प्लेटों का उपयोग किया है। इस युद्धपोत के लिए बल्ब बार को छोड़कर स्पेशियलिटी स्टील की पूरी आपूर्ति सेल के एकीकृत इस्पात संयंत्र भिलाई बोकारो और राउरकेला ने मिलकर की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में देश में निर्मित पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत शुक्रवार को भारतीय सेना के हवाले किया। यह भारत देश के लिए किसी बड़े गौरव से कम नहीं है। कोचीन शिपयार्ड में 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से बने इस स्वदेशी आईएनएस के निर्माण में बीएसपी का सहयोग भी बड़े गौरव की बात है। इस स्वदेशी विमानवाहक पोत में तीन महीने के लिए दवाइयां और सर्जरी में उपयोग आने वाले उपकरण उपलब्ध होंगे।

पोत पर तीन रसोई होंगी, जो इसके चालक दल के 1,600 सदस्यों के भोजन की जरूरतों को पूरा करेंगी। पोत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है और इसकी अधिकतम गति 28 नॉट है। विक्रांत में करीब 2200 कंपार्टमेंट हैं। ये सभी इसके चालक दल के करीब 1,600 सदस्यों के लिए हैं। इसमें महिला अधिकारी और नाविक भी शामिल हैं।

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