महिला पत्रकार से दुर्व्यवहार का मामला, आयोग ने टीआई और CSP को SP के मार्फत किया तलब

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने आज रायपुर कार्यालय में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। एक प्रकरण में महिला ने बताया कि एक युवक ने उसे डंडे से पीटा और छेड़छाड़ कर गालियां दी, जिसकी शिकायत उसने महिला आयोग में की है। महिला पेशे से पत्रकार है और उसे अनावेदक सीएसपी द्वारा पत्रकार शब्द हटाने के लिए धमकाया गया। इस प्रकरण में अनावेदक पक्ष अनुपस्थित रहा इसलिए आयोग ने अनावेदक टीआई और रायपुर सीएसपी को उपस्थित करने के लिए पुलिस अधीक्षक रायपुर को पत्र भेजे जाने का निर्देश दिया, जिससे प्रकरण का निराकरण किया जा सके।

आज के एक प्रकरण के दौरान दोनों पक्षों को सुना गया। आवेदिका ने बताया कि दोनों पक्षों का तलाक हो चुका है और अनावेदक ने दूसरा विवाह कर लिया है। अनावेदक ने बताया कि वह अपने बेटे का खर्च वहन कर रहा है और गुढियारी का मकान आवेदिका के नाम से कर दिया है, लेकिन मकान की रजिस्ट्री अब तक नहीं हुई है। आवेदिका मानसिक समस्या के कारण अपनी स्थिति को व्यक्त नहीं कर पा रही है इसलिए आगामी सुनवाई में आवेदिका के परिवार से उसके भाई को बुलाया जाएगा, ताकि प्रकरण का निराकरण किया जा सके।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका एवं अनावेदक (पति) उपस्थित हुए, उनके दो बच्चे 19 वर्ष और 15 वर्ष के है। आवेदिका ने बताया कि अनावेदक (पति) का अन्य महिला से अवैध संबंध है, जिसे अनावेदक (पति) ने आयोग के समक्ष स्वीकार किया। आवेदिका और अनावेदक पति-पत्नी है, उनका तलाक नहीं हुआ है और दूसरी महिला भी विवाहित है और उसका भी तलाक नहीं हुआ है। ऐसी दशा में अनावेदक के गलत आचरण से दो परिवार तहस-नहस हो रहे हैं। दोनों परिवार के कुल 6 बच्चों का जीवन बर्बाद हो रहा है। आवेदिका ने बताया कि अनावेदक (पति) किसी तरह से आवेदिका व बच्चों को भरण-पोषण नहीं देता है। साल में सिर्फ 1 दिन के लिए अपने परिवार से मिलने आता है। आगामी सुनवाई में अनावेदिका दूसरी पत्नी और उसके सभी अनावेदकगणों की उपस्थिति एसपी के माध्यम से कराए जाने का निर्देश दिया गया, ताकि प्रकरण का निराकरण किया जा सके।

अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक ने उससे 1 लाख रुपए नगद लिया था और 2018 में वापस करने के लिए लिखित इकरारनामा में हस्ताक्षर किया था, लेकिन आज दिनांक तक उसने रुपए वापस नहीं दिया है। आयोग की सुनवाई के दौरान अनावेदक ने यह स्वीकार किया कि वह आवेदिका को राशि वापस करेगा, लेकिन आज अपने बयान से मुकर रहा है। इकरारनामा दिखाये जाने पर अनावेदक ने पुनः स्वीकार किया कि उसने यह एग्रीमेंट किया था. इससे यह स्पष्ट है कि अनावेदक ने आवेदिका को धोखा देने के उद्देश्य से 1 लाख रुपए लिया और आज दिनांक तक वापस नहीं किया है। अनावेदक ने आयोग के समक्ष अपनी गलती स्वीकार की। आयोग ने आवेदिका को यह निर्देश दिया कि वह उसके साथ हुए धोखाधड़ी व 1 लाख रुपए वसूली की राशि का दीवानी एवं अपराधिक मामला न्यायालय एवं थाने में दर्ज करवाएं। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।

एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक के शो रूम से उसने ई-रिक्शा खरीदा था, लेकिन उसकी बैटरी पुरानी थी, बैटरी खराब हो गई। आवेदिका इसकी शिकायत लेकर वापस शो-रूम गई, लेकिन आवेदिका को ई-रिक्शा की नई बैटरी नहीं दिया गया। आवेदिका ने बताया कि लगभग 5 माह से ई-रिक्शा खड़ी है। गाड़ी की बैटरी खराब होने से उसका रोजगार ठप हो गया है। बैंक का ब्याज भी बढ़ रहा है। आवेदिका ने बताया कि बैटरी की गारंटी कार्ड में दूसरे का नाम लिखा है. जब गाड़ी आवेदिका की है तो उसमें दूसरे का नाम लिखा होना अनावेदक की गलत मानसिकता को दर्शाता है। अनावेदक लगातार बहाने बनाकर बचने का प्रयास कर रहा था, फिर अपनी गलती मानी और 1 माह में आवेदिका को नयी बैटरी व आरटीओ का राशि दिलाने स्वीकार किया।