यशवंत साहू@ भिलाई। लोगों की गाढ़ी कमाई हड़पने वालों पर प्रशासन ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। आज प्रशासन की ओर से एक प्रेस रिलीज जारी किया गया है। जिसमें बताया गया है कि, आम जनता को अपनी संस्था की विभिन्न लोक लुभावनी योजना बताकर और उनसे रूपए जमा करा कर निवेशकों के साथ धोखाधड़ी छल फरेब कर राशि कपट पूर्वक तरीके से व्यतिक्रम किए जाने के कारण आरोपी संस्था एवं उनके संचालकों की संपत्ति कुर्क की जाएगी।
कार्यालय कलेक्टोरेट से प्राप्त जानकारी के अनुसार कंपनी टोगो रिटेल मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड, टोगो स्वास्थ्य एवं जन कल्याण संस्थान एवं सहयोगी कंपनी बामची केमिकल्स लिमिटेड, बेसिल इंटरनेशनल लिमिटेड, निक्सिल फार्मसिटीकल लिमिटेड, जैग पालीमर्स कंपनी लिमिटेड, मिलानी टेक्नो इंजीनियरिंग लिमिटेड, जियो साईन माईन्स-2, मेटल्स कंपनी लिमिटेड एवं पेट्रान मिनिरल्स एवं माइन्स लिमिटेड की संपत्ति कुर्क करने का आदेश जारी किया गया है।
कंपनी के एरिया मैनेजर प्रशांत मजुमदार आत्मज चिनुराम मजुमदार एवं पिजुस मजुमदार आत्मज प्रशांत मजुमदार निवासी मकान नंबर 5 ए अनुष्ठा रेसीडेंसी जुनवानी भिलाई तहसील दुर्ग की चल-अचल संपत्ति को निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम अंतर्गत कुर्क किए जाने हेतु आदेश पारित किया गया है। आपको बता दें कि इस सूची में टोगो कंपनी है। उसने कई कंपनी बनाकर लोगों को ठगा है। आपको टोगो की कहानी बताते हैं…
6 साल पहले हाईकोर्ट गया था मामला, तब हुआ खुलासा…
6 साल पहले पीड़ित पक्ष बिलासपुर हाईकोर्ट गए। जहां उन्होंने अपनी रकम वापसी की गुहार लगाई। ठगी की रकम तकरीबन 150 करोड़ रुपए है। जिसे कंपनी ने मेच्योरिटी होने के बाद भी निवेशकों को नहीं लौटाया। इसका खुलासा 6 साल पहले हुआ। जब पीड़ितों ने ठगी करने वाली कंपनी की प्रॉपर्टी कुर्क करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट बिलासपुर में याचिका दायर की।
इस मामले में 44 लोगों ने याचिका दायर की थी। जो रुपए वापस मिलने की आस में सरकारी तंत्र के पास गए थे। लेकिन वहां पीड़ितों को सहायता तो दूर आश्वासन तक नहीं मिला था। इसके बाद ही उन्होंने न्याय के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा था।
दरअसल टोगो कंपनी ने लोगों को ठगा। वह इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) की है। जो 1996 में भिलाई में अपना कारोबार शुरू किया। प्रदेश के अन्य जिलों में भी निवेशकों से रकम वसूले। यह सिलसिला 2014 तक चला। जब निवेशकों के जमा रकम को लौटाने की बारी आई तो कंपनी अपना बोरिया-बिस्तर बांधकर भाग गई।
कंपनी ने ऐसे बढ़ाया था अपना कारोबार
– कंपनी 1996 से पावर हाउस आरएसएस मार्केट के सेकंड फ्लोर पर चल रही थी।
– दिसंबर 2014 में मिच्योरिटी होने के बाद से किसी भी निवेशक को रकम नहीं मिली।
– भिलाई के बाद यह कंपनी इलाहाबाद के पास शाहगंज लीडर रोड में धड़ल्ले से चलती रही।
– 31 दिसंबर 2015 को निवेशकों ने पहला कानूनी नोटिस थमाया। जिसका कोई जवाब नहीं मिला।
– रिजनल मैनेजर पी. मजूमदार ने यहां रहते हुए 7 से 9 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी बनाई थी। इसमें स्मृतिनगर भिलाई में व्यावसायिक कांप्लेक्स, परमालकसा में 3 एकड़ कृषि भूमि, भिलाई-3 में 4 हजार स्क्वेयर फीट जमीन है।
– इन सभी कंपनियों की कुल प्रॉपर्टी तकरीबन 1 हजार करोड़ रुपए के आसपास है।
हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने कुल 21 लोगों को पार्टी बनाया था। इसमें टोगो के डायरेक्टर डॉ. पृथ्वीपाल सिंह सेठी के साथ-साथ छग-यूपी के चीफ सेक्रेटरी, दुर्ग एसपी व कलेक्टर समेत सुपेला थाना प्रभारी व अन्य डायरेक्टर शामिल थे।
निवेशकों ने बताया कि 1996 में यह कंपनी भिलाई आई। जहां पावर हाउस के RSS मार्केट के सेकंड फ्लोर में ब्रांच खोला। भिलाई-दुर्ग, राजनांदगांव व बालोद जिले में ही कंपनी के तकरीबन 10 हजार निवेशक हैं। जिनसे 100 करोड़ वसूले। निवेशकों का दावा है कि, इनका कारोबार 50 करोड़ का है।