मां दुर्गा के दर्शन के लिए पंडालों में पहुंचे पदेश के मुखिया भूपेश बघेल…कहा- माना दुर्गा पंडाल की पूरी छत्तीसगढ़ में चर्चा, बीरगांव में रामलीला उत्सव में भी हुए शामिल; देखिये तस्वीरें

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मंगलवार को राजधानी रायपुर का प्रसिद्ध माना दुर्गा पंडाल पहुंचे। दुर्गा पंडाल पहुंचकर मां दुर्गा के दर्शन व पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना की। इसके बाद मुख्यमंत्री बीरगांव में रामलीला उत्सव में भी शामिल हुए, जहां उन्होंने भगवान श्री राम की पूजा की। इस दौरान मुख्यमंत्री के साथ रायपुर ग्रामीण क्षेत्र के विधायक श्री सत्यनारायण शर्मा व जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष पंकज शर्मा उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री ने उक्त दोनों स्थानों पर मौजूद जनसमूह को संबोधित भी किया।

माना दुर्गा पंडाल की पूरी छत्तीसगढ़ में चर्चा- CM
माना पहुंचे मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि, हर साल की तरह इस साल भी माना में बहुत ही सुंदर एवं भव्य दुर्गा पंडाल बनाया गया है, जिसकी पूरे छत्तीसगढ़ में चर्चा है। उन्होंने कहा कि यह शक्ति की उपासना का पर्व है। नवरात्र के नौ दिनों तक लोग देवी मां की पूरे श्रद्धा भाव से पूजा-अर्चना और आराधना करते हैं। श्रद्धालु उपवास रखते हुए उपासना करते हैं। यह अवसर संयम और श्रद्धा के समन्वय का होता है।

रामलीला उत्सव में पहुंचे मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री बघेल बीरगांव में आयोजित हो रहे सनातन धर्म उत्सव समिति द्वारा आयोजित रामलीला उत्सव में पहुंचे। वहां उन्होंने भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि बचपन में बहुत रामलीला और कृष्णलीला के मंचन देखे हैं, तब आध्यात्म से जुड़ने के साथ ही यह मनोरंजन का भी साधन था। टेलीविजन आने से इसकी कमी महसूस हो रही थी। उन्होंने बीरगांव में रामलीला के आयोजन की बधाई देते हुए रामलीला के लिए पहुंचे कलाकारों का स्वागत किया।

छत्तीसगढ़ के कण-कण में बसे है भगवान राम
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान राम छत्तीसगढ़ के कण-कण में रचे-बसे हैं। भगवान राम का छत्तीसगढ़ के करीब से सम्बद्ध है। जब हम छत्तीसगढ़ के गांव में आपस में मिलते हैं तो राम-राम कहते हैं। सोते-जागते हर समय यहां राम का स्मरण किया जाता है। उन्होंने कहा कि, पूरी दुनिया में माता कौशल्या का एकमात्र मंदिर छत्तीसगढ़ में है।

माता कौशल्या का जन्मस्थल है छत्तीसगढ़
यह माता कौशल्या का जन्म हुआ, जो छत्तीसगढ़ के लिए सौभाग्य की बात है। ऐसे में हम छत्तीसगढ़वासी भगवान राम को भांचा कहते हैं, इसलिए यहां भांजे में भगवान राम का स्वरूप देखते हैं। इसलिए यहां परम्परा है कि मामा अपने भांजे का चरण स्पर्श करते हैं। अपने वनवास की अवधि में भी भगवान राम ने सबसे अधिक समय छत्तीसगढ़ में बिताया। यहीं पर उन्होंने शबरी के जूठे बेर खाए। भगवान राम सबके प्रति समभाव रखते थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें भगवान राम के आदर्शों पर चलने का प्रयास करना चाहिए। उनका जीवन, सदगुणों की सीख देता है। इस कार्यक्रम में जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

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