दुर्ग जिला पंचायत का एडिशनल CEO गिरफ्तार: फर्जी डिग्री के जरिए शिक्षाकर्मी नौकरी देने के मामले में नप गए साहब…CID ने जांच कर रजिस्टर्ड किया था केस

भिलाई/ धमतरी: शिक्षाकर्मी भर्ती घोटाला…काफी दिनों से चर्चित ये शब्द आज फिर चर्चा में है। चर्चा में इसलिए क्योंकि इस मामले से जुड़े एक अफसर को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस ने जिस अफसर को गिरफ्तार किया है वो दुर्ग जिला पंचायत में एडिशनल सीईओ (परियोजना अधिकारी) हैं। नाम है कमलकांत (केके) तिवारी। मामला धमतरी से जुड़ा है।

जब तिवारी जनपद पंचायत मगरलोड के सीईओ थे। पुलिस ने उन्हें भिलाई स्थित निवास से गिरफ्तार किया है। साल 2007 में हुए शिक्षाकर्मी वर्ग-3 की भर्ती प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा किया गया था। इस मामले में लंबे समय बाद अधिकारी के खिलाफ गिरफ्तारी की कार्रवाई की गई है। मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी के बाद अब तत्कालीन चयन और छानबीन समिति के सदस्यों में हड़कंप मच गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो दरअसल, 2007 में शिक्षाकर्मी वर्ग 3 की भर्ती के लिए 150 शिक्षाकर्मियों की भर्ती की अनुमति विभाग ने दी थी। जनपद द्वारा कुल 172 पदों पर भर्ती कर दी गई। तब एक आरटीआई कार्यकर्ता ने यह आरोप लगाया था कि फर्जी दस्तावेजों के सहारे सैकड़ों शिक्षा कर्मियों की भर्ती चयन समिति और छानबीन समिति द्वारा कर दी गई है।

शिक्षाकर्मियों की भर्ती के दस्तावेज सूचना के अधिकार के तहत जुलाई 2011 में भर्ती में गड़बड़ी की शिकायत पुलिस से की गई। मामला तूल पकड़ा तब सीआईडी से इसकी जांच की मांग की गई थी। सीआईडी ने इसकी जांच की और जांच के इस मामले में एफआईआर दर्ज किया गया, लेकिन 10 साल बाद पुलिस ने भर्ती समिति से जुड़े अधिकारी की गिरफ्तारी की है।

यह भी पता चला है कि, धमतरी जिले के जनपद पंचायत मगरलोड में साल 2007 में शिक्षाकर्मी वर्ग-3 की भर्ती हुई थी। इसमें छानबीन और चयन समिति ने भर्ती प्रक्रिया में भारी अनियमितता बरती। फर्जी तरीके से लोगों को नौकरी दे दी गई, जिनके हायर सेकंडरी स्कूल सर्टिफिकेट और खेल प्रमाण पत्र सहित अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी था।

शिक्षा कर्मी वर्ग 3 के लिए स्वीकृत पद 150 के खिलाफ कुल 172 पदों पर भर्ती की गई थी। इनका अलग-अलग से अनेकों बार जारी किया गया, जिसमें अभ्यर्थी के निवास के पते को छुपाया गया.चयन समिति के सदस्यों द्वारा अपने परिवार के अनेकों सदस्यों की शिक्षा कर्मी वर्ग 3 के पद पर नियुक्त की गई।

आरटीआई कार्यकर्ता कृष्णकुमार साहू की रिपोर्ट पर मगरलोड थाने में 27 नवंबर 2011 को अलग-अलग केस दर्ज हुआ था। मामले में फर्जी डिग्री के सहारे नौकरी पाने वाले 12 शिक्षाकर्मियों की गिरफ्तारी के साथ न्यायालय से सजा भी मिली, लेकिन चयन और छानबीन समिति पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।

पुलिस की ओर से मामले में गंभीरता नहीं दिखाने पर आरटीआई कार्यकर्ता ने सीआईडी में शिकायत की। सीआईडी ने इसकी जांच कर धमतरी पुलिस को कार्रवाई के लिए जांच प्रतिवेदन सौंपा। तब जाकर इस मामले में तत्कालीन सीईओ पर कार्रवाई की गई है।

गौरतलब है कि इस मामले में अभी तक 19 शिक्षाकर्मियों की सेवाएं समाप्त की जा चुकी है और दर्जनों शिक्षाकर्मी इस्तीफा दे चुके हैं। इसके अलावा मगरलोड पुलिस ने 17 शिक्षाकर्मियों की गिरफ्तारी कर अभियोग पत्र भी प्रस्तुत किया है।

जिस पर न्यायालय ने उन्हें कठोर दंड से दंडित किया है। उस दौरान धमतरी में भी इसी तरह शिक्षाकर्मी भर्ती में फर्जीवाड़ा हुआ था। आरटीआई कार्यकर्ता कृष्णकुमार साहू की ही शिकायत पर जांच हुई और तत्कालीन जनपद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित चयन समिति से जुड़े अनेक लोगों को जेल की हवा खानी पड़ी थी।

बहरहाल पुलिस ने इस मामले में आरोपी के खिलाफ धारा 420,467,68,120 बी सहित एस.सी. एक्ट तहत कार्रवाई कर आगे की प्रक्रिया में जुट गई है.

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