रायपुर। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के बाद अब राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्लू) ने कस्टम मिलिंग में 140 करोड़ रुपए की अवैध उगाही के मामले में मार्कफेड के तत्कालीन प्रबंध संचालक मनोज सोनी और कोरबा जिले के तत्कालीन जिला मार्केटिंग ऑफिसर प्रीतिका पूजा केरकेट्टा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। वहीं DMF घोटाले में भी EOW ने एफआईआर की है। ये FIR 16 जनवरी और 17 जनवरी को केस दर्ज हुए थे। 16 जनवरी को FIR क्रमांक 1/24 में धारा-120-B-IPC, 409-IPC, 13(2)-PRE, 13(1)(a)-PRE और 17 जनवरी को एफआईआर क्रमांक 2/24 में धारा 120-B-IPC, 420-IPC, 12-PRE के तहत दर्ज केस हुआ था।
कस्टम मिलिंग प्रकरण –
ईडी के प्रतिवेदन के आधार पर ईओडब्लू ने धारा 120 बी, 409, 13 (1) (क), सहपठित धारा 13 (२) एवं 11 के तहत केस दर्ज किया है। जानकारी के मुताबिक, ईडी ने जांच में पाया कि विभिन्न राइस मिलर्स द्वारा नागरिक आपूर्ति निगम (नान) एवं एफसीआई में कस्टम मिलिंग का जो चावल जमा किया जाता है। इसमें प्रति क्विंटल के हिसाब से अवैध उगाही की गई है।
मार्कफेड के तत्कालीन एमडी मनोज सोनी और कोरबा जिले में पदस्थ रही जिला मार्केटिंग ऑफिसर प्रीतिका पूजा केरकेट्टा के मार्फत छत्तीसगढ़ स्टेट राइसमिलर एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर द्वारा निर्देश था कि उन्हीं मिलर्स के बिल का भुगतान किया जाना है, जिनकी वसूली की राशि रोशन चंद्राकर को प्राप्त हुई है। किन मिलर्स को भुगतान होना है इसकी जानकारी संबंधित जिले के मिल एसोसिएशन को मनोज सोनी के जरिए ही मिलती थी।
दोनों अफसरों द्वारा छत्तीसगढ़ स्टेट राइसमिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश रूंगटा, उपाध्यक्ष पारसमल चोपड़ा और कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर के साथ आपराधिक षडयंत्र कर अवैध वसूली की गई है, जिस पर विभिन्न धाराओं के तहत अपराध दर्ज (Manoj Soni FIR) किया गया है।
140 करोड़ की हुई अवैध उगाही : ईडी ने अपनी जांच प्रतिवेदन में कहा है कि आयकर विभाग द्वारा की गई तलाशी की कार्रवाई से लगभग 1.6 करोड़ रुपए कैश जब्त की गई है, जिसका कोई लेखा जोखा नहीं है। बहुत सारे आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस मिले हैं। कस्टम मिलिंग में लगभग 140 करोड़ रुपए की अवैध वसूली राइसमिलर्स से हुई है।
DMF प्रकरण –
वहीं DMF घोटाले में भी एक FIR की गयी है। डीएमएफ मामले में IAS रानू साहू के खिलाफ नामजद FIR हैं। दरअसल कांग्रेस कार्यकाल में कोरबा जिले में डीएमएफ के पैसों का बड़े पैमाने पर बंदरबांट हुई थी। अब ED की शिकायत पर EOW ने जो मामले दर्ज किए हैं, उसके मुताबिक इस अनियमितता में तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू समेत अनेक विभागीय अफसर भी संलिप्त हैं। शिकायत के मुताबिक कई टेंडर्स में अफसरों को सीधे-सीधे 40 फीसदी रकम पहुंचाई गई है।
ईडी के प्रतिवेदन रिपोर्ट पर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने अपराध क्रमांक-02/2024 धारा 120बी, 420 भादवि एवं धारा-7, धारा-12 के तहत् मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शिकायत के मुताबिक, कोरबा में तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू के साथ उनके मातहत अफसरों ने निविदा भरने वाले के साथ सांठगांठ की थी। डीएमएफ के पैसों से कराए जाने वाले कामों की निविदाओं के आबंटन में, बिल पास कराने के लिए, सामानों के वास्तविक मूल्य से कई गुना ज्यादा दाम के बिल पास किए गए।
शिकायत में जिन ठेकेदारों पर अफसरों को लाभ पहुंचाने की शिकायत है, उनमें संजय शेण्डे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, रिषभ सोनी और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल, शेखर के नाम शामिल हैं। जानकारी के मुताबिक कोरबा जिले में DMF से टेंडर्स के आंबटन में बड़े पैमाने पर पैसों का लेन-देन हुआ है। गलत ढंग से टेंडर की दरें तय कर ठेकेदारों को सीधे लाभ पहुंचाया गया, जिसके कारण प्रदेश शासन को बड़ी आर्थिक हानि हुई है।
शिकायत में प्रतिवेदन में यह भी साफ-साफ कहा गया है कि, अफसरों को कुल टेंडर दर में से लगभग 40 प्रतिशत रकम दिए गए। इतना ही नहीं बल्कि एक निजी कम्पनी को भी इन निविदाओं के लिए 15 से 20 प्रतिशत अलग-अलग दरों से कमीशन दिया गया है। इसी तरह प्रदेश के कई जिलों में डी.एम.एफ. में भारी वित्तीय अनियमितता बरतकर शासन को नुकसान पहुंचाया गया है।