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टाउनशिप की बिजली CSPDCL को हैंडओवर हुई तो बढ़ जाएगा टाउनशिप का बिजली बिल…पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय ने फेसबुक LIVE आकर किया खुलासा, जनता के सामने पेश किया सरकार का जवाब

टाउनशिप की बिजली CSPDCL को हैंडओवर हुई तो बढ़ जाएगा टाउनशिप का बिजली बिल…पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय ने फेसबुक LIVE आकर किया खुलासा, जनता के सामने पेश किया सरकार का जवाब

भिलाई। राज्य शासन द्वारा घरेलू उपभोक्ताओ को दिनाँक 01 मार्च 2019 से 400 यूनिट तक के बिजली बिल की आधी राशि छूट के रूप में दिये जाने वाले लाभ को BSP टाउनशिप की जनता पर में लागू न किए जाने एवं इस छूट के लागू न करने का कारण यह बताया जाना कि BSP टाउनशिप में विद्युत आपूर्ति CSPDCL द्वारा नहीं किया जा रहा इसलिए छूट लागू नहीं की जा सकती। यही कारण बताकर पिछले कई वर्षों से टाउनशिप की जनता को गुमराह करते हुये BSP टाउनशिप की विद्युत आपूर्ति का काम CSPDCLको हैंडओवर किए जाने की कवायत की जा रही है। टाउनशिप की जनता को यह भी बताया जा रहा कि CSPDCL को विद्युत आपूर्ति का काम दिये जाने के बाद टाउनशिप में विद्युत दर कम हो जाएंगे। जो कि सरासर गलत कथन है जिसे मेरे द्वारा अपनी पूर्व के प्रेसवार्ताओ में साबित कर दिया गया कि CSPDCL की सभी कैटेगरी की टैरिफ, BSP टाउनशिप की टैरिफ से 30 से 50 प्रतिशत अधिक है। इसलिए टाउनशीप की विद्युत आपूर्ति CSPDCL दिये जाने से सभी का बिजली बिल में सीधा-सीधा डेढ़ गुना तक बढ़ जाएगा। BSP टाउनशिप में लागू टैरिफ, CSPDCL के विद्युत दरों से कम है इस बात की पुष्टि भारतीय जनता पार्टी द्वारा ध्यानाकर्षण के दौरान लगाए गए प्रश्न के जवाब में स्वयं मुख्यमंत्रीजी द्वारा कर दिया गया है। अतः इसमे कोई शंका नहीं कि CSPDCL के टाउनशिप में आ जाने से सभी का बिजली बिल में बढ़ोतरी हो जाएगी।

हाँ किन्तु राज्य शासन द्वारा टाउनशिप में बिजली बिल में छूट का लाभ न देकर टाउनशिप कि जनता के साथ धोखा एवं अन्याय किया जा रहा है। यदि छत्तीसगढ़ काँग्रेस पार्टी का घोषणा-पत्र को देखा जाये तो उसमे साफ-साफ लिखा है कि ‘सबका बिजली बिल हाफ’। इसी वादे, छूट हेतु जारी आदेश के प्रावधान एवं संविधान में दिये गए बराबरी के अधिकार का हवाला देते हुये मेरे द्वारा पुर्व में बिजली दरों में छुट का लाभ देने हेतु मुख्यमंत्री जी, मुख्य सचिव, ऊर्जा सचिव एवं BSP के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया । चूंकि इन ज्ञापनों को सौंपे हुये कई माह बीत जाने के बाद भी आज तक छूट का लाभ टाउनशिप की जनता को नहीं दिया गया तथा विधानसभा में मुख्यमंत्री जी द्वारा BSP टाउनशीप में बिजली बिल में छुट देने से साफ मना कर दिया गया है जिस हेतु उनके द्वारा मनगढ़ंत कारण बताया गया। उनके द्वारा बताए कारण को मनगढ़ंत कहने का आधार यह है कि उनके द्वारा बताया गया कारण छूट जारी किए जाने से संबन्धित बजट भाषण अथवा मंत्रिपरिषद के आदेश अथवा छूट हेतु जारी आदेश किसी भी दस्तावेज़ में दर्ज नहीं है।

मुख्यमंत्री जी के कथनो यह भी स्पष्ट होता है कि मुख्यमंत्री जी को यह ज्ञात है कि यदि BSP टाउनशीप में CSPDCL द्वारा विद्युत आपूर्ति की जाती तो सरकार को आज की तारीख में 46 करोड़ रुपयों की सालाना सब्सिडी देनी पड़ती, जिसके लिए सरकार तैयार है जबकि वर्तमान स्थिति में सरकार को 30 करोड़ रुपए सालाना देने होंगे। सरकार BSP टाउनशीप की जनता के लिए तो 46 करोड़ रुपए देने के लिए तो तैयार है किन्तु वर्तमान स्थिति में BSP टाउनशीप की जनता को 30 करोड़ रुपए देने में परेशानी हो रही है। अब मुझे मुख्यमंत्री जी एवं उनके सलाहकारों की वित्तीय ज्ञान पर आश्चर्य होता है जो टाउनशीप की जनता पर 46 करोड़ रुपए सालाना खर्च करने को तो तैयार है किन्तु वर्तमान परिस्थिति में 30 करोड़ रुपए सालाना देने से बचना चाहते हैं। यह तो वैसी ही बात हुई कि रामलाल सब्जी वाला टमाटर 20 रुपए किलो दे रहा और सरकार उसे कह रही हो यदि यही टमाटर श्यामलाल बेच रहा होता तो हम उससे 30 रुपए किलो में खरीद लेते। निष्कर्ष यह कि सरकार को टमाटर से मतलब नहीं है उसे तो मतलब इस बात से है कि टमाटर कौन बेच रहा, यह तो बड़ी अजीब विडम्बना है तथा इस विडम्बना के बीच BSP टाउनशीप की जनता पीस रही है। सरकार 20 रुपए किलो वाला टमाटर खरीदकर नहीं बाटना चाहती वो तो वही टमाटर 30 रुपए किलो खरीदकर बाटना चाहती है।

यदि अगर बिजली बिल में छुट के नाम पर BSP टाउनशीप की जनता के अलावा राज्य के सभी उपभोक्ताओ अभी तक हजारो करोड़ रुपए बांटे जा चुके हैं जिसे कि पोस्टर के माध्यम से प्रचारित प्रसारित किया जा रहा है। बिजली में छूट के नाम पर दिये हजारो करोड़ रुपयों में BSP टाउनशीप की जनता द्वारा दिया गया टैक्स भी शामिल है किन्तु इस छूट के लाभ में टाउनशीप की को कोई हिस्सा नहीं मिला। अब विचार करने वाली बात यह है कि क्या टाउनशीप की जनता छत्तीसगढ़ की जनता न होकर किसी और देश की जैसे कि पाकिस्तान की जनता हो, क्या टाउनशीप की जनता सरकार को टैक्स नहीं दे रही तथा क्या घोषणा पत्र में यह लिखा था कि बिजली बिल हाफ की योजना BSP टाउनशीप में लागू नहीं किया जाएगा ।

मुख्यमंत्रीजी को किसने रोक रखा है कि BSP टाउनशीप में छूट का लाभ न दे। मुख्यमंत्री एवं काँग्रेस के अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधि आदेश के प्रावधानों का हवाला देकर टाउनशीप की जनता को बेवकूफ बना रहे हैं। आखिर छूट से संबन्धित प्रावधान स्वयं मुख्यमंत्री जी द्वारा तय किया गया है तथा यदि आदेश के प्रावधान मुख्यमंत्रीजी द्वारा तय किया गया है तो यही निष्कर्ष निकलता है कि उनके द्वारा जानबूझकर ऐसा प्रावधान बनाए गए जिससे कि BSP टाउनशीप की जनता पूरे 5 साल तक बिजली बिल में छुट के लाभ के लिए तरसते रहे। सरकार बिजली बिल के छूट के नाम पर खर्च किए जा रहे हजारो करोड़ की सब्सिडी का पोस्टर राज्य भर में लगवाकर चिढ़ाया जा सके। पोस्टरों पर भरोसा किया जाये तो सरकार अभी तक हजारो करोड़ रुपए बिजली बिल में आधी छूट के नाम पर बाँट चुकी है किन्तु BSP टाउनशीप की जनता को बिजलीबिल में छूट के नाम पर देने के लिए प्रतिमाह लगभग ढाई दो करोड़ रुपए भी खर्च नहीं कर पा रही है। BSP टाउनशीप की जनता को छत्तीसगढ़ बिजली बिल में छूट नहीं दिया जाना, इस सरकार की असमर्थता नहीं बल्कि BSP टाउनशीप की जनता को छत्तीसगढ़ के दूसरे दर्जे का नागरिक समझकर किया जाने वाला एक षड्यंत्र है।

BSP टाउनशीप की जनता के साथ हो रहे इस भेदभाव को खत्म करने के लिए ही मेरे द्वारा पिछले एक साल से प्रयास किया जा रहा है। इसी संबंध में, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, ऊर्जा सचिव, BSP के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया है किन्तु कोई कार्यवाही होता न देख मैंने कानूनी रास्ता अपनाने का निर्णय लिया तथा इसी संबंध बिजली बिल में छूट से संबन्धित सभी दस्तावेज़ जैसे घोषणापत्र, मुख्यमंत्रीजी का बजट भाषण, मंत्रिपरिषद का आदेश, राज्य शासन द्वारा जारी किया आदेश, ध्यानआकर्षण के दौरान मुख्यमंत्रीजी द्वारा दिया गया जवाब जैसे दस्तावेज़ सूचना के अधिकार का उपयोग करते हुये प्राप्त किया गया। जिसके अध्धयन से निकले निष्कर्ष को ही आज मैं आप सबके साथ साझा करना चाहता हूँ ।

घोषणा पत्र में वादा किया गया था ‘सबका बिजली बिल हाफ’। घोषणा पत्र में यह कंही उल्लेख नहीं कि BSP टाउनशीप की जनता को बिजली बिल हाफ का लाभ नहीं दिया जाएगा। परंतु किया ऐसे ही गया और विधानसभा में बेशर्मी से बोल दिया गया कि हमने जानबूझकर BSP टाउनशीप के लोगो को छूट का लाभ नहीं दिया है। यह कृत्य BSP टाउनशीप की जनता के साथ किया गया धोखा है और सीधी-सीधी चुनौती है कि हमे जो करना था हमने वो कर दिया, आपसे जो बन पड़े वो कर लो। मैंने BSP टाउनशीप की जनता को दी गई चुनौती स्वीकार की है और मैं इस छूट का लाभ बिना भेदभाव के बीएसपी टाउनशीप की जनता को दिलवाने के लिए जरूरत पढ़ने पर अदालत का दरवाजा खटखटाने से भी गुरेज नहीं करूंगा। इसलिए ही मैंने छूट से संबन्धित सारे दस्तावेज़ एकत्रित किए है ताकि BSP टाउनशीप की जनता के साथ हुये भेदभाव को मिटाने हेतु न्यायालय कि शरण में जाया जा सके।

सूचना के अधिकार के अंतर्गत प्राप्त दस्तावेज़ से निम्नलिखित प्रश्न सामने आते है, जिसका जवाब सरकार द्वारा दिया जाना चाहिए:

  1. क्या घोषणा पत्र में उल्लेखित ‘सबका बिजली बिल हाफ’ के ‘सबका’ शब्द में BSP टाउनशीप के जनता नहीं आती?
  2. क्या मुख्यमंत्री जी के वर्ष 2019-20 के बजट भाषण में राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओ को बिजली बिल में छूट दिये जाने का उल्लेख नहीं था?
  3. क्या BSP टाउनशीप के घरेलू विद्युत उपभोक्ता, छत्तीसगढ़ के घरेलू उपभोक्ता न होकर किसी अन्य देश जैसे कि पाकिस्तान की जनता हो इसलिए इनसे बदला लिया जा रहा?
  4. क्या मंत्रिपरिषद के दिनांक 21.02.2019 के आदेश में यह दर्ज नहीं है कि वर्ष 2019-20 के बजट भाषण में राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओ को 400 यूनिट तक की खपत पर देय बिल कि राशि को आधा किए जाने की घोषणा के क्रियान्वयन हेतु नहीं है?
  5. क्या घोषणापत्र, मुख्यमंत्रीजी के बजट भाषण, मंत्रिपरिषद के दिनांक 21.02.2019 के आदेश या ऊर्जा विभाग के आदेश दिनांक 27.02.2019 में यह दर्ज है कि BSP टाउनशिप में बिजली बिल CSPDCL से कम होने के कारण BSP टाउनशीप में छूट का लाभ नहीं दिया जाएगा?
  6. यदि प्रश्न 5 का जवाब नहीं में है तो मुख्यमंत्री जी का विधान सभा में दिया गया जवाब कि BSP टाउनशीप में विद्युत दर कम है इसलिए छूट का लाभ नहीं दिये गए कथन का आधार क्या है?
  7. उक्त जवाब को बिजली बिल में छूट के मामले पर लीपापोती करने के उद्देश्य से बाद में सोचकर दिया गया जवाब क्यों न माना जाये?

चूंकि BSP टाउनशीप की जनता को बिजली में छूट दिलवाने के प्रकरण से संबन्धित न्यायालय में जाने के अलावा अन्य सारे प्रयास किए जा चुके हैं इसलिए अब शीघ्र ही उक्त छूट दिलवाने के प्रयास में एक जनहित याचिका लगाई जाएगी।


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