रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की औद्यौगिक नीति से प्रदेश में पूंजी निवेश को बढ़ावा मिल रहा है। उद्योग के लिए अनुकूल माहौल मिलने से नए उद्योग आ रहे हैं। नए उद्योगों की स्थापना से प्रदेश में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ रही है। इज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत छत्तीसगढ़ सरकार ने नई औद्यौगिक नीति 2021-2024 में उद्योगों की स्थापना से जुड़े नियमों को सरल बनाया है। जिसमें उद्योगों को विभिन्न स्वीकृतियां प्रदान करने के लिए एकल खिड़की प्रणाली लागू की गई है, कठिन प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है।
राज्य के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं महिला वर्ग के उद्यमियों द्वारा 5 करोड़ रुपए के पूंजीगत लागत तक के नवीन उद्योगों की स्थापना के लिए 25 प्रतिशत, अधिकतम सीमा 50 लाख रुपए मार्जिन की राशि अनुदान दिए जाने का प्रावधान, ओबीसी वर्ग के लिए औद्योगिक क्षेत्रों में 10 प्रतिशत भूखण्ड आरक्षण का निर्णय किया है, जबकि पहले की औद्योगिक नीति में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए कोई प्रावधान नहीं था। सरकार द्वारा भूमि आवंटन भू-प्रब्याजी में 30 प्रतिशत और भू-भाटक में 33 प्रतिशत की कमी भी की गई है। ऐसे ही अनेकों सेवाओं के लिए ऑनलाइन सुविधा भी प्रदान की गई है। उद्योगों के लिए जमीन आवंटन और जमीन को फ्री होल्ड करने के व्यावहारिक प्रावधान करने समेत अनेकों कदम उठाए गए हैं जिससे प्रदेश में उद्योग एवं व्यवसाय के लिए अच्छा माहौल बन रहा है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य में विभिन्न सेक्टरो में उद्योगों को न केवल बढ़ावा मिल रहा है बल्कि प्रदेश में औद्योगिक विकास की संभावनाओं को गति और उद्योग से जुड़े हर सेक्टर में नवाचार को प्रोत्साहन भी मिल रहा है। प्रदेश में विगत पौने चार सालों में कुल 2 हजार 2 सौ 18 औद्योगिक इकाईयां स्थापित हुई हैं, जिनमें 21 हजार 4 सौ 57.29 करोड़ रुपए का निवेश हुआ है। इन उद्योगों में अब तक 40 हजार 3 सौ 24 लोगों को नियमित रोजगार का जरिया मिला है। छत्तीसगढ़ सरकार की उद्योग हितैषी नीतियों के कारण प्रदेश में जहां नए-नए उद्योग स्थापित हो रहे हैं वहीं शहरों के साथ-साथ गांवों में भी बदलाव की नई बयार आ रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसंस्करण की लघु इकाइयां स्थापित की जा रही हैं, स्थानीय उपलब्धता के आधार पर प्रसंस्करण, पैकेजिंग की सुविधा भी दी जा रही है, जिसका लाभ उद्योग और व्यापार जगत को भी मिल रहा है। अब तक प्रदेश में 4 सौ 86 खाद्य प्रसंस्करण इकाईयां स्थापित हुई हैं, जिनमें 930 करोड़ 88 लाख रुपए के पूंजी निवेश के साथ ही 4 हजार 635 लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है।