सरकार ने यहां 1200 स्टूडेंट्स को खाने में दिया ज़हर: इस मामले के विरोध में एक जुट हो रहें छात्रों की आवाज़ दबाने की कोशिश…इस रिपोर्ट में सनसनीखेज खुलासा; पढ़िये

तमाम छात्र बुधवार को सरकार के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों में हिस्सा लेने वाले थे लेकिन फूड प्वॉइज़निंग का शिकार हो गए

तेहरान। ईरान में चौकाने वाला मामला सामने आया है। एक रिपोर्ट के अनुसार ईरान सरकार के ऊपर अपने खिलाफ उठती आवाजों को दबाने के लिए बेहद ही गंभीर आरोप लगा है। ईरान में हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन इस कदर बढ़ गए और उनका इस कदर असर हो रहा है कि सरकार को कई जगहों पर घुटने तक टेकने की नौबत आ गई।

क्राइम तक की रिपोर्ट के अनुसार प्रदर्शनों का हिस्सा बनने की कोशिश में लगे क़रीब 1200 छात्रों को खाने में ज़हर देकर मारने की कोशिश की गई। जिन छात्रों के साथ ये हादसा हुआ वो खराजमी और अर्क यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्र हैं। बताया जा रहा है कि ये तमाम छात्र बुधवार को सरकार के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों में हिस्सा लेने वाले थे लेकिन फूड प्वॉइज़निंग का शिकार हो गए।

खुलासा है कि इन तमाम छात्रों ने बीती रात जहां खाना खाया था उस खाने में ज़हर मिलाया गया था। जिसके असर में आने के बाद खाना खाने वाले तमाम छात्रों को खाने के तुरंत छात्रों को उल्टी, शरीर में दर्द और चक्कर आने की शिकायतें मिलने लगी है। नेशनल स्टूडेंट यूनियन की तरफ से प्रशासन पर आरोप लगाया गया है कि छात्रों को खाने में जहर दिया गया है।

इस घटना के सामने आने के बाद अब पूरे देश की कई यूनिवर्सिटी के साथ साथ कई छात्र संगठनों ने कैफेटेरिया के खाने का बहिष्कार करने लगे हैं। कैफेटेरिया में खाने का विरोध कर रहे छात्रों ने सारा खाना सड़कों पर फेंक दिया।

स्टूडेंट यूनियन ने एक बयान जारी करके कहा है कि कुछ यूनिवर्सिटी से ऐसी घटनाओं की शिकायतें मिलीं थी उस वक़्त ध्यान नहीं गया क्योंकि प्रभावित छात्रों की संख्या इक्का दुक्का ही रही। लेकिन अबकी बार तो बड़े पैमाने पर सरकार के पिछलग्गुओं ने ऐसा किया है। जाहिर है ये एक बड़ी साज़िश का नतीजा हो सकता है।

ये एक साज़िश का हिस्सा है, इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि क्योंकि एक तरफ खाने में जहर मिलाया जा रहा और दूसरी तरफ छात्रों से लिए खुले क्लीनिक बंद कर दिए गए। इतना ही नहीं मेडिकल स्टोर में फूड प्वाइजिंनिग की दवाओं की किल्लत पैदा हो गई।

जाहिर है कि बच्चों को इलाज में देरी हो सकती है और नुकसान बड़ा हो सकता है। जो साफ कर देता है कि सरकार इस हद तक जाकर अपने खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों को रोकने के लिए खूनी हथकंडे अपना सकती है।

असल में पिछले ही हफ्ते देश की कई यूनिवर्सिटी की छात्र यूनियनों ने बाकायदा ऐलान किया था कि बुधवार को पूरे देश में सरकार के फैसले के खिलाफ आवाज़ उठाएंगे और प्रदर्शन करेंगे। और इस ऐलान के बाद ही ये घटनाएं सामने आई हैं।

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