BSP को हाईकोर्ट से झटका: सील की कार्रवाई पर उठाए सवाल, प्रभावितों ने कहा-हम कब्जेधारक नहीं, लाइसेंसधारी है, गलत हुई है कार्रवाई

  • बीएसपी ने खुर्सीपार में पांच कंपनियों को सील किया था, उस पर भी उठाए गए सवाल
  • हाईकोर्ट के स्टे के बाद केके यादव के नेतृत्व में गई टीम लौटी बैरंग

भिलाई। बीएसपी प्रबंधन के नगर सेवाएं विभाग द्वारा खुर्सीपार आईटीआई के आगे पांच कंपनियों पर कार्रवाई की गई थी। इस कार्रवाई पर बीएसपी को झटका लगा है। हाईकोर्ट से इस मामले में स्टे मिल गया है। हाईकोर्ट के स्टे के बाद बीएसपी की टीम पांचों कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने गई थी, वह टीम बैरंग लौट गई है। हाईकोर्ट ने सील हटाकर लीजधारकों को देने कहा है। वहीं अगली सुनवाई की तारीख भी तय हो गई है। 8 सप्ताह बाद इस मामले की सुनवाई होगी

। इस मामले के प्रभावित महालक्ष्मी ट्रेडिंग, बंसल ब्रदर्स, बंसल कॉमर्शियल, दुर्गा धरमकांटा और लक्मीचंद अग्रवाल के संचालकों ने कहा कि, बीएसपी की यह कार्रवाई द्वेषपूर्ण तरीके से की गई है। हाईकोर्ट बिलासपुर से हमें राहत मिल गई है। अब आगे भी हमें उम्मीद है कि इस मामले में हमें न्याय मिलेगा। बीएसपी प्रबंधन से आग्रह है कि हमारे लीज (किराये) को कंटिन्यू किया जाए। 2004 के बाद से जो भी देयक है, वो हम तैयार है।


इस मामले से जुड़े प्रभावित संचालकों हरीश एवं संजय साधवानी, अनूप बंसल, राहुल बंसल और नरेश अग्रवाल का कहना है कि, हम कब्जेधारी नहीं है। हम लाइसेंसधारी है। हमें बीएसपी द्वारा 1975 में जमीन अलॉर्ट किया गया है। व्यावसायिक उपयोग के लिए जमीन अलॉर्ट करने के बाद 2004 तक बीएसपी को किराये भी अदा किए हैं। 2004 में बीएसपी ने अचानक मनमाने तरीके से किराया बढ़ा दिया गया। इसके बाद हमारी आपत्ति हुई। आपत्ति के बाद से बीएसपी प्रबंधन ने किराया नहीं लिया है। हम 2004 से लेकर अब तक का किराया देने तैयार है। इस बारे में हम लगातार बीएसपी प्रबंधन से लिखित वार्ता कर रहे हैं।

इस कार्रवाई को लेकर उठ रहे ये सवाल…क्योंकि

  • बीएसपी प्रबंधन ने 1975 में खुर्सीपार में व्यावसायिक उपयोग के लिए जमीन अलॉर्ट किया गया था। लाइसेंस पैटर्न में यह जमीन बीएसपी ने अलॉर्ट की है, तो प्रभावित संचालक कब्जेधारी कैसे हुए?
  • बीएसपी प्रबंधन 2004 तक लगातार किराया वसूल करता रहा, जबकि, 2004 के बाद किराया वसूलने से मना कर दिया? आखिर ऐसा क्यों? जब किराया वसूल कर रहा था तो प्रभावित अवैध कब्जाधारी कैसे हुए?
  • बीएसपी प्रबंधन ने 9 सितंबर को मनमाने रूप से कार्रवाई क्यों की? जबकि, कार्रवाई से पहले कोई नोटिस नहीं, कोई सूचना नहीं? जवाब पेश करने का मौका तक नहीं दिया गया? ये कार्रवाई कहां तक वैधानिक है?
  • नगर निगम भिलाई को प्रॉपर्टी टैक्स दे रहे हैं, बीएसपी प्रबंधन को किराया दे रहे हैं? आखिर दोनों सरकारी एजेंसी को टैक्स लगातार दिया जा रहा था तो अवैध कैसे कहा जा रहा है?
  • ये कार्रवाई द्वेषपूर्ण की गई है, क्योंकि बाकी लोगों को छोड़ दिया गया है।
  • बीएसपी प्रबंधन के साथ सैटलमेंट के लिए तैयार है तो प्रबंधन इससे पीछे क्यों हट रहा है?
  • इस कार्रवाई से बीएसपी प्रबंधन और नगर निगम को राजस्व की हानि हो रही है।
    (प्रभावितों ने यह सवाल उठाए हैं)

हाईकोर्ट ने स्टे देते हुए क्या कहा है?
17 अगस्त को सबसे पहले महालक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी के खिलाफ बीएसपी प्रबंधन ने कार्रवाई की। इसके बाद 24 अगस्त को प्रभावित हाईकोर्ट गए। 29 अगस्त को सुनवाई हुई। बीएसपी के वकील ने सुनवाई में जवाब प्रस्तुत करने वक्त मांगा और 9 सितंबर को बीएसपी ने मनमाने तरीके से कार्रवाई कर दी। 16 सितंबर को बीएसपी प्रबंधन द्वारा सील किए गए कार्रवाई की जानकारी दी गई। अब 8 सप्ताह बाद यानि कि नवंबर में इसकी सुनवाई होगी।

हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं अधिवक्ता ने आगे निवेदन किया था कि एक समान मामले में, अर्थात, 2022 के डब्ल्यूपी (सी) संख्या 1769 में, याचिकाकर्ता के पक्ष में अंतरिम राहत पहले ही दी जा चुकी है। इसलिए, यह प्रार्थना की जाती है कि इस याचिका में भी अंतरिम राहत दी जा सकती है। याचिकाकर्ता के पक्ष में दिया जाए।

राज्य अधिवक्ता का निवेदन था कि चूंकि याचिकाकर्ता के पास बेदखली के आक्षेपित आदेश के विरुद्ध वैकल्पिक उपाय उपलब्ध है, अत: यह याचिका विचारणीय नहीं है। उन्होंने आई.ए. पर लिखित प्रस्तुतिकरण प्रस्तुत करने के लिए भी समय मांगा। हाईकोर्ट ने स्टे देते हुए कहा, यह निर्देश दिया जाता है कि सुनवाई की अगली तिथि तक दोनों पक्ष विवादित भूमि की यथास्थिति यथावत बनाए रखेंगे, जैसा कि आज है।

आगे इस तथ्य पर विचार करते हुए कि जैसा कि याचिकाकर्ता के वकील द्वारा प्रस्तुत किया गया है, आज की तारीख में, याचिकाकर्ता के पास उक्त भूमि का कब्जा है, इसलिए, प्रतिवादी अधिकारियों को आगे निर्देश दिया जाता है कि वे याचिकाकर्ता को निम्नलिखित के बिना विवादित भूमि में प्रवेश करने से न रोकें। सुनवाई की अगली तारीख तक कानून की उचित प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इन याचिकाओं को नवंबर, 2022 के अंतिम सप्ताह में सूचीबद्ध करें।

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