हाई-प्रोफाइल जमीन विवाद में हाईकोर्ट का फैसला; शपथ पत्र में झोल, हाईकोर्ट ने जमीन बंटवारे पर रोक, दुर्ग तहसीलदार समेत भिलाई निगम के अफसर के खिलाफ EOW में कंप्लेन

भिलाई। लंबे समय से चल रहे ग्राम कोलिहापुरी जमन विवाद के मामले में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सूना दिया है। जमीन बटवारे पर रोक लगा दिया है। यह वही जमीन है, जहां स्व. चन्दूलाल चंद्राकर की समाधि है। झूबा बयान देकर और शपथ पत्र बनाकर गलत तरीके से बटवारे के लिए आवेदन लगाया गया था। जिसके खिलाफ याचिकाकर्ता गीता बाई ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

ग्राम कोलिहापुरी तहसील व जिला दुर्ग स्थित भूमि खसरा नम्बर 18, 19/ 2 दोनों का कुल रकबा 4.19 हेक्टेयर भूमि जिसमें स्व. चन्दूलाल चन्द्राकर की समाधि भी बनी हुई है। उस संबंध में अपने रिश्तेदार हिमकर चन्द्राकर, चित्ररेखा चन्द्राकर, प्रहलाद चन्द्राकर, परमेश्वर चन्द्राकर, संजय चन्द्राकर, मोहनलाल चन्द्राकर, हेमलाल चन्द्राकर के विरूद्ध छलकपट धोखाधड़ी का आरोप लगाया है।

तहसीलदार दुर्ग प्रेरणा सिंह को पक्षकार बनाकर छ.ग. उच्च न्यायालय में डब्लूपीसी नम्बर 3475 / 2022 प्रस्तुत किया और यह आधार लिया की इसी भूमि के संबंध में इन्ही पक्षकारों के मध्य नायब तहसीलदार दुर्ग ने आदेश 8/09/2017 पारित करके खाता विभाजन के आवेदन को नस्तीबद्ध कर उभयपक्षकारों को सिविल कोर्ट जाने का निर्देश दिया था। इस बात की भलीभांति जानकारी होने के बाद भी हिमकर चन्द्राकर ने पूर्व आदेश, दस्तावेज और तथ्यों को छुपाकर शपथपूर्वक झूठा कथन करते हुए उसी खसरा नम्बर की भूमि के संबंध में पुनः खाता विभाजन का आवेदन दिया। जिसमें चमत्कारिक रूप से अवैधानिक तरीके से गीता बाई को छोड़कर शेष सभी व्यक्ति तहसीलदार प्रेरणा सिंह के न्यायालय में पहली पेशी में उपस्थित हुए।

आवेदक के आवेदन व शपथपत्र को स्वीकार कर खाता विभाजन की सहमति दी और शेष अनावेदक चित्ररेखा चन्द्राकर, प्रहलाद चन्द्राकर, परमेश्वर चन्द्राकर, संजय चन्द्राकर, मोहनलाल चन्द्राकर, हेमलाल चन्द्राकर इन्हों ने भी तहसीलदार प्रेरणा सिंग से तथ्यों को छुपाकर झूठा शपथपत्र दिया की जमीन पाकसाफ है और पूर्व के आदेशों को भी छुपा लिया। इस बात की जानकारी होने पर गीता बाई ने पूर्व प्रकरण का रिकार्ड बुलाने का आवेदन व झूठा शपथपत्र देने के संबंध में धारा 195 का आवेदन व धारा 11 सीपीसी का आवेदन प्रस्तुत किया। जिस पर विधि अनुसार कार्यवाही व आदेश पत्रिका संधारित नहीं की गई और इस पूरे फाईल का सर्टिफाईट कापी निकालकर गीता बाई ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से छ.ग. उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका लगाई और साथ स्थगन आवेदन भी लगाया।

यह आधार लिया की जिस जमीन का व्यवहार वाद क 393/ 2020 सतीश चन्द्र सुराना विरूद्ध हिमकर दुर्ग न्यायालय में लम्बित है। उसे पाकसाफ दर्शाकर आवेदन लगाए है। जिस जमीन के संबंध में पूर्व में खाता विभाजन का आवेदन खारिज हो चुका है। जिस जमीन के संबंध में प्रहलाद चन्द्राकर ने स्वयं आपत्ति लगाकर उसे आवासीय और व्यवसायिक बताया था। उसी प्रहलाद चन्द्राकर ने झूठा शपथपत्र देकर हिमकर चन्द्राकर का साथ दिया। जो न्यायालय के साथ छलकपट और धोखाधड़ी किया है। इन सब आधारों को देखकर और सन्तुष्ट होने के बाद उच्च न्यायालय बिलासपुर ने गीता बाई के पक्ष में प्रथम दृष्टि मामला पाकर तहसील कोर्ट की कार्यवाही को स्थगित रखने का आदेश दिया है।

आरटीआई कार्यकर्ता उमाशंकर देशमुख ने तहसील न्यायालय में आपत्ति लगाकर प्रेरणा सिंह तहसीलदार और उपरोक्त व्यक्तियों के विरुद्ध राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरों रायपुर में शिकायत की है। जिसकी जांच जारी है।

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