भिलाई। बीएससी वर्कर्स यूनियन ने अध्यक्ष उज्जवल दत्ता के नेतृत्व में बीएसपी वर्कर्स यूनियन के केन्द्रीय कार्यालय में बैठक कर सर्वसम्मति से सांसद विजय बघेल को अपना समर्थन देने की फैसला लिया गया। एक स्वर में संयुक्त यूनियन के द्वारा केंद्र की मोदी सरकार और वर्तमान सांसद विजय बघेल पर लगाए जा रहे तमाम आरोपों को निराधार और तथ्यहीन करार दिया। उज्जवल दत्ता ने कहा कि अपनी नाकामी छिपाने संयुक्त यूनियन तरह-तरह की हथकंडे अपना रही है। संयुक्त यूनियन के द्वारा दुर्ग लोकसभा क्षेत्र के सांसद विजय बघेल पर की गई टिप्पणी न केवल अशोभनीय है, बल्कि सत्यता से कोसों दूर है। संयुक्त यूनियन के नाम पर कर्मचारियों को हमेशा छला गया है। यह सिर्फ अपनी राजनीतिक आकाओ के इशारों पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं।

दत्ता ने कहा कि, सांसद विजय बघेल कर्मचारियों के मुद्दे पर हमेशा संवेदनशील रहे हैं। उन्होंने कर्मचारियों के विभिन्न मुद्दे जिसमें वेतन समझौता भी शामिल है, अनेकों बार सदन पटल पर रखकर कर्मचारियों की आवाज को संसद में प्रमुखता से उठाया है। सांसद विजय बघेल के सदन में पूछे गए सवालों से ही रुके हुए वेतन समझौते में बातचीत का रास्ता प्रशस्त हुआ। दत्ता ने आगे कहा कि सांसद स्वयं भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी रहे हैं, वे कर्मचारियों के दुख दर्द को भली भांति समझते है और हमेशा कर्मचारियों के साथ खड़े रहे हैं और आगे भी खड़े रहेंगे। यूनियन के अध्यक्ष उज्जवल दत्ता ने कहा कि, हर बात पर केंद्र की सरकार और वर्तमान सांसद के ऊपर दोसारोपन करना बंद करें और यह बताएं कि उन्होंने कर्मचारियों के लिए क्या किया है? आरोप प्रत्यारोप लगाकर अपनी नाकामी से कर्मियों की ध्यान भटकाना बंद करें।
BWU ने सयुंक्त यूनियन पर साधा निशाना…
- ग्रेच्युटी सीलिंग के लिए जिम्मेदार यही एनजेस एस यूनियन जिन्होंने लिखित अनुबंध में हस्ताक्षर कर ग्रेच्युटी सीलिंग करवाया है
- आज तक 6 वर्ष से अधिक बीत जाने के बावजूद वेतन समझोता के मुद्दे को लेकर एक सार्थक बैठक नही करवा पाने यूनियन, 39 महीने का एरियर पे अपनी बात तक नहीं रख पाने वाली यूनियने, रात्रि पाली भत्ता दिलाने में नाकाम रहने वाली, एच आर ए पर बात नहीं कर पाने वाली यूनियने, सम्मानजनक बोनस दिलाने का ढोंग करने वाली यूनियने सांसद जी पर निराधार बयानबाजी करने पर उतारू है।
- अन्य पीएसयू जहां एनजीसी यूनियन नहीं है वंहा सम्मानजनक वेतन समझौता के साथ-साथ बाक्य एरियर का भी भुगतान किया जा चूका है। सेल के ही अधिकारी वर्ग को अधिकांश बकाया राशि का भुगतान किया जा चूका हैं। तो क्या केंद्र में इस वक्त सरकार बदल गया था?
- मोदी सरकार ही एकमात्र ऐसा सरकार है ,जिसने अपने शासनकाल में श्रम कानून को बेहतर बनाया है , कर्मियों को सुरक्षा प्रदान किया है , दलाली को खत्म किया गया है, बिना दलाली के श्रमिक पीएफ की राशि अपने खाते से निकाल सकते हैं , सारी प्रक्रिया को ऑनलाइन और पारदर्शी किया गया है।
- सांसद विजय बघेल के प्रयास से ही छत्तीसगढ़ की एकमात्र उद्योग भिलाई इस्पात सयंत्र में ठेका श्रमिकों के सेवानिवृत्त आयु सीमा को 58 से बढाकर 60 साल किया गया है।
- ओएनजीसी, गेल ,कोल इंडिया और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों में जब एक बेहतर और सम्मानजनक वेतन समझौता हुआ तब क्या केंद्र में मोदी सरकार नही थी ?
- आनन्-फानन में, आधे-अधूरे वेतन समझौता पर दस्तखत कर , अपनी टी ए , डी ए से जेब भरने वाली एन जे सी एस यूनियन बताये कि, कर्मियों को किसने छला। तब तो दस्तखत करते वक्त कहा गया था कि इससे बेहतर वेतन समझौता हो ही नहीं सकता था , यह वेतन सझोता एतिहासिक है।
- अपनी यूनियन के मान्यता के अंतिम कार्य दिवस में श्रमिक विरोधी एन ई पी पी पर हस्ताक्षर किसने किया ? बायोमेट्रिक लगाने पर अपनी सहमति, एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करके किसने दिया ? जब वेतन समझौता को लेकर संयंत्र के अंदर प्रदर्शन हो रहा था तब अपनी रोजी-रोटी पर संकट आते देखकर कौन से यूनियन ने प्रबंधन पर कार्रवाई का दबाव बनाया ?
- सयुंक यूनियन के नाम पर किसी लोकल मुद्दे पानी ,बिजली ,जर्जर आवास की समस्या, हॉस्पिटल की समस्या जैसे बुनियादी मुद्दे पर कभी भी प्रदर्शन नहीं करने वाली सयुंक यूनियन अपने आका के इशारे पर चुनाव के समय अपनी राजनितिक रोटिया सकने के उद्देश्य से कुकुरमुत्ते की तरह उगते है और चुनाव के पश्चात यही लोग इन नेताओ के चौखट पर खड़े रहते है |
- हर बात पर केंद्र सरकार के खिलाफ झंडा लेकर सड़क पर उतरने वाली यह यूनियन आखिर कब सेल कर्मचारियों के मुद्दे को लेकर सड़क पर उतरेंगे ? उतरेंगे भी या नहीं ? यह बड़ा सवाल आज भी बना हुआ है या हमेशा की तरह कर्मचारी विरोधी समझौते को अंजाम देते रहेंगे और कर्मचारियों के मध्य अंजान बने रहने का डोंग करते रहेंगे?
इस बैठक में प्रमुख रूप से बीएसपी वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष उज्ज्वल दत्ता, महासचिव खूबचंद वर्मा, शिवबहादुर सिंह, दिलेश्वर राव, अमित बर्मन, सुरेश सिंह, प्रदीप सिंह, विमल पांडे, मनोज डडसेना, आलोक सिंह, कृष्णमूर्ति, राजकुमार सिंह, संदीप सिंह, लुमेश, कन्हैया लाल अहिरे, जीतेन्द्र देशलहरे, रुपेंद्र नाथ, बेनी राम साहू, रवि शंकर सिंह, रविंद्र सिंह, दानी राम सोनवानी, नितिन कश्यप, शैलेश सिन्हा, रंजित सिंह, आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।